संशोधन पर आपत्ति की सुनवाई 13 सितंबर को

इलाहाबाद कायस्थ पाठशाला सोसायटी के बाईलॉज में संशोधन कर नये सदस्यों को दिसंबर में होने वाले चुनाव में मताधिकार देने की वैधता को इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दी गयी है। कुमार नारायण व 4 अन्य की तरफ से बाईलॉज संशोधन की अपनायी गयी प्रक्रिया की वैधता पर रजिस्ट्रार सोसायटी के समक्ष आपत्ति की है। जस्टिस संगीता चंद्रा ने रजिस्ट्रार को निर्देश दिया है कि दोनों पक्षों को सुनकर आपत्ति की सुनवाई जारी रखें किन्तु अंतिम आदेश पारित न करें। कोर्ट ने कायस्थ पाठशाला के अध्यक्ष राघवेन्द्र सिंह के अधिवक्ता द्वारा समय की मांग को स्वीकार करते हुए याचिका की अगली सुनवाई की तिथि 13 सितंबर नियत की है।

रजिस्ट्रार तय नहीं कर रहे आपत्ति

याची की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता टीपी सिंह का कहना है कि प्रबंध समिति ने बाईलॉज में संशोधन का प्रस्ताव किया है। जिसकी वैधता पर याची ने 14 मई 18 को आपत्ति की है। किन्तु रजिस्ट्रार आपत्ति तय नहीं कर रहे हैं। विपक्षी अधिवक्ता एसडी कौटिल्य ने बाईलॉज संशोधन प्रस्ताव की वैधता पर आपत्ति सुनने के रजिस्ट्रार के अधिकार पर आपत्ति की और कहा कि उन्हें सुनने का अधिकार नहीं है। याची अधिवक्ता ने इलाहाबाद हाईस्कूल सोसायटी केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि संशोधन प्रस्ताव की प्रक्रिया की खामियों की रजिस्ट्रार को सुनवाई का अधिकार है। वह प्रस्ताव की मेरिट पर विचार नहीं कर सकता। आपत्ति में मेरिट के साथ प्रक्रियात्मक खामियों पर भी ऐतराज किया गया है। याची का कहना है कि प्रस्ताव पारित करने की बैठक बुलाने में भी अनियमितता बरती गयी है। कोर्ट ने कहा रजिस्ट्रार को प्रस्ताव की मेरिट पर विचार का अधिकार नहीं है किन्तु वह प्रक्रिया पर की आपत्ति की सुनवाई कर सकता है। कोर्ट ने रजिस्ट्रार को दोनों पक्षों की सुनवाई जारी रखने का आदेश दिया है।