हरकोर्टियंस के टैलेंट का डंका पूरी दुनिया में बजता है। समय और सिचुएशन की डिमांड को वो बखूबी समझते हैं। इस बार उन्होंने ऐसा इनीशिएटिव लिया है जो न सिर्फ उनके मल्टी टैलेंट को दिखाता है बल्कि उनकी थिकिंग और उनकी एप्रोच भी बताता है। एचबीटीआई के स्टूडेंट्स मिलकर एक मैगजीन को पब्लिश कर रहे हैं जिसमें साइंस के न्यूज बुलेटिन के साथ, नए-ए गैजेट, देश के टॉप इंस्टीट्यूशंस से जुड़ी हर इंफॉर्मेशन भी मिल जाएगी। करियर गाइडेंस को फोकस कर पब्लिश की जा रही इस मैगजीन की सबसे बड़ी बात है कि न तो इसका कोई एडिटर है और ना रिपोर्टर। मैगजीन स्टूडेंट्स की क्यूरोसिटी और टीम वर्क का रिजल्ट है। इसीलिए मैगजीन का टाइटल नेम भी क्यूरोसिटी।

बस निकल पड़ी राह

टीम लीडर सुबोध द्विवेदी बताते हैं कि जनवरी-2012 में क्यूरोसिटी का फस्र्ट इश्यू पब्लिश किया गया गया था। मैगजीन को इतना एप्रीसिएशन मिला कि स्टूडेंट्स मैगजीन को लेकर सीरियस हो गए। मैग्जीन को कांटीन्यू करने के लिए ग्रुप एफट्र्स शुरू हो गए। लेकिन राह में कई बड़े चैलेंजस थे जिनमें सबसे अहम फाइनेंस। लेकिन टीम का हौसला मजबूत था और इरादे पक्के, इसलिए सारे चैलेंजस दूर होते चले गए। और आज क्यूरोसिटी के कॉन्टीन्यू 14 इश्यू पब्लिश हो चुके हैं।

टीम वर्क है सक्सेस फंडा

टीम के ही दूसरे मेंबर वैभव नरूका ने बताया कि एक इश्यू निकालने में 14 हजार रुपए का खर्च आता है। हर इश्यू की करीब 500 कॉपी प्रिंट होती हैं। स्टूडेंट्स ट्यूशन पढ़ाकर, वर्कशाप में काम करके, वीडिओज और डॉक्यूमेंट्रीज बनाकर फंड कलेक्ट करते है। एड देकर भी 5 से 7 हजार रुपए स्पेस सेलिंग से मैनेज कर लेते हैं। कई बार तो स्टूडेंट्स को अपनी पॉकेट मनी भी लगानी पड़ जाती है। मगर, इसके लिए किसी को अफसोस नहीं होता। मैगजीन की सक्सेस का एक ही फंडा है टीम वर्क। जिस स्टूडेंट को जो भी एसाइनमेंट दिया जाता है वो उसे हर हाल में पूरा करता है।

पूरे सिटी में है अवेलेबल

सिटी के किसी भी प्रॉमिनेंट बुक स्टाल पर आप खड़े होंगे तो आपकी नजर 'क्यूरोसिटी' पर जरूर टिकेगी। सिटी के 57 बुक स्टाल्स पर मैग्जीन अवलेवल है। एक मैगजीन की कास्ट 50 रुपए है। इंस्टीट्यूट के फैकल्टी मेंबर्स और स्टूडेंट्स इसके परमानेंट मेंबर्स है। जिनकी संख्या करीब 250 है। ओवरऑल रीडर्स की संख्या एक हजार से ऊपर है।

फैकल्टी करते हैं हेल्प

मैग्जीन को इफेक्टिव और अधिक से अधिक यूजफुल बनाने के लिए स्टूडेंट्स न्यूज के राइटप तैयार करने के लिए बुक्स की हेल्प लेते है। मैग्जीन पढ़ते है। इंटरनेट पर घंटों सर्च करते हैं। एक्सिस करते हैं। बॉयो केमिकल इंजीनियरिंग के फॉर्मर प्रो। गोरी शंकर भी स्टूडेंट्स की पूरी हेल्प करते हैं और उन्हें मोटीवेट करते है। जरूरत पडऩे पर आर्थिक सहायता भी करते हैं। कई और भी फैकल्टी इसमें कांट्रीब्यूट करते हैं।

यूथ को देती है डायरेक्शन

क्यूरोसिटी के टीम मेंबर्स का कहना है कि मैगजीन में जो आर्टिकल्स पब्लिश होते है उसका फायदा यूथ को मिलता है। एक तरह से उन्हें करियर की दिशा भी देती है। इसमें फेमस एजुकेशनिस्ट्स व काउंसलर्स के इंटरव्यू व उनकी गाइड लाइंस भी पब्लिश की जाती है। यूथ से रिलेटेड काफी न्यूज पब्लिश की जाती है.यूथ की लाइफ स्टाइल का भी मैग्जीन में काफी ख्याल रखा गया है। एक से एक बेहतरीन गैजेट्स की जानकारी दी जाती है। स्नीकर फोन यानि की शू के सेप वाला सेल फोन, लेजी मेंस रैक  और फार्ट डिटेक्टर ऐसे ही कुछ गैजेट हैं।

ये है क्यूरोसिटी की टीम

टीम में सुबोध द्विवेदी, मयंक अग्र्रवाल, अतिओ बनर्जी, मिताली प्रसाद( सभी फाइनल इयर बायो केमिकल इंजी.),वैभव नरूका, अर्पित निगम (केमिकल इंजी थर्डइयर), गौरव चौबे( लेदर टेक्नो। थर्ड इयर), शिवम अरोड़ा, हर्षित सिंहल( केमिकल इंजी। सेकेंड इयर), शिखा पांडेय( आयल टेक्नो। सेकेंड इयर), मृदुला गोयल( फूड टेक्नो। सेकेंड इयर), असक्ति देव(लेदर टेक्नो। सेकेंड इयर),  सूरज द्विवेदी,  अमृता गोस्वामी, स्वाती वर्मा (केमिकल इंजी। फस्र्ट इयर) शामिल है। टीम में फस्र्ट इयर से लेकर फाइनल इयर तक के स्टूडेंट्स शामिल है।

दूर-दूर तक है पहुंच

इस मैग्जीन में न्यूज के छोटे-छोटे जो कैपसूल डाले गए है उनमें आईआईटी मुंबई, रुड़की, बनारस हिन्दू यूनीवर्सिटी के टेक्निकल व कल्चरल फेस्ट की जानकारी दी गयी है। मुंबई के 'वी आर पदार्थ, आईआईटी बीएचयू का 'टेक्निक्स-13 आदि यूनीवर्सिर्टीज व संस्थानों के फेस्ट की जानकारी मिल जाएगी।

क्यूरोसिटी टी शर्ट

इंस्टीट्यूट के स्टूडेंट्स ने फंड कलेक्ट करने के लिए क्यूरोसिटी नाम से टी शर्ट भी लांच की है। जिसकी कीमत 250 रुपए है। फरवरी का इश्यू परचेज करने वालों को टी शर्ट पर 20 परसेंट डिस्काउंट ऑफर दिया जा रहा है।