कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। Guru Purnima 2021 आषाढ़ की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में जाना जाता है। गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहते हैं। इस दिन को महर्षि वेद व्यास की जयंती के रूप में चिह्नित किया जाता है, जिन्होंने महाभारत सहित कई पवित्र पुस्तकें लिखीं। गुरु पूर्णिमा को दुनिया भर के 'गुरुओं' या शिक्षकों के सम्मान के रूप में मनाते हैं और उनके प्रति आभार व्यक्त करते हैं। इस दिन विद्यार्थी अपने शिक्षकों या मूर्तियों को ज्ञान और जीवन जीने का मंत्र देने के लिए पूजते हैं। हर साल गुरु पूर्णिमा देश भर में हिंदू, बौद्ध और जैन सहित सभी धर्मों के लोगों द्वारा मनाई जाती है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, आषाढ़ की पूर्णिमा के दिन गुरु पूर्णिमा मनाई जाती है।

गुरु पूर्णिमा का क्या महत्व

गुरु पूर्णिमा शनिवार, जुलाई 24, 2021 को मनाई जाएगी। दृकपंचांग के मुताबिक इस साल पूर्णिमा तिथि 23 जुलाई को सुबह 10:43 बजे आरंभ होगी और अगले दिन 24 जुलाई को सुबह 08:06 बजे समाप्त होगी। कहते हैं जीवन में गुरु का किसी भी रूप में प्राप्त हो सकता है। गुरु शब्द संस्कृत के दो शब्दों गु और रु से बना है, जिसका अर्थ है अज्ञान या अंधकार और उन्मूलन या निष्कासन। इस प्रकार, गुरु का सीधा सा अर्थ है वह व्यक्ति जो अंधकार को दूर कर 'ज्ञान का प्रकाश' फैलाता है।

गुरु पूर्णिमा का इतिहास

हिंदू महाकाव्य महाभारत लिखने वाले ऋषि वेद व्यास का जन्म इसी दिन सत्यवती और ऋषि पाराशर के घर हुआ था। कुछ किंवदंतियों का यह भी कहना है कि ऋषि वेद व्यास ने वेदों को चार अलग-अलग ग्रंथों में वर्गीकृत किया था - ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद और इसलिए हम इस दिन गुरु पूर्णिमा मनाते हैं। हालांकि, कुछ किंवदंतियों का कहना है कि भगवान शिव ने सप्तर्षियों को योग का प्रसारण शुरू किया था और इस प्रकार गुरु पूर्णिमा को उनके सम्मान के रूप में मनाया जाता है।