बसपा नेता राजेश यादव हत्याकांड में गिरफ्तारी पर रोक लगाने के लिए दाखिल की गई थी याचिका

रसूख के दम पर नामजद रिपोर्ट होने के तत्काल बाद बीमारी के नाम पर अस्पताल में भर्ती हो जाने वाले डॉ। मुकुल सिंह को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कोई राहत देने से इंकार कर दिया है। अंतरिम राहत के रूप में गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग में दाखिल याचिका पर कोर्ट ने टिप्पणी की कि विवेचना में हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता कोर्ट याचिका पर अगली सुनवाई 30 अक्टूबर को करेगा। बता दें कि मृतक बसपा नेता राजेश की पत्‍‌नी मोनिका यादव ने डा। मुकुल पर हत्या का षडयंत्र करने का आरोप लगाया है। याचिका की सुनवाई चीफ जस्टिस डीबी भोसले और जस्टिस यशवंत वर्मा की खंडपीठ कर रही है। याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता जीएस चतुर्वेदी, शिकायकर्ता के अधिवक्ता कमल सिंह यादव और अपर शासकीय अधिवक्ता ने पक्ष रखा।

याची के अधिवक्ता का कथन

राजेश यादव और डा.मुकुल साथ ही कार में थे। रात तीन बजे से पहले भीड़ में से गोली चली जो राजेश को लगी

याची डा.मुकुल ने राजेश को बचाने का पूरा प्रयास किया और राजेश को अस्पताल ले गये

मृतक, याची का दोस्त रहा है। उसे बचाने की याची ने पूरी कोशिश की

वह घटना का चश्मदीद है। सीसीटीवी फुटेज भी है। उनकी कार भी क्षतिग्रस्त है

वह अस्पताल में भर्ती थे, पुलिस ने गिरफ्तार नहीं किया है।

पुलिस के पास उसके खिलाफ सबूत नहीं है। इसलिए गिरफ्तारी पर रोक लगायी जाए।

राजेश की पत्‍‌नी का कथन

रात पौने दो बजे मुकुल से उसकी बात हुई थी

चार बजे सुबह उसे अस्पताल में बुलाया गया। जहां पति का शव पड़ा था

डॉ। मुकुल ने साथियों से मिलकर राजेश की हत्या करवा दी

राजेश की पत्‍‌नी मोनिका ने तहरीर में सिर्फ डॉ। मुकुल को नामजद किया है

कोर्ट का कथन

आरोप हत्या करने का लगाया गया है

इसकी विवेचना में हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता