PRAYAGRAJ: महाश्वेता देवी के गंभीर विषय पर लिखे उपन्यास 'हजार चौरासी की मां' का बेहतरीन मंचन रविवार को गोल्डन जुबिली के रवीन्द्रालय प्रेक्षागृह में हुआ। 1970 के दशक में तत्कालीन राजनीतिक और सामाजिक व्यवस्था के खिलाफ युवा विद्रोहियों के तेवर किस कदर रहे यह हजार चौरासी की मां नाटक में देखने को मिला।

नाटक 'हजार चौरासी की मां' आर्थिक, सामाजिक तथा राजनैतिक व्यवस्था को नकारते और अपनी आवाज बुलंद करते विद्रोही युवा वर्ग की कहानी है। जिसमें महाश्वेता देवी ने 1970 के दशक में इस आंदोलन के चलते टूटते-बिखरते परिवारों की मनोभावना को रेखांकित किया है। विशाल, राजू और ऐसे न जाने कितने अन्य युवाओं ने व्यवस्था में बदलाव के लिए जो कुर्बानी दी, उनके घर वालों पर क्या गुजरती है यह लाश संख्या 1084 के पास बैठी मृत युवक की मां सुजाता देवी की स्थिति को देखकर महसूस किया जा सकता है। विनोद रस्तोगी स्मृति संस्थान ने कुछ समय की खामोशी को धमाकेदार अंदाज में तोड़ा। अजय मुखर्जी निर्देशित इस नाटक को दर्शकों की खूब प्रशंसा मिली। प्रयागराज की वरिष्ठ रंगकर्मी पूजा ठाकुर ने लाश संख्या 1084 की मां' के अभिनय को बेहद खूबसूरती से निभाया। अन्य कलाकारों में अभिलाष नारायण, अक्षत अग्रवाल, शोभा मंडल, सौरभ शुक्ला, शुभ्रा मंडल आदि के अभिनय को भी दर्शक दीर्घा से प्रशंसा मिली। लगभग 75 मिनट तक दर्शक टकटकी लगाए नाटक को देखते रहे।