- फौजी, महिला और दिव्यांगों के अधिकारों का सदर तहसील में हो रहा है हनन

- साक्ष्य देने के बाद भी स्टाम्प कमी के मामले में भेजी जा रही हैं फाइल

आगरा। सदर तहसील में सब रजिस्ट्रार मनमानी पर उतारू हैं। वे दिव्यांग, फौजी और महिलाओं के अधिकारों का हनन कर रहे हैं। जबकि शासनादेश के मुताबिक उन्हें सामान्य व्यक्तियों से अलग रखते हुए रजिस्ट्री के दौरान स्टाम्प शुल्क में छूट दी जाती है। अब दिव्यांगों की रजिस्ट्रियों में स्टाम्प शुल्क की कमी बताकर नोटिस भेजे जा रहे हैं, जिससे वे खासे परेशान हैं। दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं।

रजिस्ट्री दफ्तर में होता है शोषण

रजिस्ट्री दफ्तर में उन लोगों का भी शोषण होता है, जिन्हें शासन ने सहूलियत प्रदान कर रखी है। उदाहरण के तौर पर भूरी देवी निवासी नौपुरा सादाबाद, हाथरस एक सप्ताह पहले रजिस्ट्री कराने के लिए सदर तहसील सब रजिस्ट्रार प्रथम मनीष कुमार के कार्यालय पहुंचीं थी। वह दोनों पैरों से दिव्यांग हैं। उसका कहना था कि उन्हें स्टाम्प शुल्क में छूट दी जाए। सब रजिस्ट्रार उसे गंभीर दिव्यांग की श्रेणी में मानने को तैयार नहीं थे। जबकि अधिवक्ता के अनुसार वह गंभीर दिव्यांग की श्रेणी में है, इसका साक्ष्य भी दिया गया। बजाय उसकी मदद के सब रजिस्ट्रार ने उनकी रजिस्ट्री को स्टाम्प कमी के मामले में फाइल को अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व के न्यायालय में भेज दिया हैं।

यह भी है व्यवस्था

शासन स्तर से दिव्यांगों को इस छूट के अलावा यह भी सुविधा प्रदान किए जाने का ध्यान रखा गया है कि उनकी रजिस्ट्री ग्राउंड फ्लोर पर ही की जाए, लेकिन सदर तहसील में दिव्यांग भूरी देवी को स्टाम्प शुल्क में न दिए जाने के अलावा उसे रजिस्ट्री को द्वितीय मंजिल तक सहयोगियों की गोदी में जाना पड़ा। इसे मनमानी ही कहा जा सकता है। जबकि अक्सर ऐसे लोगों के प्रति आमजनों की सहानभूति होती है, लेकिन सब रजिस्ट्रार प्रथम को ऐसे लोगों से कोई सरोकार नहीं है, जबकि उनका अधिकार भी है।