नई दिल्ली (पीटीआई)। सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को कहा कि इस तथ्य ने भगवान राम के जन्मस्थान संबंधी हिंदुओं के विश्वास की पुष्टि करने में मदद की। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि जनम साखियां रिकाॅर्ड के तौर पर पेश किया गया जिसमें इस बात का जिक्र है कि गुरु नानक देवजी भगवान राम जन्मभूमि के दर्शन के लिए अयोध्या गए थे। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता में पांच जजों की संविधान पीठ ने बिना किसी जज के नाम का उल्लेख करते हुए फैसले में कहा कि उनमें से एक न्यायमूर्ति इस बात से सहमत थे कि विवादित स्थल पर हिंदुओं की मान्यता के मुताबिक भगवान राम का जन्म हुआ था। इसका फैसले में अलग से उल्लेख किया गया है।

मस्जिद बनने से पहले भी तीर्थयात्री दर्शन के लिए जाते थे अयोध्या

संबंधित जज की सहमति को फैसले में अलग से दर्ज किया गया है। इसमें कहा गया है कि इस बारे में कोई प्रमाण नहीं है जिससे यह पहचान हो सके कि यही वह निश्चित स्थान पर भगवान राम का जन्म हुअा था। लेकिन इस बात का वर्णन है कि गुरु नानक देवजी भगवान राम के दर्शन के लिए अयोध्या गए थे। इससे यह भी पुष्टि होती है कि 1528 ईस्वी सन से पहले भी राम जन्मभूमि के दर्शन के लिए तीर्थ यात्री अयोध्या जाया करते थे। कोर्ट ने फैसले में उल्लेख किया है कि 1528 में शासक बाबर ने बाबरी मस्जिद का निर्माण कराया था। जज ने कहा कि गुरु नानक देवजी 1510-11 ईस्वी सन में भगवान राम जन्मभूमि के दर्शन के लिए अयोध्या गए थे। इससे हिंदुओं की मान्यता की पुष्टि होती है।

शास्त्रों में मौजूद हैं श्रीराम जन्मभूमि के पर्याप्त प्रमाण

उन्होंने कहा कि वाल्मीकि रामायण और स्कंद पुराण जैसे धार्मिक ग्रंथों में वर्णित भगवान राम के जन्मस्थान की स्थिति को लेकर हिंदुओं की मान्यता और विश्वास को आधारहीन नहीं माना जा सकता। जज ने अपने फैसले में यह भी कहा कि हिंदुओं की मान्यता के अनुसार 1528 ईस्वी सन से पहले से ही धार्मिक पुस्तकों में इस बात के पर्याप्त प्रमाण है कि मौजूदा स्थान ही भगवान राम की जन्मभूमि है। इलाहाबाद हाई कोर्ट में वाद संख्या 4 के एक गवाह ने जिरह के दौरान सिख संस्कृति और इतिहास से संबंधित कुछ पुुस्तकों का हवाला देते हुए कहा कि गुरु नानक देवजी जिनकी जयंती 12 नवंबर को पड़ रही है, वे श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के दर्शन के लिए अयोध्या गए थे।

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