- आरयू के फार्मेसी डिपार्टमेंट के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ। अमित कुमार ने तैयार किया है यह एंटी लार्वा

- मच्छरों के लार्वा को नष्ट करेगा, साइड इफेक्ट भी नहीं, इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी ऑफ इंडिया ने दिया एप्रिसिएशन लेटर

बरेली : एंटी लार्वा के प्रति रसिस्टेंस पॉवर बढ़ जाने के कारण मच्छरों के लार्वा पर अब इनका असर बहुत कम हो रहा है। इसका दावा कई यूनिवर्सिटी की स्टडी में किया जा चुका है। लेकिन आरयू के प्रोफेसर डॉ। अमित कुमार ने एक ऐसा एंटी लार्वीसाइड डेवलप किया है, जिससे मच्छरों के लार्वा को आसानी से नष्ट किया जा सकेगा। उन्होंने इसे हर्बल लार्वीसाइड नाम दिया है। इससे लार्वा तो नष्ट होगा ही एन्वायरमेंट पर भी इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं होगा। उनके इस शोध को इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी ऑफ इंडिया ने एप्रिसिएशन लेटर भी दिया है।

आरयू के फार्मेसी डिपार्टमेंट के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ। अमित कुमार वर्मा ने बताया कि 2018 में डिस्ट्रिक्ट में मलेरिया के पेशेंट्स की संख्या अचानक बढ़ गई थी। सबसे ज्यादा मलेरिया पेशेंट्स आंवला, बदायूं बॉर्डर, मझगवां, भमोरा और रामनगर एरिया में पाए गए थे। धान की खेती अधिक होने के कारण यहां मच्छरों के लार्वा तेजी से पनपे थे। हेल्थ डिपार्टमेंट और नगर निगम ने मच्छरों को कंट्रोल करने के लिए जगह-जगह एंटी लार्वा का छिड़काव कराया था। बावजूद इसके मलेरिया के पेशेंट्स की संख्या घटने की बजाय बढ़ती रही। जब बारिश खत्म हुई, तब मलेरिया के केसों में कमी आई। उनका मानना है कि एंटी लार्वा के छिड़काव के बाद भी मच्छरों पर इसका कोई इंपैक्ट नहीं हुआ। इससे साफ हो गया था कि एंटी लार्वा का छिड़काव उतना कारगर नहीं था, जितना होना चाहिए था।

पहले किया सर्वे

इसके बाद डॉ। अमित ने लार्वा पर एंटी लार्वा का असर देखने के लिए कई जगह सर्वे किया। इस दौरान सामने आया कि जिन जगहों पर एंटी लार्वा का छिड़काव किया गया वहां पानी में मौजूद अन्य जीव-जंतु तो नष्ट हो गए, लेकिन मच्छरों के लार्वा पर इसका कोई असर नहीं हुआ। इससे साफ हो गया कि मच्छरों के लार्वा में एंटी लार्वा कीटनाशकों के खिलाफ रसिस्टेंस पॉवर डेवलप हो गई है।

फिर ऐसे मिली सफलता

इसके बाद डॉ। अमित वर्मा ने सोचा क्यों न एक ऐसा एंटी लार्वा डेवलप किया जाए, जो लार्वा को भी नष्ट कर दे और उसका कोई साइड इफेक्ट भी न हो। तब उन्हें हर्बल लार्वीसाइड डेवलप करने का आइडिया आया। सबसे पहले उन्होंने धतूरा, नागर मोथा और कनेर को मिलाकर लार्वा पर टेस्ट शुरू किए, लेकिन ये कारगर नहीं था। फिर उन्होंने क्लोब ऑयल, वत्सनाभ आदि से हर्बल लार्वी साइड तैयार कर लार्वा पर टेस्ट किया। इसका असर ऐसा था कि सभी लार्वा नष्ट हो गए।

काफी सस्ता है एक एंटी लार्वा

डॉ। अमित ने बताया कि एक साल तक रिसर्च करने के बाद उन्हें सफलता मिली। यह हर्बल लार्वीसाइड अन्य लार्वी साइड के मुकाबले सस्ता है और इसका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं है। उनकी इस सफलता के लिए आरयू वीसी प्रो। अनिल शुक्ल और उनके साथियों ने भी उन्हें बधाई दी है।