लॉकडाउन से बेसहारा पशुओं के सामने पेट भरने की मुसीबत

prayagraj@inext.co.in

कोरोना संकट के इस दौर में गतिविधियां, कार्यालय बंद और निमार्ण कार्य ठप होने से लोगों के लिए सब भोजन बांट रहे हैं लेकिन बेजुबान बेसहारा पशुओं की कम ही लोगों को फिक्र है। सड़क पर रहने वाले इन पशुओं के लिए भी पुलिस के साथ ही कुछ अन्य समाजसेवी आगे आए हैं जो इनके लिए चारा और भोजन का इंतजाम कर रहे हैं। ये लोग मवेशियों के साथ स्ट्रीट डॉग्स के लिए भी बिस्कुट, रोटी आदि का प्रबंध कर रहे हैं।

पुलिसकर्मी भी कर रहे हेल्प

मुट्ठीगंज में रविवार को बेसहारा गायों और कुत्तों को पॉलीथिन चबाते देख पुलिसकमिर्यो ने उनके लिए आसपास के घरों से रोटी, सब्जी, बिस्किट आदि मांगकर जुटाया। मगर इस तरह कब तक घरों से मांगते। इसलिए रोटी बैंक बनाने की सोची। हटिया चौकी के पास मोबाइल बैरियर पर सिपाहियों ने कागज के गत्ते पर लिखकर टांग दिया कि आपका एक नेक काम, दो रोटी जानवर के नाम। जानवरों के जीवन दाता बने। कोरोना से लड़ना है, बेजुबानों को बचाना है। इस तख्ती के बगल में थैला लटकाया जिसमें लोग रोटी, पूड़ी सहित खाने की वस्तुएं डाल सकते हैं जिनसे गाय, कुत्तों की भूख शांत हो सकेगी। गऊघाट में रहने वाले समाजसेवी शैलू चौधरी भी बेजुबानों के पालनहार बने हैं। वह मोहल्ले के बेसहारा पशुओं के लिए घर में अतिरिक्त रोटियां बनवाने लगे। सब्जी के गोदाम से पत्ते आदि लाकर गायों को देते हैं। उनसे प्रेरणा लेकर कुछ अन्य लोग भी आगे आए हैं। सिविल लाइंस में स्ट्रीट डाग्स को बिस्कुट खिलाते मिले कपिल ने बताया कि पहले दुकानें खुली रहती थीं तो इन्हें पर्याप्त भोजन मिल जाता था लेकिन वर्तमान समय में इनका कोई सहारा नहीं है। इसीलिए इनकी सेवा में लगा हूं।