- सीबीआई के हत्थे चढ़े आईआरसीटीसी वेबसाइट हैकर हामिद ने किए कई खुलासे

- सिर्फ साफ्टवेयर बेचता था हामिद, मुंबई, बेंगलुरू व कोलकाता है इस खेल का असली गढ़

<- सीबीआई के हत्थे चढ़े आईआरसीटीसी वेबसाइट हैकर हामिद ने किए कई खुलासे

- सिर्फ साफ्टवेयर बेचता था हामिद, मुंबई, बेंगलुरू व कोलकाता है इस खेल का असली गढ़

GORAKHPUR: GORAKHPUR: रेलवे वेबसाइट हैकिंग में सीबीआई के हत्थे चढ़े हामिद अशरफ ने कई चौंकाने वाले दावे किए हैं। हामिद को सीबीआई ने बस्ती से गुरुवार को गिरफ्तार किया था। सीबीआई सूत्रों के मुताबिक हामिद ने पूछताछ में कबूला है कि वह इस रैकेट का महज एजेंट है। उसका काम टिकट बनाना और सॉफ्टवेयर सप्लाई का था। असली खेल बिहार के दरभंगा से लेकर मुंबई, बेंगलुरू और कोलकाता बॉर्डर से हो रहा है। वहीं इसका सरगना बांग्लादेश में बैठा पूरे भारत में इस खेल को अंजाम दे रहा है। हामिद के बयान के आधार पर सीबीआई अभी कई और जगहों पर छापेमारी कर सकती है।

हामिद जैसे हैं सैकड़ों एजेंट

सूत्रों के मुताबिक आईआरसीटीसी की वेबसाइट को हैक करने और सॉफ्टवेयर बेचने के खेल में हामिद जैसे सैकड़ों एजेंट शामिल हैं। सूत्र बताते हैं कि बस्ती के अलावा खलीलाबाद, गोंडा व सिद्धार्थनगर इनका गढ़ है। ये एजेंट मुंबई, कोलकाता व बेंगलुरू से सॉफ्टवेयर लेकर टिकट बुकिंग एजेंटों को बेच रहे हैं।

पेनड्राइव में रखते हैं सॉफ्टवेयर

यह सॉफ्टवेयर सिर्फ वहीं एजेंट यूज करते हैं, जो एक दिन में सैकड़ों टिकट बनाते हैं। वजह, इसके लिए एक पीएनआर उन्हें दो से तीन हजार रुपए महीना देना पड़ता है। सूत्रों के मुताबिक बुकिंग एजेंट इन सॉफ्टवेयर को कम्पयूटर व लैपटॉप में इंस्टॉल करने की बजाए पेनड्राइव में रखते हैं और टिकट बुकिंग के खुलने के कुछ देर पहले इसे इंस्टाल करते हैं। टिकट बुक होते ही एजेंट इसे सिस्टम से रिमूव कर देते, ताकि पकड़े जाने का चांस न रहे।

सिर्फ फ्भ् सेकेंड का है खेल

जानकार बताते हैं कि रेलवे की ऑनलाइन टिकट बुकिंग आईआरसीटीसी और विंडो टिकट बुकिंग आईआरएसटीए खुलने के समय में महज फ्भ् सेकेंड का अंतर होता है। ऐसे में एजेंट पहले से सिस्टम वेबसाइट हैक कर इन फ्भ् सेकेंड में हजारों टिकट निकाल लेते है। लिहाजा महज चंद सेकेंड में ही आम पब्लिक को नो रूम या वेटिंग शो करता है। गौरतलब है कि आईआरसीटीसी पर टिकट बुकिंग एसी के लिए सुबह क्0 बजे और स्लीपर के लिए सुबह क्क् बजे खुलती है।

जितनी कम टाइमिंग, उतना रेट

सॉफ्टवेयर प्रोवाइड कराने वाली दर्जनों कंपनियां इन दिनों मार्केट में जाल बिछाए हुए हैं। लेकिन उन सॉफ्टवेयर्स के रेट्स व डिमांड ज्यादा हैं जिनकी बुकिंग टाइमिंग काफी कम है। इन दिनों हैकिंग साफ्टवेयर की ऑनलाइन मार्केटिंग जोरों पर चल रही है। ऐसे सॉफ्टवेयर्स में स्कीम्स भी खूब चल रही हैं। इसमें दो महीने पर एक महीना फ्री, या फिर तीन पीएनआर रेट्स देने पर एक फ्री जैसी स्कीम की ऑनलाइन बाजार में धूम है।

अॅानलाइन होता है सब खेल

सीबीआई के हत्थे चढ़े हैकर हामिद ने पूछताछ में इस खेल के कई राज उगले हैं। सूत्र बताते हैं कि बेईमानी का यह खेल काफी ईमानदारी से खेला जाता है। इसमें सरगना से लेकर डीलर हो या फिर एजेंट कोई किसी को न जानता है और न पहचानता है। यह सारा खेल ऑनलाइन होता है। सॉफ्टवेयर भी ऑनलाइन बेचे ही जाते हैं और पेमेंट भी ऑनलाइन ही होता है। ऑनलाइन मैसेज से पहले बताना पड़ता है। इसके बाद इन एजेंट्स को जो भी फोन कॉल आती है, उनमें महाराष्ट्र से लेकर गुजरात, बेंगलुरू, कोलकाता या फिर विदेशों के नंबर होते हैं। ऐसे में इन नंबरों पर दोबारा बात नहीं होती। इसलिए इतना लंबा नेटवर्क होने के बावजूद इस खेल को पूरी तरह उजागर नहीं किया जा सका है।

क्रिस के लोग भी पाक-साफ नहीं

इस खेल को अंजाम देने के पीछे सबसे बड़ा हाथ आईआरसीटीसी को सॉफ्टवेयर देने वाली कंपनी क्रिस के अधिकारियों का भी है। सूत्रों के मुताबिक सॉफ्टवेयर इंजीनियर्स के बिना मिले इस सॉफ्टवेयर को डेवलप करना संभव नहीं है। इन खुलासों के बाद सीबीआई की नजर सॉफ्टवेयर कंपनी के लोगों पर भी टिक गई है।

करोड़ों में होती है डीलिंग

सॉफ्टवेयर को आपरेट करने के लिए आईआरसीटीसी की गोपनीय सूचनाएं करोड़ों में बेची जा रही हैं। ताकि बाहर के लोग बेवसाइट को जैसे चाहे आपरेट कर सकें। सूत्रों के मुताबिक सॉफ्टवेयर बनाने वाली कंपनी के लोग आईआरसीटीसी को ऑपरेट करने को आईपी कोड हैकिंग के सरगना के हाथों बेच रहे हैं। इसके बाद वे लोग ही इन सरगानाओं से मोटी रकम लेकर इसका डुप्लीकेट सॉफ्टवेयर बनाते हैं। पायरेटड कॉपी भी तैयार की जाती है। ये बल्क से छोटे-छोटे टुकड़ों में होते हुए एजेंट्स को बेची जा रही है।

इन कंपनियों के सॉफ्टवेयर अवलेवल

- ब्लैक टीएस

- स्पार्क

- ब्लैक डायमंड

- एसपी

- सुपर टीसी

- ब्लैक टीएस अल्ट्रा

- टीएस सिस्टम

वर्जन

इंटरनेट पर कुछ ऐसे टूल्स अवेलेवल हैं, जिसके जरिए फास्ट टिकट बुकिंग होती है। ऐसे लोग इस तरह के टूल्स डेवलप कर मार्केट में बेच रहे हैं। हालांकि आईआरसीटीसी पर फ्भ् सेकेंड से पहले टिकट बुकिंग नहीं हो सकती। मुझे कई बार इसकी शिकायत भी मिली है, जिसकी लखनऊ, मुबंई, बेंगलुरू सहित कई शहरों के साइबर सेल में कंप्लेन भी कराया गया है। शायद इसी कंप्लेन पर सीबीआई ने यह कार्रवाई की है।

-सुनील कुमार, जीजीएम,आईआरसीटीसी