इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा, फीस जमा करने के लिए मांगा जा सकता है समय

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कोर्ट फीस जमा न होने पर इलाहाबाद हाई कोर्ट से अब किसी भी अपील पर कोई आदेश पारित नहीं किया जाएगा। इस संबंध में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को स्पष्ट निर्देश जारी कर दिए। यह आदेश जस्टिस अरुण टंडन तथा राजीव जोशी की खंडपीठ ने भागवत सहित अन्य 3 की अपीलों की सुनवाई करते हुए दिया है।

कोर्ट ने तय किये नियम

हाईकोर्ट रुल्स व कोर्ट फीस एक्ट के तहत बिना पूरी कोर्ट फीस अदा किये कोर्ट को भूमि अधिग्रहण अधिनियम के तहत अपीलों की सुनवाई का अधिकार नहीं है।

कोर्ट फीस बकाया है तो अपीलार्थी फीस जमा करने के लिए समय बढ़ाने की अर्जी देगा

कोर्ट अपील पर सुनवाई से पहले इस अर्जी का निस्तारण करेगी

बिना पूरी कोर्ट फीस जमा हुए विलंब माफी अर्जी पर भी कोर्ट नोटिस जारी नहीं करेगी

आश्चर्यजनक है कि यूपीएसआईडीसी जैसी तमाम वैधानिक संस्थाएं फंड होने के बावजूद आधी-अधूरी कोर्ट फीस देकर प्रथम अपीलें दाखिल कर रही हैं और वर्षो तक कोर्ट फीस नहीं जमा करती।

कोर्ट फीस जमा करने का समय बढ़ाते समय कोर्ट का विवेकाधिकार होगा कि वह अतिरिक्त धनराशि या ब्याज लगा सकेगी

साथ में लगी होगी रिपोर्ट

अपने आदेश में कोर्ट ने कहा कि बिना पूरी कोर्ट फीस जमा किये यदि अपील दाखिल होती है तो कोर्ट आफिस रिपोर्ट लगायेगी कि अपील कोर्ट फीस जमा करने की दशा में ही पोषणीय है और रिपोर्ट व अपीलार्थी की अर्जी की सुनवाई करते हुए कोर्ट फीस जमा करने का समय दे सकती है। यदि फीस जमा नहीं की जाती तो अपील खारिज कर दी जायेगी। अपील पर 13 साल बाद कोर्ट फीस जमा की गयी। दोषपूर्ण अपीलों में कोर्ट फीस समय से जमा न करने व विलंब माफी अर्जी पर नोटिस जारी करने के कारण कई वर्षो तक लाखों की फीस जमा नहीं की जाती। अपीलों की सुनवाई 13 नवंबर को होगी।