कानपुर (इंटनेट डेस्क)। Guru Purnima 2021: गुरुओं को समर्पित पर्व गुरु पूर्णिमा को पूरे देश में बहुत धूम-धाम से मनाया जाता है। इस दिन शिष्य अपने गुरुओं की पूजा करते और उनके प्रति सम्मान,श्रद्धा एवं आस्था प्रकट करते हैं। गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इस दिन महाभारत सहित 18 पुराणों के रचयिता महर्षि वेद व्यास जी का जन्मदिवस होता है। इस बार गुरु पूर्णिमा का पर्व 24 जुलाई शनिवार को मनाया जा रहा है। इस खास दिन पर गंगा स्नान करना शुभ होता है। हालांकि इस बार कोविड के चलते घर में पानी में गंगा जल डालकर स्नान किया जा सकता है। इस दिन आम का दान करने का महत्व है। उत्तर भारत में अधिकांश जगहों पर गुुरु पूर्णिमा के दिन चने की दाल का पराठा और आम खाने की भी परंपरा है।वहीं यह भी मान्यता है कि गुरु के साथ-साथ मां की भी पूजा करनी चाहिए क्योंकि मनुष्य की असली गुरु उसकी मां ही होती है। मां के ज्ञान से ही मनुष्य गुरु की ओर जाते हैं।

गुरु का महत्व

गुरु अपने शिष्य के जीवन में व्याप्त अज्ञानता रूपी अंधकार को मिटाकर उसमें ज्ञान रूपी प्रकाश फैलाते हैं। सनातन धर्म में गुरु को सर्वप्रथम पूजनीय माना गया है और उनके सम्मान के लिए ही गुरु पूर्णिमा मनाई जाती है। गुरु ही मनुष्य को उसके जीवन में सही और गलत में भेद का ज्ञान देते है। गुरु मनुष्य का उसी तरह सर्जन करते हैं, जैसे ब्रह्मा सृष्टि के हर जीव का करते हैं।इसलिए गुरु को ब्रह्मा का दर्जा दिया गया है। पुराणों के अनुसार भगवान शिव को ब्रह्मांड का पहला गुरु माना गया है।

कैसे करें पूजन

गुरु पूर्णिमा के अवसर पर सर्वप्रथम स्नान करके सफेद या पीले वस्त्र पहनें और फिर त्रिदेव की पूजा करें। इसके बाद गुरु बृहस्पति और महर्षि वेद व्यास की पूजा कर अपने आराध्य गुरु की पूजा करें। गुरु की तस्वीर या पादुका रखें और धूप, दीप, पुष्प, नैवेद्य, चंदन से उनका पूजन कर मिष्ठान का भोग लगाएं। इसके बाद गुरु से मिले दिव्य मंत्र का जप और मनन करें। गुरु की पूजा का अर्थ सिर्फ फूल-माला, फल, मिठाई, दक्षिणा आदि चढ़ाना नहीं है बल्कि गुरु के दिव्य गुणों को जीवन में उतारना होता है।