पिछले दिनों पता चला था कि राबर्ट वाड्रा और डीएलएफ के बीच हुई कंट्रोवर्शियल लैंड डील के इंवेस्टिगेशन से रिलेटेड इवेस्टिगेशन के डाक्युमेंटस वाली फाइल के कुछ पेजेस मिसिंग हैं जिसके बाद इन पेपर्स को तलाशने की कवायद स्टार्ट हुई. लेकिन न तो गवरमेंट की साइड से अप्वाइंट किए गए इंवेस्टिगेशन ऑफीशियल्स इन डाक्युमेंटस का पता लगा सके और ना ही ये राइट टू इंफार्मेशन का यूज कर इन्फार्मेशन कलेक्ट करने वाले मोहाली के एक्टिविस्ट के पास ही अवेलेबल हैं.

स्टेट इंफार्मेशन कमीशन में भी इन मिसिंग डाक्युमेंटस का कोई रिकॉर्ड अवेलेबल नहीं है. चीफ सेकेरट्री ऑफिस के चीफ मिनिस्टर सेकेटेरियट में अप्वाइंट अंडर सेक्रेटरी मिसिंग डाक्युमेंटस का पता लगाने के लिए पिछले दस दिन से जांच में जुटे हैं. सरकार की ओर से इंवेस्टिगेशन ऑफीशियल्स को दो दिन का टाइम और दे दिया गया है. सारा मामला उस टाइम से स्टार्ट हुआ जब कांसोलिडेशन डिपार्टमेंट में उस टाइम डायरेक्टर जनरल डा. अशोक खेमका ने गुडग़ांव के शिकोहपुर में वाड्रा-डीएलएफ के बीच हुई करीब साढ़े तीन एकड़ लैंड की डील को रिजेक्ट कर दिया था, जिसके बाद आइएएस कृष्ण मोहन के अंडर में राजन गुप्ता और केके जालान की एक थ्री पैनल इंवेस्टिगेशन टीम बनाई गई जिसने अशोक खेमका के डिसीजन कई सवाल उठाते हुए इस लैंड डील को सही डिक्लेयर कर दिया और खेमका के अगेंस्ट चार्जशीट फाइल कर दी.

अब वाड्रा-डीएलएफ डील से जुड़ी फाइल के जिन दो पेजेस के मिसिंग होने की बात कही जा रही है, उन पर इसी जांच कमेटी का डिटेल रजिस्टर है. खेमका ने स्टेट गवरमेंट को खुद इन पेजेस के मिसिंग होने की इंफार्मेशन दी थी, जिसके बाद सीएम ने दस दिन में इंवेस्टिगेशन रिपोर्ट सौंपने के ऑर्डर दिए. मंडे को ये दस दिन बीतने के बाद भी पेपर्स नहीं मिले.

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