25 फरवरी तक का समय दिया
दिल्ली हाईकोर्ट में वेब कैब सर्विस को लेकर याचिका दायक की गयी थी. दायर याचिका में कहा गया था कि सरकार ने दिसंबर में दिल्ली में चलने वाली ऐसी सभी कंपनियों पर रोक लगा दी थी, जो सरकार से रजिस्टर्ड नहीं है. बावजूद इसके यहां कई वेब कैब की सर्विस चल रही है. कई वेबसाइट कैब और कंपनियां खुले आम इस दिशा में काम कर रही हैं. यहां तक की बैन के बाद भी कैब ऑपरेट कर रही हैं, हालांकि सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने कहा कि इस मामले में सरकार पूरी तरह से सक्रिय है. सरकार ऐसी कैब को जब्त करा रही है. दिल्ली सरकार के इस जवाब पर हाईकोर्ट ने स्पष्ट तौर पर कहा कि इन कंपनियों की वेबसाइटों को भी ब्लॉक क्यों नहीं किया जा रहा है. आखिर सरकार इन पर रोक लगाने में इतनी ढील क्यों बरत रही है. कोर्ट ने सरकार को 25 फरवरी तक का समय दिया है सरकार बताए कि वह क्या कर रही है.

रोजी रोटी पर संकट छा गया
बीते 5 दिसंबर को दिल्ली में उबर कैब में एक ड्राइवर ने गुड़गांव की कंपनी में काम करने वाली युवती से रेप किया था. इस रेपकांड के बाद दिल्ली सरकार ने इस उबर कैब पर रोक लगा दी थी. सरकार ने 1 जनवरी को जारी किए नियमों के तहत वेब वाली कैब कंपनियों पर रोक लगा दी थी, जिससे की हजारों लोगों की रोजी रोटी पर संकट छा गया था. हालांकि सरकार ने बाद में नियमों में बदलाव कर घोषणा की कि रजिस्ट्रेशन के बाद दिल्ली में कैब सर्विस चलाई जा सकती है. लेकिन दिल्ली में अभी भी कई वेब कंपनिया बिना रजिस्ट्रेशन के सर्विस प्रोवाइड कर रही हैं.

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