नई दिल्ली (एएनआई)। बॉलीवुड में लगभग तीन दशक बिताने वाले शाहरुख खान मंगलवार को 56 साल के हो गए हैं। हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में शाहरुख को सुपरस्टार या किंग ऑफ रोमांस कहा जाता है। SRK, एक ऐसा नाम, जो स्टारडम की पहचान है उन्होंने अपनी एक्टिंग से बहुत बड़ा फैन बेस क्रिएट किया। शाहरुख ने 1992 की 'दीवाना' के साथ अपने फिल्मी करियर की यात्रा शुरू की और 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' से रोमांटिक राज से फिल्म इंडस्ट्री में पैठ जमाई। हालांकि किंग ऑफ रोमांस होते हुए भी शाहरुख ने अपने करियर में कुछ ऐसी फिल्में की हैं जिसमें उनकी अलग भूमिका दिखी।

1. 'बाजीगर' (1993)
इस फिल्म ने शाहरुख को सुर्खियों में ला दिया, और उन्हें सही मायने में एक स्टार बना दिया। 'बाजीगर' एक बेहतरीन साउंडट्रैक और एक दिलचस्प कहानी के साथ थ्रिलर फिल्म थी। हालांकि कई सुपरस्टार्स ने इस रोल को ठुकरा दिया, लेकिन एंटी-हीरो के रूप में शाहरुख के अभिनय ने लाखों लोगों का दिल जीत लिया। फिल्म प्रशंसकों को यह सोचने पर मजबूर कर देती है कि खान इतने सालों तक एक स्टीरियोटाइप से क्यों चिपके रहे, जब उन्होंने अपने करियर की शुरुआत में एक 'निगेटिव' भूमिका के साथ प्रयोग करने की हिम्मत की थी। उन्होंने वास्तव में 'बाजीगर' के साथ बॉलीवुड फिल्म में एक 'हीरो' क्या कर सकता है, इसकी सीमाओं को आगे बढ़ाया। शाहरुख ने अपना पहला फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार भी 'बाजीगर' में जीता था।

2. 'स्वदेश' (2004)
यकीनन यह शाहरुख की सर्वश्रेष्ठ फिल्मों में से एक है। शाहरुख इसमें एक साधारण इंसान के रूप में नजर आए। न फिल्म में खूब ग्लैमर था न ही चमक-धमक। मोहन भार्गव का कैरेक्टर उनके 'राज' या 'राहुल' के रूप में उनकी सभी रोमांटिक भूमिकाओं से एकदम अलग था। मोहन की ताकत उनकी सादगी से आई और उनकी वीरता समाज में बदलाव लाने से पैदा हुई। यह भूमिका शाहरुख से मीलों दूर थी जिसने अपनी महिलाओं को खेतों में रोमांस करने या खलनायक के सामने अपना स्वैग दिखाने की कोशिश की। यह उनका सबसे सरल और उनके जोन से हटके प्रदर्शन था, और यही कारण है कि यह आज तक इतना खास बना हुआ है।

3. 'चक दे! इंडिया' (2007)
भारतीय सिनेमा की सबसे बेहतरीन और सबसे सम्मानित फिल्मों में से एक, 'चक दे! India' अभी भी SRK की क्लाॅस फिल्मों में से एक है, जिसे उनके नफरत करने वाले भी सहमत होंगे। फिल्म ने जेंडर बायस्नेस्ड, कम्यूनल हेट और खेलों में संस्थानों की राजनीति जैसे मुद्दों को उठाया। उन्होंने कबीर खान नाम के एक स्टार हॉकी खिलाड़ी की भूमिका निभाई, जो बाद में टीम से बाहर होने के बाद महिला हॉकी टीम के कोच बन गए और पाकिस्तान के खिलाफ एक गेम हारने के लिए समाज से दूर हो गए। यह शाहरुख की उन चुनिंदा फिल्मों में है जिसमें किंग ऑफ रोमांस ने बिल्कुल भी रोमांस नहीं किया और फिल्म सुपरहिट रही। इसमें उन्हें एक और सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फिल्मफेयर पुरस्कार मिला।

4. 'माई नेम इज खान' (2010)
फिल्म एक संवेदनशील विषय पर आधारित है और शाहरुख ने इसमें शानदार प्रदर्शन किया है। हालाँकि यह फिल्म सामाजिक नाटक की शैली से संबंधित थी, लेकिन इसमें रोमांस का एक मामूली सबप्लॉट था। हालांकि, ऑटिस्टिक रिजवान खान के रूप में शाहरुख की भूमिका, जो अपने बेटे की मृत्यु के बाद, यूएसए के राष्ट्रपति से मिलने के लिए यात्रा पर निकल पड़े, उन्होंने दर्शकों के सामने एक अभिनेता के रूप में उनकी क्षमता को मजबूत किया। फिल्म 9/11 के बाद इस्लामोफोबिया के विषय पर भी प्रकाश डालती है। उन्होंने उस चरित्र को अपार गौरव प्रदान किया, जो बिना किसी दया या सहानुभूति के दिल के तार खींच लेता है।

5. 'डॉन' फ्रेंचाइजी (2006 और 2011)
'डॉन' फ्रैंचाइजी का निर्देशन फरहान अख्तर ने किया था, जिसमें शाहरुख ने डॉन की भूमिका निभाई। अमिताभ बच्चन द्वारा निभाए गए डाॅन कैरेक्टर को दोबारा बड़े पर्दे पर लाने का काम शाहरुख ही कर सकते थे। यह बॉलीवुड के कुछ रीमेक में से एक था, जो न केवल सफल रहा, बल्कि फैंस द्वारा भी खूब पसंद किया गया।

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