हाईकोर्ट ने कहा, विकास प्राधिकरणों को सुप्रीमकोर्ट का फैसला आने तक सबडिवीजन चार्ज लेने का हक

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के विकास प्राधिकरणों को प्लाटों के उप विभाजन चार्ज सशर्त वसूलने की छूट दे दी है। कोर्ट ने कहा है कि जब सुप्रीमकोर्ट में विचाराधाीन एसएलपी तय होगी वसूली गयी राशि उस पर निर्भर करेगी। कोर्ट ने कहा कि यदि प्राधिकरण के पक्ष में फैसला नहीं आता तो जमा करायी गयी राशि पर वह छह फीसदी साधारण व्याज लगाते हुए भूस्वामियों को वापस करेगी। इसी के साथ इलाहाबाद विकास प्राधिकरण व अन्य प्राधिकरणों की सब डिवीजन चार्ज (उप विभाजन) वसूली वैधता के खिलाफ दाखिल राहुल केसरवानी व अन्य सहित सैकड़ों याचिकाएं निस्तारित कर दी है।

उप विभाजन की वैधता पर सवाल

यह आदेश चीफ जस्टिस डीबी भोसले तथा जस्टिस सुनीत कुमार की खण्डपीठ ने दोनों पक्षों की लम्बी सुनवाई के बाद दिया है। मालूम हो कि एडीए द्वारा उप विभाजन चार्ज लेने की वैधता को लेकर याचिकाएं दाखिल की गई। याचियों का कहना था कि बिना नियमावली बनाए प्राधिकरणों को उप विभाजन चार्ज लेने का वैधानिक अधिकार नहीं है। दो खण्डपीठों ने अपने फैसलों में प्राधिकरण के बिना नियम बनाए उपविभाजन चार्ज लेने को अवैध करार दिया। इस फैसलों को सरकार व प्राधिकरणों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।

सुप्रीम कोर्ट ने लगा रखी है रोक

सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी करते हुए हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा रखी है। राज्य सरकार के मुख्य स्थायी अधिवक्ता वाईके श्रीवास्तव का कहना था कि सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश के चलते प्राधिकरणों को उप विभाजन चार्ज लेने का वैधानिक अधिकार है। जब तक एसएलपी पर फैसला नहीं आ जाता प्राधिकरण को चार्ज वसूली का अधिकार है। इस पर कोर्ट ने सभी याचिकाएं निस्तारित करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक प्राधिकरणों को उप विभाजन चार्ज जमा कराने का अधिकार है।