केस स्टडी:1

-शहर के सुपर सिटी का रहने वाला 10 वर्षीय मासूम एक निजी स्कूल में क्लास 4 स्टूडेंट है। पढ़ाई में काफी अच्छा है, लेकिन कुछ दिन पहले अचानक से उसके सिर में दर्द होने लगा। साथ ही कंधों में भी दर्द की शिकायत होने लगी। डॉक्टर के पास ले जाने पर पता चला कि उसे भारी बैग की वजह से यह सब प्रॉब्लम हुई है। शहर के डॉक्टरों से इलाज कराने पर राहत नहीं मिली तो पीजीआई लखनऊ ले गए। जहां पर डॉक्टरों ने ट्रीटमेंट शुरू किया। साथ ही उन्होंने साफ हिदायत दी कि बस्ता नहीं टांगना है। इसलिए परेंट्स ने मासूम के लिए ट्रॉली बैग ले लिया। साथ ही इलाज भी करा रहे हैं।

केस स्टड़ी: 2

शहर के पीलीभीत रोड स्थित फईक इंक्लेब निवासी एक बिजनेस मेन का बेटा क्लास दो का में एक निजी स्कूल में पढ़ाई करता है। मासूम के कंधों और पीठ दर्द की शिकायत हुई। तो परिजन कुछ दिन ध्यान नहीं दिया। लेकिन बाद में डॉक्टर के पास ले गए जहां पर डॉक्टर ने उसका चेकअप किया तो पता चला कि उसके रीढ़ की हड्डी में प्रॉब्लम हो रही है। हांलाकि मासूम का इलाज परिजन करा रहे हैं और मासूम को आराम भी मिला है। लेकिन परिजनों ने मासूम को उसका बैग खुद पहुंचाने का काम करते हैं। उसके कंधों पर कम ही बोझ लाने और ले जाने देते हैं।

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संडे को दैनिक जागरण आईनेक्ट की टीम की पड़ताल में यह दो केस बानगी मात्र है। शहर में कई ऐसे बच्चे हैं जो बस्ते के भारी बोझ के दर्द तले कराह रहे हैं। कहने को जाते तो थे पढ़ने और कुछ बनने के लिए, लेकिन पढ़ाई के लिए गए इन मासूमों को हासिल हुआहॉस्पिटल का बेड और डेली चुभती सुई का दर्द। बस्तों के बोझ ने उन्हें हॉस्पिटल की चौखट तक पहुंचा दिया। पर जिम्मेदार हैं कि सब कुछ जानकर भी अंजान बने हुए हैं।

डॉक्टर की बात

-बच्चों पर जो मानक से अधिक बोझ के बैग लाद दिए जाते हैं। इससे बच्चों की मानसिक और शारीरिक ग्रोथ तो रुकती ही है। इसके साथ ही सिर दर्द, जोड़ों में दर्द सहित अन्य प्रॉब्लम होने पर वे हॉस्पिटल आते हैं। लेकिन सबसे कारण भारी बस्ता है। जिस कारण बच्चों में यह बीमारी बढ़ रही है।

डॉ। खुशअदा, साइक्लोजिस्ट

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-आज कल जो बच्चे दवा लेने के लिए आते हैं उनमें अक्सर सिर दर्द और रीढ़ की हड्डी का दर्द देखने को मिलता है। यह सब भारी बैग के कारण ही होता है। यही बीमारी आगे चलकर माइग्रेशन के रूप ले लेती है। देखा जाए तो इस तरह की प्रॉब्लम बच्चों में मिल रही है। जो एक गंभीर समस्या है।

डॉ। अमित डेविस,

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बच्चों की बात

-भारी बैग लेकर बच्चे किसी तरह स्कूल तो आ जाता हूं। लेकिन जब बच्चों को स्कूल की दूसरी मंजिल पर जाना होता है तो उन्हें खुद सीढि़यों पर चढ़ना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में बच्चों को देखकर लगता है कि कहीं गिर न जाए।

श्रेष्ठ क्लास-8

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-स्कूल बैग इतना भारी हो जाता है कि लेकर चलना तो मुश्किल होता है। वैन से आना होता है लेकिन बैग लेकर जब स्कूल तक जाना होता है तब बहुत भारी लगता है। कई बच्चे जो मुश्किल से बैग लाते वह तो ट्रॉली बैग लाने लगे।

तनिष्का-7