-आपदा के वक्त पूर्व विजय बहुगुणा की लापरवाही से पुत्र साकेत के माथे पर पड़ा बल

-टिहरी लोस क्षेत्र के दूर-दराज इलाकों में बहुगुणा परिवार से बेहद नाराज हैं लोग

-नेतृत्व परिवर्तन के बाद भी कम नहीं हो पा रही कांग्रेस की मुश्किलें

-आपदा में हुई बदइंतजामी से दो खेमों में बंटी कांग्रेस के सामने भीतरघात का भी सबसे बड़ा खतरा

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DEHRADUN : देश के प्रसिद्ध शायर मुन्नवर राना ने राजनीति पर तंज कसते हुए किसी वक्त लिखा था कि

बुलंदी देर तक किस शख्स के हिस्से में रहती है

बहुत ऊंची इमारत हर घड़ी खतरे में रहती है।

कुछ ऐसा ही साकेत बहुगुणा के साथ हो रहा है। पिता जी जब मुख्यमंत्री थे तो छोटे सरकार के नाम से खूब शोहरत बटोरी थी। तमाम फैसलों में सीधे तौर पर छोटे सरकार की भूमिका रहती थी। आपदा के दौरान छोटे सरकार ने अपनों पर खूब रहम बरसाए। पर यही आपदा अब टिहरी लोकसभा सीट पर उनके लिए नासूर बन गया है। चार धाम यात्रा शुरू होते ही ये जख्म अब स्पष्ट रूप से सामने आने लगे हैं। साथ ही इस जख्म से कराह रहे लोगों की बातें भी मीडिया के जरिए सामने आने लगी है। ऐसे में टिहरी लोकसभा सीट पर जीत की दावेदारी कर रही कांग्रेस की स्थिति हर तरीके से कमजोर नजर आने लगी है। सबसे बड़ा खतरा कांग्रेस के अंतकर्लह से भी है। मुख्यमंत्री हरीश रावत पत्‍‌नी रेणुका रावत की जीत के लिए हरिद्वार सीट पर वन मैन शो की तरह डटे हुए हैं। ऐसे में टिहरी सीट का कोई खेवनहार नजर नहीं आ रहा। राजनीतिक पंडितों की नजर में सबसे अधिक आश्चर्यजनक है पूर्व मुख्यमंत्री और साकेत बहुगुणा के पिता विजय बहुगुणा का खामोश रहना। पुत्र के प्रचार के लिए वे अब तक खुले तौर पर सामने नहीं आ पाए हैं और न ही क्षेत्र के लोगों के बीच जा रहे हैं।

क्यों दें कांग्रेस को वोट?

सबसे बड़ा सवाल तभी पैदा हो गया था जब विजय बहुगुणा से मुख्यमंत्री की कुर्सी छीन ली गई थी। आपदा में खुली लूट और लापरवाही के आरोप से बुरी तरह घिरे हुए बहुगुणा को हटाकर कांग्रेस नेतृत्व ने भले ही राज्य की जनता को एक अच्छा मैसेज दिया। पर आपदा के जख्म इतने जल्दी नहीं भर सकते। शायद यही कारण है कि बीजेपी ने मुख्यमंत्री के बदलाव को एक हथियार के रूप में इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है।

सतपाल महाराज के तेवर

कांग्रेस से अलग होकर बीजेपी का दामन थामने वाले कद्दावर नेता सतपाल महाराज ने भी कांग्रेस की नैय्या डुबोने में कोई कसर बाकी नहीं रखी है। पिछले दिनों बीजेपी मुख्यालय में मीडिया से बातचीत में उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री पर खूब तीर चलाए, जो अब तक जारी हैं। महाराज ने कहा कि आपदा के दौरान और उसके बाद राहत कार्यो में जिस तरह की लापरवाही सामने आई वह उत्तराखंड की जनता कभी नहीं भूलेगी। टिहरी लोकसभा से प्रत्याशी विजय बहुगुणा के पुत्र साकेत बहुगुणा पर भी उन्होंने हमला बोला था। बहुगुणा सरकार के दौरान छोटे सरकार के रूप में जिस तरह साकेत ने अपनी मनमर्जी चलाई उसने भी कांग्रेस के अंदर ही बगावती तेवर पैदा कर दिए हैं।

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हर तरफ निगेटिव जोन

टिहरी लोकसभा का क्षेत्र काफी बड़ा है। एक तरफ जहां इस सीट पर विकासनगर, चकराता और जौनसार का इलाका आता है तो वहीं दूसरी तरफ उत्तरकाशी का बड़ा क्षेत्र भी इस लोकसभा में शामिल है। उत्तरकाशी और जौनसार के इलाके में आपदा के दौरान काफी नुकसान हुआ था। लोगों ने कड़ाके की ठंड में कांग्रेस सरकार को कोसते दर्द के घूंट पीते हुए रातें गुजारीं। अब जब वोटिंग का वक्त आया है तो लोग भी दो-दो हाथ के लिए तैयार हैं। कद्दावर नेता सतपाल महाराज पहले से ही कांग्रेस के खिलाफ आग उगल रहे हैं, जबकि राज्य में मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा को प्रदेश में सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा बीते साल आई आपदा ही मुख्य हथियार के रूप में हाथ लगी है। ऐसे में तमाम कवायद के बाद भी टिहरी लोकसभा में कांग्रेस के लिए हर तरफ बीते वर्ष क्म् व क्7 जून को आए आपदाग्रस्त जोन में निगेटिव जोन ही नजर आ रहा है।

टिकट में लेट-लतीफी की वजह

कांग्रेस प्रदेश में पांच लोकसभा सीटों के बंटवारे में पहले ही पिछड़ गई थी। मीडिया में आई खबरों व जनता की रिएक्शन के बाद करीब एक महीने के उपरांत टिहरी व पौड़ी के सीट पर कांग्रेस के प्रत्याशियों का चयन हो पाया। एक बार तो पहले पूर्व सीएम विजय बहुगुणा और उसके बाद उनके पुत्र साकेत बहुगुणा ने चुनाव लड़ने से ही इनकार कर दिया। लाख कोशिशों के बाद बमुश्किल साकेत तैयार हो पाए। इसकी वजह भी साफ थी कि चुनाव में आपदा की करतूत उनके लिए यकीनन सबसे बड़ी बाधा होगी।

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टिहरी लोकसभा क्षेत्र के लोगों का दर्द

-समय पर नहीं हुआ सड़कों का निर्माण

-मुआवजा बंटवारे में खूब चली मनमर्जी

-मुआवजों का हुआ असामान्य बंटवारा

-कई आपदा पीडि़त नहीं आ सके दायरे में

-राहत सामग्री बांटने में हुआ खेल

-स्थानीय लोगों को किया गया इग्नोर

-कड़ाके की ठंड में भी नहीं पूछा हालचाल

-आज भी कई गांव के लोग हैं बेसहारा

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खुद होते गए करोड़पति

कहते हैं रुपया ही रुपया को पैदा करता है। पर जब बात राजनेताओं की आती है तो रुपया पैदा करने के सारे फॉर्मुले धरे के धरे ही रह जाते हैं। एक तरफ जहां पूरे प्रदेश की जनता आपदा से कराह रही थी वहीं दूसरी तरह टिहरी लोकसभा प्रत्याशी साकेत बहुगुणा की झोली भरती जा रही थी। यह हम नहीं, बल्कि आयोग के सामने उनके शपथ पत्र में दर्ज चल और अचल संपत्ति गवाही देने को काफी है। लोकसभा चुनाव की घोषणा के बाद तो विपक्ष के पास आपदा और साकेत की कमाई ही प्रमुख मुद्दा है। एक बार फिर टिहरी से कांग्रेस प्रत्याशी साकेत बहुगुणा की संपत्ति का जिक्र आप भी देख लीजिए। सिर्फ क्8 महीने में ही इन्होंने दस करोड़ से अधिक की कमाई की। साल ख्0क्ख् की एफिडेविट के अनुसार साकेत की कुल चल संपत्ति निन्नावे लाख तिरासी हजार दो सौ सत्तावन रुपए थी। वहीं ख्0क्ब् में चल संपत्ति ग्यारह करोड़ चार लाख तीस हजार तीन सौ इकतालिस रुपए हो गई।