>Ranchi : आम लोगों के राजनीतिक अधिकारों का सवाल उठाते हुए झारखंड हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा है कि अधिसूचित क्षेत्र के रूप में घोषित राज्य के क्भ् जिलों के दो-तिहाई लोगों को राजनीतिक अधिकारों से क्यों वंचित रखा गया है। गुरुवार को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति पीपी भट्ट की खंडपीठ ने आशिक अहमद, उपेंद्र नाथ महतो और कर्नल ज्योतिंद्र देव की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा कि इस प्रावधान के कारण राज्य की दो-तिहाई आबादी अपने राजनीतिक अधिकारों से वंचित हो रही है। कहा गया कि इस तरह का प्रावधान संविधान में दिए गए अधिकारों का हनन करने के समान है। इसे अविलंब खारिज किया जाना चाहिए।

केंद्र सरकार की ओर से बताया गया प्रावधान

हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जानना चाहा है कि आखिर किस आधार पर राज्य के क्भ् जिलों को अधिसूचित क्षेत्र घोषित करने की अनुशंसा की गई। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि नियमानुसार उसी क्षेत्र को अधिसूचित क्षेत्र घोषित किया जाना चाहिए, जहां आर्थिक असमानता हो और भ्0 परसेंट से अधिक एसटी वर्ग के लोग निवास करते हों। कोर्ट ने कहा है कि पेसा एक्ट के प्रावधानों के अनुसार अधिसूचित क्षेत्र के अंतर्गत स्थानीय निकायों के सभी एकल पद अनुसूचित जनजातीय सदस्यों के लिए सुरक्षित रखे गए हैं। इस कारण किसी अधिसूचित क्षेत्र में जनजातीय समुदाय की आबादी ख्भ् परसेंट से भी कम होने पर भी वहां के एकल पद एसटी के लिए ही सुरक्षित हैं। अभी रांची, खूंटी, लोहरदगा, गुमला, सिमडेगा, वेस्ट सिंहभूम, ईस्ट सिंहभूम, सरायकेला-खरसावां, दुमका, जामताड़ा, साहिबगंज, पाकुड़, गोड्डा, पलामू, लातेहार और गढ़वा को अधिसूचित क्षेत्र घोषित किया गया है।

दारोगा नियुक्ति मामले में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को लगाई फटकार

दारोगा नियुक्ति मामले में दायर विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश के बाद भी जवाबी हलफनामा दायर नहीं करने पर फटकार लगाई है। हाईकोर्ट ने अगली सुनवाई से पहले हलफनामा दायर करने को कहा है। न्यायमूर्ति अपरेश कुमार सिंह की बेंच में सविता कुमारी नायक और अन्य की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि यह बहुत ही महत्वपूर्ण मामला है। सरकार को ससमय अपना जवाब दायर कर देना चाहिए था। अदालत ने समय देते हुए अगली सुनवाई के लिए क्म् अक्टूबर की तारीख तय की है।