-शुभ संयोग में पूजन करने से होगी मां लक्ष्मी की विशेष कृपा

-शाम 5.41 के बाद प्रदोष काल में बन रहा है पूजन का योग

-पूजन विधि से बदल जाएगी ग्रह-नक्षत्रों की दिशा और दशा

ALLAHABAD: हर ओर जगमगाती रोशनी, आसमान में तारों के साथ मनमोहक छटा बिखेरती आतिशबाजी और हर चेहरे पर चमकती मुस्कान। कुछ ऐसा ही नजारा होता है शुभ सौभाग्य के सबसे बड़े प्रतीक माने जाने वाले त्योहार दीपावली का। उत्साह और उमंग के साथ सबसे जरूरी है दीपावली पर सही विधि से पूजन करना। ऐसा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं जिससे ग्रह-नक्षत्रों के चाल के साथ लोगों को भाग्य तक बदल जाता है। इससे धन, वैभव व ऐश्वर्य की बरसात होती है। इस बार दीपावली पर सौभाग्य, बुधादित्य व धाता योग बन रहा है। ये तीनों योग बहुत ही विशेष हैं। इन योगों में की गई लक्ष्मी पूजा से हर प्रकार के सुखों की प्राप्ति संभव है। ये योग धन लाभ के लिए भी बहुत शुभ माने जाते हैं। अनाज, किराना, धातु व राजनीति से जुड़े लोगों के लिए ये योग बहुत खास रहेंगे। दीपावली पर कैसे करें गणेश लक्ष्मी की पूजा, पूजन का क्या है विधान और क्या-क्या बरतें सावधानी। आइए जानते हैं

सजाएं मां लक्ष्मी की चौकी

दीपावली पूजा के लिए मां लक्ष्मी की चौकी विधि-विधान से सजाई जानी चाहिए। ज्योतिषाचार्य अशोक वाष्र्णेय बताते हैं कि चौकी पर लक्ष्मी व गणेश की प्रतिमाओं इस प्रकार स्थापित करें कि उनका मुख पूर्व या पश्चिम में रहे। कलश को लक्ष्मी जी के पास चावल पर रखें। नारियल को लाल वस्त्र में इस प्रकार लपेटें कि नारियल का आगे का भाग दिखाई दे और इसे कलश पर रखें। यह कलश वरुणदेव का प्रतीक है। अब दो बड़े दीपक रखें। एक घी व दूसरे में तेल का दीपक लगाएं। एक दीपक चौकी के दाहिनी ओर रखें एवं दूसरा मूर्तियों के चरणों में। इसके अतिरिक्त एक दीपक गणेशजी के पास रखें।

तीन थालियां सजाएं

पूजा की थाली के संबंध में शास्त्रों में उल्लेख किया गया है कि लक्ष्मी पूजन में तीन थालियां सजानी चाहिए।

पहली थाली में 11 दीपक समान दूरी पर रखें कर सजाएं। दूसरी थाली में पूजन सामग्री इस क्रम से सजाएं- सबसे पहले धानी (खील), बताशे, मिठाई, वस्त्र, आभूषण, चंदन का लेप, सिंदूर कुमकुम, सुपारी और थाली के बीच में पान रखें। तीसरी थाली में इस क्रम में सामग्री सजाएं- सबसे पहले फूल, दूर्वा, चावल, लौंग, इलाइची, केसर-कपूर, सुगंधित पदार्थ, धूप, अगरबत्ती, एक दीपक। इस तरह थाली सजा कर लक्ष्मी पूजन करें।

इस विधि से करें पूजन

पूजन करने से पहले पूजा स्थल को पवित्र कर लें। श्रद्धा-भक्तिपूर्वक शाम के समय शुभ मुहूर्त में महालक्ष्मी व भगवान श्रीगणेश की पूजा करें। दीपावली पूजन के लिए किसी चौकी अथवा कपड़े के पवित्र आसन पर गणेशजी के दाहिने भाग में माता महालक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें। श्रीमहालक्ष्मीजी की मूर्ति के पास ही एक साफ बर्तन में केसरयुक्त चंदन से अष्टदल कमल बनाकर उस पर कुछ मुद्रा रखें तथा एक साथ ही दोनों की पूजा करें।

गणेश-लक्ष्मी पूजन के लिए पूर्व या उत्तर की मुंह करके बैठें।

-अपने ऊपर तथा पूजा-सामग्री पर पढ़कर जल छिड़कें।

-उसके बाद जल-चावल लेकर पूजन का संकल्प करें।

-बाएं हाथ में चावल लेकर दाहिने हाथ से उन चावलों को प्रतिमा पर छोड़ते हुए सर्वप्रथम भगवान श्रीगणेश की पूजा करें।

-इसवके बाद कलश पूजन तथा षोडशमातृका (सोलह देवियों का) पूजन करें। इसके बाद प्रधान पूजा में मंत्रों द्वारा भगवती महालक्ष्मी का षोडशोपचार पूजन करें।

कुबेर पूजन

गणेश-लक्ष्मी का पूजन करने के पश्चात तिजोरी व रुपए रखे जाने वाले संदूक के ऊपर स्वस्तिक का चिह्न बनाएं और फिर भगवान कुबेर का आह्वान करें। प्रार्थना कर हल्दी, धनिया, कमलगट्टा, रुपए, दूर्वादि से युक्त थैली तिजोरी मे रखें।

ऐसे करें मां लक्ष्मी की आरती

आरती के लिए एक थाली में स्वास्तिक आदि मांगलिक चिह्न बनाकर चावल तथा फूलों के आसन पर शुद्ध घी का दीपक जलाएं। एक अलग थाली में कर्पूर रख कर पूजन के स्थान पर रखें। आरती की थाली में ही एक कलश में जल लेकर स्वयं पर छिड़क लें। पुन: आसन पर खड़े होकर अन्य पारिवारजनों के साथ घंटी बजाते हुए महालक्ष्मीजी की आरती करें।

ऊं जय लक्ष्मी माता, जय लक्ष्मी माता।

तुमको निसिदिन सेवत हर विष्णु-धाता।। ऊं।।

उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग माता।

सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋ षि गाता।। ऊं।।

दुर्गारूप निरंजनि, सुख-सम्पत्ति दाता।

जो कोई तुमको ध्यावत, रिद्धि-सिद्धि धन पाता।। ऊं।।

तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता।

कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधिकी त्राता।। ऊं।।

जिस घर तुम रहती, तहँ सब सद्गुण आता।

सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता।। ऊं।।

तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न हो पाता।

खान-पान का वैभव सब तुमसे आता।। ऊं।।

शुभ-गुण-मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता।

रत्न चतुर्दश तुम बिन कोई नहीं पाता।। ऊं।।

महालक्ष्मी(जी) की आरती, जो कोई नर गाता।

उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता।। ऊं।।

इस समय पर करें पूजन

दीपावली पर अमावस्या रात्रि 10.08 बजे तक रहेगी। दीपावली के पूजन का मुख्य काल प्रदोष काल माना गया है। इस दिन प्रदोष काल रहने से स्थिर लग्न और ज्यादा बलवती हो जाएगी। इस दिन प्रदोष काल शाम 5.41 बजे से रात्रि 8.15 बजे तक है। स्थिर लग्न में पूजन करने वाले के लिए प्रथम स्थिर लग्न वृष सायं 5.48 बजे से 7.43 बजे तक रहेगी। दूसरी स्थिर लग्न सिंह अ‌र्द्धरात्रि के बाद 12.15 बजे से रात्रि 02.29 बजे तक। महानिशीथ काल रात्रि 10.43 बजे से रात्रि 01.15 बजे तक रहेगा।

चैघडि़या मुहूर्त- चैघडि़या मुहूर्त के अनुरागियों को लाभ का समय रात्रि 7.19 बजे से रात्रि 11.57 बजे तक। इस लग्न में शुभ, अमृत, चर की चैघडि़या प्राप्त हो रही है। इस अवधि में महालक्ष्मी कुबेरादि व खाता पूजन करना सर्वथा हितकारी रहेगा।

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देवी लक्ष्मी को लगाएं इन पांच चीजों का भोग, तो होगी विशेष कृपा

मखाना-

धर्म ग्रंथों के अनुसार माता लक्ष्मी की उत्पत्ति भी समुद्र यानी पानी से ही हुई है और मखाना भी पानी में ही पैदा होता है। इसलिए माता लक्ष्मी को मखाने का भोग लगाने से वे अति प्रसन्न होती हैं।

सिंघाड़ा-

सिंघाड़ा एक तरह का मौसमी फल है। इसका उपरी आवरण काला व थोड़ा सख्त होता है। इसके अंदर के गूदे को खाया जाता है। इसकी भी खेती तालाब के पानी में की जाती है। इसलिए इसे जल सिंघाड़ा भी कहते हैं। दीपावली के समय यह बाजार में खूब मिलता है। जल से उत्पन्न होने के कारण ही यह माता लक्ष्मी को बहुत प्रसन्न है।

नारियल-

महालक्ष्मी को नारियल चढ़ाने से कई प्रकार के संकट अपने आप ही दूर हो जाते हैं और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। इसलिए दीपावली पर देवी लक्ष्मी को श्रीफल यानी नारियल का भोग जरूर लगाना चाहिए।

बताशा-

बताशे को एक तरह मिठाई भी कहा जाता है। आज के समय में भी खुशी के मौके पर बताशे बांटे जाने की परंपरा है। यह पूरी तरह से शक्कर से बनता है और शक्कर गन्ने के रस से।

खीर-

मां लक्ष्मी को खीर पसंद है। पूजन के लिए गाय के दूध से सफाई के साथ खीर बनाएं। दूध और चावल शुक्र ग्रह के द्योतक हैं। शुक्र की कृपा से भाग्योदय होता है। इसलिए लक्ष्मी पूजन में खीर का प्रयोग करना चाहिए।

ग्रह नक्षत्रम की ज्योतिषाचार्य गुंजन वाष्र्णेय के अनुसार दीपावली पर लक्ष्मी पूजन के दौरान अगर छोटी-छोटी बातों पर अमल किया जाए तो वर्ष भर सुख समृद्धि ऐश्वर्य की प्राप्ति बनी रहेगी-

-दीपावली के दिन प्रात: उठकर मिट्टी के दिये में सिंदूर और घी मिला कर लेप बनाए और पूजन स्थान में या दुकान में स्वास्तिक चिह्न या शुभ-लाभ, श्री महालक्ष्मयै नम: अंकित करें।

-दीपावली के दिन वस्तुओं को लांघना अशुभ होता है। चौक चौराहों को देख कर ही पार करें।

-लक्ष्मी पूजा के समय घर का प्रत्येक सदस्य पूजा स्थान पर मौजूद रहे।

-घर के सभी सदस्य प्रात: ही उठ कर प्रसन्न मन से घर, बरामदा आदि शुद्ध जल से धाएं

भाग्योदय और हानि का योग

बारह राशियों के लिए कैसी रहेगी दीपावली बता रहे हैं ग्रह नक्षत्रम के निदेशक ज्योतिषाचार्य आशुतोष वाष्र्णेय

मेष- व्यापार वृद्धि, धन प्राप्ति के अवसर

उपाय- महालक्ष्मी यंत्र का पूजन करें

वृष- संघर्ष के साथ धन आगमन

उपाय- कनकधारा यंत्र स्थापित करें, उसका दीपावली पर अभिषेक करें।

मिथुन- कार्यसिद्धि, धन लाभ

उपाय- प्रगति के लिए व्यापार वृद्धि यंत्र तिजोरी में स्थापित करें।

कर्क- दीपावली सावधानी पूर्वक मनाएं, वाद-विवाद कलह से बचें

उपाय- कलह निवारण यंत्र अपने पास रखें

सिंह- द्रव्य प्राप्ति सुख एवं धन लाभ

उपाय- कुबेर यंत्र की पूजा विशेष फलदायी

कन्या- मिश्रित फल शुभाशुभ योग

उपाय- श्री यंत्र स्थापित करें, किसी गरीब को भोजन कराएं।

तुला - भाग्योदय, बिगड़े कार्य बनेंगे

उपाय- बीसा यंत्र स्थापित करें

वृश्चिक- धन नाश एवं व्यय, दीपावली सावधानी पूर्वक मनाएं

उपाय- गुरु यंत्र धारण करें

धनु- विशेष लाभ का योग

उपाय- नवग्रह यंत्र को दीपावली पर स्थापित कर पूजा करें।

मकर- शुभ नए कार्य में सफलता

उपाय- कार्यसिद्धि यंत्र की सहायता अनिवार्य है

कुम्भ- भाग्योदय के अवसर

उपाय- शनि यंत्र अथवा काले घोड़े की नाल का छल्ला धारण करें।

मीन- चोट-चपेट की संभावना, सावधानी पूर्वक पटाखे जलाएं

उपाय- महामृत्युंजय यंत्र का पूजन करें।