JAMSHEDPUR: महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल में आउटसोर्स पर तैनात करीब चार सौ हेल्थ वर्कर्स ने स्ट्राइक शुरू कर दी। इससे इससे पेशेंट्स को इलाज में परेशानी हुई। अलग-अलग वार्डो में भर्ती मरीजों को दवा, इंजेक्शन के लिए घंटों इंतजार करना पड़ा। बाद में अस्पताल की स्थायी नर्सो द्वारा बारी-बारी से सभी मरीजों को देखा गया। हड़ताल में 295 स्टाफ नर्स, 16 फार्मासिस्ट व 70 टेक्नीशियन शामिल हैं। इसमें लैब, ओटी, एक्सरे व ईसीजी टेक्नीशियन शामिल है। उनकी मांग है कि जुलाई व अगस्त का वेतन तत्काल दिया जाए तो वहीं सरकार द्वारा बढ़ाई गई वेतन ही दिया जाए। फिलहाल एजेंसी द्वारा इन्हें वेतन के रूप में नौ हजार रुपये मिलते हैं। जबकि बढ़ी राशि के अनुसार कर्मचारियों को प्रतिमाह दस हजार 850 रुपये मिलने है। इसके साथ ही कर्मचारियों ने यह भी कहा कि बीते पांच माह से उनका पीएफ, ईएसआई को अपडेट नहीं किया गया है। इसके लिए तीन बार डीसी को पत्र लिखा गया, इसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई। कर्मचारियों का कहना है कि जबतक उनकी मांगे पूरी नहीं होती तबतक उनका हड़ताल जारी रहेगा। गुरुवार को वे लोग उपायुक्त से मिलकर अपनी मांगों को रखेंगे। उसके बाद आगे की रणनीति तैयार करेंगे।

नहीं माने हेल्थ वर्कर्स

कर्मचारियों की हड़ताल को देखने हुए एमजीएम अधीक्षक डॉ। आरके मंधान खुद उनके पास गए और एक सप्ताह के अंदर वेतन दिलाने का आश्वासन दिया। लेकिन, इसके बावजूद वे लोग नहीं माने। इस दौरान शिवा प्रोटेक्शन फोर्स प्राइवेट लिमिटेड एजेंसी के पदाधिकारी भी मौजूद थे। एजेंसी के पदाधिकारियों का कहना है कि उन्हें मार्च से सरकार द्वारा फंड उपलब्ध नहीं कराया गया है। इसके बावजूद भी एक सप्ताह के अंदर वे लोग सभी कर्मचारियों को वेतन दे देंगे। इसका लिखित भी देने को तैयार थे लेकिन आउटसोर्स कर्मचारी नहीं माने।

वार्ड में एक भी नर्स नहीं

रात के वक्त वार्डो में कोई भी सीनियर-जूनियर नर्स तैनात नहीं थी। इससे मरीज अकेले पड़ गए थे। सभी नर्स के ड्यूटी रूम में ताला लटका हुआ था। इस दौरान अगर किसी मरीज की स्थिति गंभीर होती तो उसे इलाज मिलना मुश्किल हो जाता। कारण, कि वार्ड में एक भी नर्स तैनात नहीं थे और जिनके भरोसे अस्पताल चल रहा है वह हड़ताल में थी। अस्पताल में 275 स्थायी नर्सो की जरूरत है, जबकि इनके स्थान पर मात्र 52 नर्स ही तैनात हैं।

अस्पताल में कर्मचारी उपलब्ध कराना एजेंसी का काम है। अगर, एजेंसी उपलब्ध नहीं करा पाता है या मरीजों को किसी तरह की परेशानी हुई तो विभाग संबंधित एजेंसी को काली सूची में डाल देगा। इस संदर्भ में स्वास्थ्य सचिव डॉ। नीतिन मदन कुलकर्णी से भी बात हुई है।

- डॉ आरके मंधान, सुपरिंटेंडेंट, एमजीएम हॉस्पिटल