- अधिवक्ताओं ने पहली बार मिलकर गिरा दी मतभेदों की दीवार

-मुरादाबाद और अलीगढ़ भी आगरा में बेंच के सख्त खिलाफ

- दिल्ली बार एसोसिएशन के 60 प्रतिशत अधिवक्ताओं का समर्थन

Meerut : पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाइकोर्ट बेंच की मांग को लेकर अधिवक्ताओं के तेवर तल्ख हो गए हैं। शनिवार को बागपत के हिना गार्डन में हुई केंद्रीय संघर्ष समिति की बैठक में जिस तरह सर्वसम्मति से अहम फैसले लिए गए, उससे समिति का पलड़ा आगरा के वकीलों पर बहुत भारी हो गया है। कई साल से चली आ रही मतभेद की दीवार भी अधिवक्ताओं की एकता ने नेस्तनाबूत कर दी। बेंच को लेकर मुरादाबाद व अलीगढ़ के पदाधिकारियों ने भी मेरठ व अलीगढ़ में बेंच का समर्थन करते हुए आर-पार की जंग का ऐलान कर दिया।

वकीलों ने दिखाई एकजुटता

क्98क् से चले आ रहे हाइकोर्ट बेंच आंदोलन में आज हुई एकजुटता ने जान फूंक दी है। अब उनका लक्ष्य है सिर्फ और सिर्फ पश्चिम में बेंच स्थापित कराना है। इस अहम बैठक में मेरठ, बागपत, मुजफ्फरनगर ,शामली, सहारनपुर, बिजनौर ,गौतमबुद्धनगर ,गाजियाबाद, जेपी नगर, हापुड़, बुलंदशहर आदि जनपदों के वकीलों ने हिस्सा लिया। अभी तक मुरादाबाद व अलीगढ़ के अधिवक्ता आंदोलन से कहीं न कहीं हाथ खींच रहे थे। वकीलों में मतभेद की 'दीवार' थी। परंतु शनिवार को सबने मिलकर इसे गिरा दिया। मुरादाबाद व अलीगढ़ के अधिवक्ताओं और पदाधिकारियों ने साफ कह दिया कि उन्हें स्थान को लेकर कोई दिक्कत ही नहीं है। हम एकजुट हैं। लेकिन बेंच के मसले पर पश्चिम उत्तर प्रदेश से मतलब हमारा आगरा जिले से कोई लेना-देना नहीं है।

कुर्बानी के लिए भी तैयार

संघर्ष समिति के अध्यक्ष डीडी शर्मा ने कहा कि सहारनपुर, बिजनौर से लेकर मुरादाबाद व अलीगढ़ तक के वकील अब एकजुट हो गए हैं तो किसी भी कीमत पर बेंच लेकर ही दम लिया जाएगा। भले ही इसके लिए कुर्बानी देनी पड़े। बैठक का संचालन कर रहे समिति के सचिव अनिल जंगाला ने कह कि यदि सस्ता व सुलभ न्याय जनता को देना है तो पश्चिम में बेंच स्थापित करनी ही होगी। इससे पूर्व बागपत जिला बार एसोसिएशन अध्यक्ष विक्रम खोखर व सचिव रामअवतार शर्मा ने संघर्ष समिति के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने का भरोसा दिलाया।

दिल्ली वाले बोले, जरूरत पड़े तो एक आवाज लगा देना

बेंच के लिए पश्चिम उप्र के साथ राजधानी दिल्ली के वकील भी दमदार भूमिका में आ गए हैं। दिल्ली में प्रैक्टिस करने वाले वेस्ट यूपी के अधिवक्ताओं ने कह दिया कि आंदोलन में जब भी जरूरत पड़े बस एक आवाज लगा लेना। दिल्ली बार एसोसिएशन के समर्थन से आंदोलन को और मजबूती मिल गई है। दिल्ली से आये इसके अध्यक्ष डीके शर्मा ने कहा कि दिल्ली में भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश के म्0 फीसद अधिवक्ता हैं और वह सब भी चाहते हैं कि यहीं बेंच सस्ता व सुलभ न्याय दे।

सभी ने दिखाई एकजुटता

संघर्ष समिति की बैठक में शनिवार को अधिवक्ताओं ने साफ कह दिया कि आगरा में कोई भी अधिवक्ता हाइकोर्ट बेंच नहीं चाहता। इस फैसले से समिति और आगरा के वकीलों में बेंच को लेकर तलवार खिंच गई है। बागपत में पहली बार हुई केंद्रीय संघर्ष समिति की बड़े स्तर की अहम बैठक की खासियत यह रही कि तमाम मतभेदों को दरकिनार कर अधिवक्ताओं ने एकजुट होकर सर्वसम्मत फैसला लिया। सबके सब आगरा में हाइकोर्ट बेंच स्थापित करने के जबर्दस्त विरोधी रहे। दिल्ली, मुरादाबाद व अलीगढ़ के अधिवक्ताओं के साथ आ खड़े होने से तो आंदोलन को संजीवनी मिल गई।

आगरा से सभी को परेशानी

मुरादाबाद बार एसोसिएशन के अध्यक्ष हाजी अमिकल हसन ने कहा कि आगरा में बेंच बनने से वादी, प्रतिवादी और अधिवक्ता, किसी को कोई फायदा नहीं होगा। मैं समर्थन करता हूं कि आगरा को छोड़कर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कहीं भी बेंच स्थापित करा दी जाए। स्थान को लेकर मुरादाबाद के वकीलों को कोई आपत्ति नहीं होगी। उन्होंने कहा कि आगरा के वकील अपने यहां बेंच की स्थापना चाहते हैं, पर उनकी यह मांग गलत है। अलीगढ़ बार एसोसिएशन के महामंत्री रामकिशन तोमर ने भी कहा कि आगरा को छोड़कर पश्चिमी उप्र के किसी भी स्थान पर बेंच स्थापना करा दी जाए, हम कोई विरोध नहीं करेंगे। पूर्व में जो मतभेद रहे दरअसल वह मतभेद नहीं बल्कि काम करने का अलग-अलग तरीका था। अब हम संघर्ष समिति का खुला समर्थन कर रहे हैं। अन्य जिलों के अधिवक्ताओं ने साफ कर दिया कि आगरा को छोड़कर पश्चिम में जहां कहीं भी बेंच की स्थापना होगी, हम सब एकजुट हैं।