कानपुर। सावन माह में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को पडऩे वाली हरियाली तीज का त्योहार सुहागन स्त्रियों के लिए बहुत खास होता है। इस दिन सुहागन स्त्रियां व्रत रखती है, सोलह शृंगार करती हैं। माता-पार्वती और शिव जी की पूजा करके अपने पति की लंबी उम्र और सौभाग्य की प्रार्थना करती हैं। इस बार हरियाली तीज 23 जुलाई गुरुवार के दिन मनाई जाएगी। इसकी महत्ता भी करवा चौथ की तरह ही है। यह सावन मास का सबसे महत्वपूर्ण पर्व है। यह त्योहार प्रकृति सौंदर्य और प्रेम का पर्व है।

हरियाली तीज का शुभ मुहूर्त-
श्रावण तृतीया तिथि आरम्भ: 22 जुलाई शाम 7 बजकर 23 मिनट
श्रावण तृतीया तिथि समाप्त: 23 जुलाई शाम 5 बजकर 3 मिनट तक

हरियाली तीज पर ऐसे करें माता पार्वती और भगवान शिव की आराधना

- हरियाली तीज के दिन सुबह उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।

- उसके बाद भगवान के समक्ष मन में पूजा, व्रत करने का संकल्प लें। पूरे घर की अच्छी तरह से साफ-सफाई करने के बाद तोरण से मंडप सजाएं।

- एक चौकी या पटरी पर मिट्टी में गंगाजल मिलाकर शिवलिंग, भगवान गणेश, माता पार्वती की प्रतिमा के साथ उनकी सखियों की प्रतिमाएं बनाएं।

- इसके बाद फिर प्रतिमाओं के सम्मुख आवाह्न करें और गंगाजल और दूध से अभिषेक करें। इसके बाद फल, फूल, अक्षत, मिष्ठान और वस्त्र अर्पित करें। फिर माता पार्वती को शृंगार का सामान अर्पित करें और हरियाली तीज की कथा सुनें।
-इसके बाद पार्वती सौभाग्य मंत्र
'हे गौरी शंकरार्धांगि यथा त्वं शंकर प्रिया।
मां कुरु कल्याणी कांत कांता सुदुर्लभा।।
का जाप करें। मान्यता है कि अगर सुहागिनें इस मंत्र का जाप करें तो उनका सुहाग अखंड रखता है। इसके बाद आरती करें।

हरियाली तीज व्रत की कथा-
हरियाली तीज व्रत की पौराणिक कथा है कि एक दिन भगवान शिव माता पार्वती को अपने मिलन की कथा सुनाते हैं। वे बताते हैं पार्वती तुमने मुझे अपने पति रूप में पाने के लिए 107 बार जन्म लिया, लेकिन मुझे पति के रूप में पा न सकीं। 108 वीं बार तुमने पर्वतराज हिमालय के घर जन्म लिया। उन्होंने कहा कि देवी तुमने हिमालय पर मुझे वर के रूप में पाने के लिए घोर तप किया था। इस दौरान तुमने अन्न-जल त्याग कर सूखे पत्ते का आहार ग्रहण करके दिन व्यतीत किया। तमाम अड़चने आईं, लेकिन वह तुम्हारे तप में बाधा नहीं पहुंचा सकीं। तुम वन में एक गुफा के भीतर पूरी श्रद्धा और निष्ठा से मेरी आराधना में लीन थीं। तुम्हारी भक्ति और तप की इसी भावना ने मुझे वशीभूत कर लिया और मैंने तुमको अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार करके तुमको मनवांछित फल दिया।

माता पार्वती की आराधना इन मंत्रों से करना का है श्रेष्ठ
ऊं उमायै नम:
ऊं पार्वत्यै नम:
ऊं जगद्धात्र्यै नम:
ऊं जगत्प्रतिष्ठयै नम:
ऊं शांतिरूपिण्यै नम:
ऊं शिवायै नम:

भगवान शिव की आराधना इन मंत्रों से करें-

ऊं हराय नम:
ऊं महेश्वराय नम:
ऊं शम्भवे नम:
ऊं शूलपाणये नम:
ऊं पिनाकवृषे नम:
ऊं शिवाय नम:
ऊं पशुपतये नम:
ऊं महादेवाय नम: