नई दिल्ली (पीटीआई)दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को फेसबुक, ट्वीटर और गूगल जैसे सोशल मीडिया पर वायरल हो रही फेक न्यूज और हेट स्पीच को हटाने के लिए उसकी राय मांगी है। चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस हरि शंकर की बेंच ने गृह मंत्रालय, वित्त मंत्रालय और सूचना तकनीक मंत्रालय से तीनों सोशल मीडिया पर चल रहे फेक न्यूज और हेट स्पीच हटाने को लेकर उनकी राय पूछी है। हाईकोर्ट की यह खंडपीठ आरएसएस के पूर्व विचारक केएन गोविंदाचार्य की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस मामले की अगली सुनवाई 14 अप्रैल को होनी है।

दलील में कहा सोशल मीडिया बताए भारत में उनके कौन अधिकारी

गाेविंदाचार्य की ओर से दिल्ली हाईकोर्ट में एडवोकेट विराग गुप्ता ने उनकी दलील पेश की। उन्होंने कोर्ट से यह निर्देश जारी करने को कहा कि तीनों सोशल मीडिया आईटी रूल के तहत यह बताएं कि भारत में उनके अधिकृत अधिकारी कौन हैं। साथ ही उन्होंने कोर्ट ने तीनों मंत्रालयों को यह भी निर्देश जारी करने के लिए कहा कि वे सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर वायरल हो रहे फेक न्यूज और हेट स्पीच को तत्काल प्रभाव से हटाएं। केंद्र सरकार का पक्ष रखने के लिए अनुराग अहलूवालिया कोर्ट में थे।

हेट स्पीच के लिए जन्नत बना सोशल मीडिया प्लेटफार्म

याचिका में कहा गया है कि सोशल मीडिया प्लेटफार्म हेट स्पीच के लिए जन्नत बन गया है। सोशल मीडिया प्लेटफार्म के अधिकारियों की जानकारी न होने की वजह से उन्हें हटाने के लिए साफ तौर पर कोई मैकेनिज्म नहीं है। सोशल मीडिया पर पारदर्शी व्यवस्था के अभाव में लोगों को न्याय भी नहीं मिल पाता। सोशल मीडिया दंगों के लिए एक हथियार की तरह काम नहीं करना चाहिए। हालांकि सोशल मीडिया यह दावा करते हैं कि वे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मंच हैं। याचिका में कहा गया है कि इन मंचों पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर भारतीय कानूनों का दुरुपयोग किया जाता है।

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