कानपुर। साल 1996 के लोकसभा चुनाव में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी ने 161 सीटें हासिल की थीं लेकिन वह लोकसभा में बहुमत से काफी दूर थी। सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरने के कारण भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने अटल जी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया। चुनाव आयोग की आधिकारिक वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार, मई, 1996 में अटल बिहारी वाजपेयी ने पीएम पद की शपथ ली लेकिन लोकसभा में वह पर्याप्त समर्थन हासिल नहीं कर पाए। इसलिए सिर्फ 13 दिन बाद ही उनकी सरकार गिर गई। बीजेपी की सरकार गिरने का फायदा कांग्रेस को मिला क्योंकि तब भाजपा के बाद कांग्रेस ही दूसरी सबसे बड़ी पार्टी थी। इसने चुनाव में 140 सीटों पर जीत दर्ज की थी।

जब सिर्फ 46 सीटों के बावजूद एचडी देवगौड़ा बन गए प्रधानमंत्री

कांग्रेस के सपोर्ट से बने पीएम

1996 के लोकसभा चुनाव में 'जनता दल' तीसरी बड़ी पार्टी थी क्योंकि इसके पास तब 46 सीटें थीं। कांग्रेस ने उस वक्त जनता दल से हाथ मिलाया और अपने किसी नेता का नाम आगे नहीं बढ़ाकर जनता दल के एचडी देवगौड़ा को यूनाइटेड फ्रंट का नेता चुना। बता दें कि जिस यूनाइटेड फ्रंट के नेता एचडी देवगौड़ा चुने गए थे, उसमें 13 पार्टियां शामिल थीं और इसमें सांसदों की संख्या 192 थी। इस तरह से यूनाइटेड फ्रंट ने कांग्रेस के साथ मिलकर आसानी से केंद्र में अपनी सरकार बना ली और एचडी देवगौड़ा लोकसभा में सिर्फ 46 सीटों के बावजूद भारत के प्रधानमंत्री बन गए। खास बात यह है कि उन्होंने इस लोकसभा चुनाव में किसी सीट से चुनाव भी नहीं लड़ा था। हालांकि, उनकी सरकार ज्यादा दिनों तक नहीं चल पाई, करीब 10 महीनें बाद कांग्रेस ने अपना समर्थन वापस ले लिया और देवगौड़ा की सरकार गिर गई। बता दें कि प्रधानमंत्री बनने से पहले एचडी देवगौड़ा कर्नाटक के मुख्यमंत्री थे।

जब सिर्फ 46 सीटों के बावजूद एचडी देवगौड़ा बन गए प्रधानमंत्री

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