Hanuman Jayanti 2020 : हनुमानजी की दो जन्म तिथियां होना विशेषता है।ग्रंथों के आधार पर पहला 'जन्मदिन' है दूसरा 'विज्याभिनंदन' का महोत्सव है। 'उत्सव सिंधु' के अनुसार कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी, भौमवार को स्वाति नक्षत्र तथा मेष लग्न में अंजनी के गर्भ से हनुमान के रूप में स्वयं शिव जन्मे थे। 'व्रत रत्नाकर' में भी यही वर्णित है कि कार्तिक कृष्ण की भूततिथि को मंगलवार के दिन महानिशा में अंजनी देवी ने हनुमानजी को जन्म दिया था।एक अन्य ग्रंथ 'हनुमदुपासना कल्पद्रुम' में लिखा है कि चैत्र शुक्ल पूर्णिमा मंगलवार के दिन मंजू मेखला से युक्त,कोपीन से संयुक्त और यग्गोपवीत से भूषित हनुमानजी उत्पन्न हुए थे।

इस मुहूर्त में मंगलवार के दिन जन्म थे हनुमान

एक अन्य गणना के अनुसार हनुमानजी का जन्म 'एक करोड़ पिच्च्यासी लाख अट्ठावन हजार एक सौ तेरह वर्ष पहले चैत्र शुक्लपक्ष की पूर्णिमा को मंगलवार के दिन चित्रा व मेष लग्न के योग में प्रातः 6:03 बजे हुआ था।अधिक मतानुसार चैत्र माह की पूर्णिमा को ही माता अंजनी के गर्भ से हनुमानजी ने जन्म लिया, यह जन्म तिथि विशेष है।इस बार 08 अप्रैल 2020, बुधवार को हनुमान जयंती होना विशेष है।' इस बार मंगल अपनी उच्च राशि मकर में गोचर कर रहे हैं और साथ मे शनि भी अपनी राशि मकर में नीच के गुरु के साथ नीच भंग राजयोग बनाकर गोचर कर रहे हैं।अतः इस बार हनुमानजी की पूजा से मंगल एवं शनि ग्रह की शांति करना लाभ दायक रहेगा।आज के दिन अपने अपने घरों पर हनुमानजी की पूजा- पाठ करना श्रेष्ठ होगा।हनुमानजी शीघ्र ही प्रसन्न होने वाले देवता माने गए हैं।यह एक ऐसे देव हैं जिनकी उपासना हरवर्ग के लोग करते हैं क्योंकि यह तत्काल फल देते हैं।इनकी पूजा करने से कठिन से कठिन समस्या का समाधान शीघ्र होता है।अतः इनकी कृपा प्राप्त करने के लिए हनुमानजयंती के दिन इनका व्रत रखकर सर्वप्रथम श्रीराम दरबार की पूजा के उपरांत हनुमानजी की पूजा षोडशोपचार विधि से करना चाहिए।इस पूजा के क्रम में ध्यान, आवाहन, आसान, पाद्य, अर्ध्य, आचमन,स्नान,वस्त्र,जनेऊ,तिलक,अक्षत,माल्यार्पण,धूप-दीप,नैवेद्य-फल,आचमन,ताम्बूल,दक्षिणा-आरती,प्रदक्षिणा सम्पन्न करनी चाहिए।

पूजन विधि

पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके लाल आसन पर बैठें, लाल धोती, ऊपर कोई वस्त्र, चादर, दुपट्टा आदि डाल लें, अपने सामने छोटी चौकी पर लाल वस्त्र बिछा दें।तांबे की प्लेट पर लाल पुष्पों का आसन हनुमानजी की मूर्ति स्थापित करें, मूर्ति पर सिंदूर से टीका कर लाल पुष्प अर्पित करें, मूर्ति पर सिंदूर लगाने के पश्चात धूप- दीप, अक्षत, पुष्प, नैवेद्य आदि से साविधि षोडशोपचार पूजन 'ॐ हनुमते नमः।' मंत्र से करें।नैवेद्य में गुड़, भीगा चना आदि रखें।सरसों या तिल के तेल का दीपक एवं धूप जला दें। फिर यथा शक्ति अनुसार मंत्रों का जाप करें।इस दिन जीवन मे अभावों, कष्टों के निवारणार्थ हनुमानजी के निम्न द्वादश नामों का स्मरण 51 बार करें-

'हनुमान,अंजनीसुत,वायुपुत्र,महाबल,रामेष्ट,फाल्गुन सखा, पिंगलाक्ष,अमित विक्रम,उदधिक्रमण,सीताशोक विनाशन,लक्ष्मण प्राण दाता और दशग्रीव दर्पहा।'

कामना पूर्ति के लिए करें दीप- दान

हनुमानजी के लिए दीप दान अतिप्रिय है।हनुमानजी के दीप दान में देव प्रतिमा के आगे प्रमोद के अवसर पर ग्रहों के निमित्त गृह में और चौराहों पर इन छ: स्थलों पर दीप जलाना चाहिए।स्फटिक शिवलिंग के समीप शालिग्राम शिला के निकट हनुमानजी के लिए दीप दान करें।

- ज्योतिशषाचार्य पंडित राजीव शर्मा