जमीन ही नहीं, छत कहां से देंगे
Senior citizen are not safe
 
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Allahabad: जनहित याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भले ही इनीशिएटिव लेकर ओल्ड एज होम डेवलप करने का निर्देश दिया है लेकिन इसको लेकर शासन और प्रशासन का रवैया अभी तक बेहद निराशाजनक है। सेंट्रल गवर्नमेंट द्वारा 2007 में सीनियर सिटीजन एक्ट बनाए जाने के बावजूद अभी तक इस ओर जरूरी कदम नहीं उठाए जा सके हैं। आई नेक्स्ट ने रियलिटी चेक किया तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। पहल, शहर में एक भी सरकारी ओल्ड एज होम नहीं है, दूसरा यह कि समाज कल्याण विभाग इसे बनाने के लिए एक अदद जमीन तक तलाश नहीं कर सका है. 
 
सिर छिपाने के लिए छत तक नहीं दे सके officers  
शहर में लड़कियों और बच्चों के लिए शेल्टर्स हैं लेकिन सीनियर सिटीजंस के लिए ऐसा कोई इंतजाम नहीं है। सीनियर सिटीजन एक्ट बनाया था और इसके तहत ओल्ड एज होम बनाए जाने की बात कही गई थी। स्टेट गवर्नमेंट ने इस एक्ट को एडाप्ट तो किया लेकिन एक अदद ओल्ड एज होम नहीं डेवलप कर सकी। समाज कल्याण विभाग के ऑफिसर्स से इस बारे में बात की गई तो उनका कहना था कि जमीन तलाश की जा रही है। अभी तक सफलता नहीं मिली है. 
 
वाराणसी भेजा जाता है महिलाओं को
रियलिटी चेक में पता चला कि अपनों द्वारा ठुकराए सीनियर सिटीजंस में वृद्ध महिलाओं के लिए वाराणसी में एक शेल्टर होम है। इसके बाद भी सिटी से पिछले कई सालों से किसी को वहां भेजा नहीं गया। बेसहारा सीनियर सिटीजंस सड़कों पर धक्के खाने को मजबूर हैं. 
 
Private shelters वसूलते हैं कीमत
शहर में कुछ प्राइवेट ओल्ड एज होम्स जरूर हैं। इनमें रहने के लिए मोटी रकम चुकानी पड़ती है। इससे यहां आमतौर पर उन्हीं को स्थान मिल पाता है जो सर्विस से रिटायर हो चुके हैं या जिनके बच्चे फॉरेन में रहते हैं और अपने पैरेंट्स को वहां ले नहीं जा सकते। ऐसे ओल्ड एज होम्स की संख्या आधा दर्जन के आसपास है। इनका पर मंथ का किराया पांच से दस हजार रुपए है। सोशल वर्कर सिस्टर शीबा की देखरेख में ओल्ड एज होम सेंट जोसफ वयोवृद्ध आश्रम नाम से संचालित किया जा रहा है। जहां कुल 23 लोग रहते हैं और इनमें से तीन ऐसे जोड़े भी हैं जो कभी अच्छी खासा पोस्ट होल्ड करते थे। अलग बात है कि आई नेक्स्ट की कोशिश के बाद भी ये सामने नहीं आए.
 
चल रहा है day care centre  का concept
ओल्ड एज होम की तर्ज पर सिटी में डे केयर सेंटर का कांसेप्ट भी जोर पकड़ रहा है। रिटायर्ड सीएमओ और वयोवृद्ध विशेषज्ञ डॉ। पीके सिन्हा खुद तेंदुवई में ऐसा ही एक सेंटर चला रहे हैं। वह कहते हैं कि यहां पर सीनियर सिटीजंस आकर अपना टाइम स्पेंड करते हैं। यहां उनके मनोरंजन, चिकित्सा के पूरे इंतजाम हैं। डे केयर सेंटर्स की ओर से सीनियर सिटीजंस के घर पर भी देखभाल के लोग भेजे जाते हैं। ये वे लोग होते हैं जिनके बच्चे दूसरे शहर या देश में रहते हैं। वह कहते हैं कि गवर्नमेंट को चाहिए कि वह ओल्ड एज होम या डे केयर सेंटर चलाने वालों के साथ मिलकर एक कमेटी गठित कर दे तो ज्यादा लोगों को फायदा हो सकता है. 
 
2003 से बंद है सरकारी भिक्षुक गृह
सड़कों पर भीख मांगते वृद्ध अक्सर आपको दिख जाएंगे। इनके वेलफेयर के लिए गवर्नमेंट ने शिवकुटी में भिक्षुक गृह की शुरुआत की थी जो डिस्प्यूटेड होने की वजह से 2003 से बंद पड़ा है। शेल्टर की जमीन को लेकर चल रहे विवाद की वजह से यह भवन खंडहर हो चुका है। बावजूद इसके यहां तैनात स्टाफ को हर महीने टाइम से सैलरी मिल जाती है। ऑफिसर्स कहते हैं कि जब तक विवाद सुलझ नहीं जाता है, इसे चलाया जाना मुमकिन नहीं होगा. 
 
महिला की मौत से मचा था हड़कंप
20 दिसंबर की रात घूरपुर के खटंगिया गांव में एक महिला की मौत से हड़कंप मचा था। 65 साल की चमेली का बेटा शराबी था। उसके पास इतने पैसे भी नहीं थे कि वह बीपीएल कार्ड से राशन मंगा सके। भूख से तड़पकर उसने दम तोड़ दिया। घटना के बाद डीएम राजशेखर ने असहाय और बेघर व्यक्तियों की सूची तैयार करने के निर्देश एडीएम, तहसीलदारों और बीडीओ को दिए थे ताकि सरकारी मद से उन्हें राशन मुहैया कराया जा सके. 
 
क्या कहा है हाईकोर्ट ने 
मुरादाबाद के मो। जुनैद की याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाइ कोर्ट ने मंडे को सरकार से 150 लोगों की क्षमता वाला ओल्ड एज होम डेवलप करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने कहा है कि स्टेट गवर्नमेंट इसके लिए एक अधिकरण बनाए। इसके लिए कोर्ट ने समाज कल्याण विभाग को 10 फरवरी तक हलफनामा दाखिल करने का समय दिया है और याचिका पर सुनवाई 11 फरवरी को होगी.
 
सरकार की मंशा है कि हर जिले में एक ओल्ड एज होम हो। इसके लिए जमीन की तलाश की जा रही है। उम्मीद है तहसील स्तर पर जल्द ही तलाश पूरी हो जाएगी। कुछ संस्थाएं जरूर डे केयर सेंटर चला रही हैं लेकिन इससे लावारिस वृद्धजनों की की समस्या हल नहीं हो सकती.
अलख निरंजन मिश्रा, 
समाज कल्याण अधिकारी
 
जिले में एक भी सरकारी ओल्ड एज होम नहीं है। कुछ एनजीओ शेल्टर होम चला रहे हैं लेकिन वहां पर रेंट लेकर सीनियर सिटीजंस को रखा जाता है। हम शासन और प्रशासन से मांग करेंगे कि जल्द से जल्द एक ओल्ड एज होम डेवलप किया जाए.
श्याम सुंदर सिंह पटेल, 
समाजसेवी, सीनियर सिटीजन काउंसिल से जुड़े हैं 

सिर छिपाने के लिए छत तक नहीं दे सके officers
शहर में लड़कियों और बच्चों के लिए शेल्टर्स हैं लेकिन सीनियर सिटीजंस के लिए ऐसा कोई इंतजाम नहीं है। सीनियर सिटीजन एक्ट बनाया था और इसके तहत ओल्ड एज होम बनाए जाने की बात कही गई थी। स्टेट गवर्नमेंट ने इस एक्ट को एडाप्ट तो किया लेकिन एक अदद ओल्ड एज होम नहीं डेवलप कर सकी। समाज कल्याण विभाग के ऑफिसर्स से इस बारे में बात की गई तो उनका कहना था कि जमीन तलाश की जा रही है। अभी तक सफलता नहीं मिली है. 

वाराणसी भेजा जाता है महिलाओं को
रियलिटी चेक में पता चला कि अपनों द्वारा ठुकराए सीनियर सिटीजंस में वृद्ध महिलाओं के लिए वाराणसी में एक शेल्टर होम है। इसके बाद भी सिटी से पिछले कई सालों से किसी को वहां भेजा नहीं गया। बेसहारा सीनियर सिटीजंस सड़कों पर धक्के खाने को मजबूर हैं. 

Private shelters वसूलते हैं कीमत
शहर में कुछ प्राइवेट ओल्ड एज होम्स जरूर हैं। इनमें रहने के लिए मोटी रकम चुकानी पड़ती है। इससे यहां आमतौर पर उन्हीं को स्थान मिल पाता है जो सर्विस से रिटायर हो चुके हैं या जिनके बच्चे फॉरेन में रहते हैं और अपने पैरेंट्स को वहां ले नहीं जा सकते। ऐसे ओल्ड एज होम्स की संख्या आधा दर्जन के आसपास है। इनका पर मंथ का किराया पांच से दस हजार रुपए है। सोशल वर्कर सिस्टर शीबा की देखरेख में ओल्ड एज होम सेंट जोसफ वयोवृद्ध आश्रम नाम से संचालित किया जा रहा है। जहां कुल 23 लोग रहते हैं और इनमें से तीन ऐसे जोड़े भी हैं जो कभी अच्छी खासा पोस्ट होल्ड करते थे। अलग बात है कि आई नेक्स्ट की कोशिश के बाद भी ये सामने नहीं आए।

चल रहा है day care centre  का concept
ओल्ड एज होम की तर्ज पर सिटी में डे केयर सेंटर का कांसेप्ट भी जोर पकड़ रहा है। रिटायर्ड सीएमओ और वयोवृद्ध विशेषज्ञ डॉ। पीके सिन्हा खुद तेंदुवई में ऐसा ही एक सेंटर चला रहे हैं। वह कहते हैं कि यहां पर सीनियर सिटीजंस आकर अपना टाइम स्पेंड करते हैं। यहां उनके मनोरंजन, चिकित्सा के पूरे इंतजाम हैं। डे केयर सेंटर्स की ओर से सीनियर सिटीजंस के घर पर भी देखभाल के लोग भेजे जाते हैं। ये वे लोग होते हैं जिनके बच्चे दूसरे शहर या देश में रहते हैं। वह कहते हैं कि गवर्नमेंट को चाहिए कि वह ओल्ड एज होम या डे केयर सेंटर चलाने वालों के साथ मिलकर एक कमेटी गठित कर दे तो ज्यादा लोगों को फायदा हो सकता है. 

2003 से बंद है सरकारी भिक्षुक गृह
सड़कों पर भीख मांगते वृद्ध अक्सर आपको दिख जाएंगे। इनके वेलफेयर के लिए गवर्नमेंट ने शिवकुटी में भिक्षुक गृह की शुरुआत की थी जो डिस्प्यूटेड होने की वजह से 2003 से बंद पड़ा है। शेल्टर की जमीन को लेकर चल रहे विवाद की वजह से यह भवन खंडहर हो चुका है। बावजूद इसके यहां तैनात स्टाफ को हर महीने टाइम से सैलरी मिल जाती है। ऑफिसर्स कहते हैं कि जब तक विवाद सुलझ नहीं जाता है, इसे चलाया जाना मुमकिन नहीं होगा. 

महिला की मौत से मचा था हड़कंप
20 दिसंबर की रात घूरपुर के खटंगिया गांव में एक महिला की मौत से हड़कंप मचा था। 65 साल की चमेली का बेटा शराबी था। उसके पास इतने पैसे भी नहीं थे कि वह बीपीएल कार्ड से राशन मंगा सके। भूख से तड़पकर उसने दम तोड़ दिया। घटना के बाद डीएम राजशेखर ने असहाय और बेघर व्यक्तियों की सूची तैयार करने के निर्देश एडीएम, तहसीलदारों और बीडीओ को दिए थे ताकि सरकारी मद से उन्हें राशन मुहैया कराया जा सके. 

 क्या कहा है हाईकोर्ट ने 
मुरादाबाद के मो। जुनैद की याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाइ कोर्ट ने मंडे को सरकार से 150 लोगों की क्षमता वाला ओल्ड एज होम डेवलप करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने कहा है कि स्टेट गवर्नमेंट इसके लिए एक अधिकरण बनाए। इसके लिए कोर्ट ने समाज कल्याण विभाग को 10 फरवरी तक हलफनामा दाखिल करने का समय दिया है और याचिका पर सुनवाई 11 फरवरी को होगी।

सरकार की मंशा है कि हर जिले में एक ओल्ड एज होम हो। इसके लिए जमीन की तलाश की जा रही है। उम्मीद है तहसील स्तर पर जल्द ही तलाश पूरी हो जाएगी। कुछ संस्थाएं जरूर डे केयर सेंटर चला रही हैं लेकिन इससे लावारिस वृद्धजनों की की समस्या हल नहीं हो सकती।

अलख निरंजन मिश्रा, 

समाज कल्याण अधिकारी

जिले में एक भी सरकारी ओल्ड एज होम नहीं है। कुछ एनजीओ शेल्टर होम चला रहे हैं लेकिन वहां पर रेंट लेकर सीनियर सिटीजंस को रखा जाता है। हम शासन और प्रशासन से मांग करेंगे कि जल्द से जल्द एक ओल्ड एज होम डेवलप किया जाए।

श्याम सुंदर सिंह पटेल, 

समाजसेवी, सीनियर सिटीजन काउंसिल से जुड़े हैं