प्रदेश के एक लाख से अधिक होमगार्डो को हाई कोर्ट से बड़ी राहत

इलाहाबाद में सवा तीन हजार होमगार्डो की पोस्ट स्वीकृत, पौने तीन हजार की तैनाती

पुलिसवालों के बराबर ड्यूटी के बाद भी एक तिहाई से भी कम है दिहाड़ी

प्रदेश के एक लाख से अधिक होमगार्डो के लिए गुड न्यूज है। इलाहाबाद हाई कोर्ट के दो जजों की पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार की विशेष अपील को निस्तारित करते हुए आदेश दिया है कि होमगार्डो को भी पुलिस कर्मियों के न्यूनतम वेतनमान के बराबर वेतनमान दिया जाए। खंडपीठ के इस आदेश से प्रदेश में तैनात लगभग एक लाख 17 हजार होमगार्डो को फायदा होगा। प्रदेश सरकार ने हाई कोर्ट के आदेश को लागू कर दिया तो उनका वेतन तीन गुना हो जाएगा।

सरकार ने दाखिल की थी विशेष अपील

यह आदेश जस्टिस वीके शुक्ला व जस्टिस एमसी त्रिपाठी की खंडपीठ ने एकल जज के आदेश के खिलाफ दायर उत्तर प्रदेश सरकार की विशेष अपील पर दिया है। एकल जज ने होमगार्डो की याचिका पर कुछ माह पूर्व आदेश दिया था कि उन्हें भी पुलिस कांस्टेबिलों के न्यूनतम वेतनमान के बराबर सरकार वेतन दे। सरकार की अपील पर बहस करते हुए प्रदेश सरकार के अपर महाधिवक्ता कमल सिंह यादव का तर्क था कि एकल जज ने सुप्रीम कोर्ट के जिस निर्णय का हवाला देकर होमगार्डो को पुलिस कांस्टेबिलों के न्यूनतम वेतनमान के बराबर वेतन देने का निर्देश दिया है, उस आदेश में पुलिस कांस्टेबिल शब्द नहीं है, बल्कि सुप्रीम कोर्ट ने 'पुलिस पर्सनेल' शब्द प्रयोग किया है। इस कारण कोर्ट से अपर महाधिवक्ता की मांग थी कि एकल जज के आदेश में कांस्टेबिल की बजाए पुलिस पर्सनल शब्द जोड़कर आदेश संशोधित किया जाए।

एकल जज ने दिया था आदेश

मालूम हो कि कानपुर के होमगार्ड रामनाथ गुप्ता व कुछ अन्य होमगार्डो ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर पुलिस के बराबर वेतनमान की मांग की थी। उनकी इस याचिका को हाईकोर्ट के एकल जज ने स्वीकार मंजूर कर लिया था तथा प्रदेश सरकार को आदेश दिया था कि वह प्रदेश में तैनात होमगार्डो को पुलिस कांस्टेबिलों की भांति न्यूनतम वेतनमान दिया जाए। इस आदेश को सरकार ने दो जजों के समक्ष विशेष अपील दायर कर चुनौती दी थी।

एक नजर में होमगा‌र्ड्स

1962 में भारत पर चीन द्वारा किये गये आक्रमण की पृष्ठभूमि में आपातकालीन परिस्थितियों से पार पाने हेतु नागरिकों को प्रशिक्षित करने के उद्देश्य से 6 दिसम्बर 1962 को होमगार्ड संगठन की स्थापना की गयी

भारत सरकार के दिशा निर्देशों के अन्तर्गत विधान मण्डल द्वारा उत्तर प्रदेश होमगार्ड अधिनियम 1963 पारित कर प्रदेश में संगठन को स्थापित किया गया

उत्तर प्रदेश में होमगार्ड संगठन का विस्तार नगरों एवं सुदूर ग्रामीण अंचलों में समान रूप से है

ग्रामीण क्षेत्र में प्रत्येक ब्लाक स्तर पर एक कम्पनी स्थापित है जिनकी संख्या 785 है

नगर क्षेत्र में आबादी के अनुपात के आधार पर 366 पुरुष-महिला नगर कम्पनियां तथा 60 महिला प्लाटून गठित हैं

भारत सरकार द्वारा प्रदेश के लिए होमगार्ड स्वयंसेवकों के लिए एक लाख अठ्ठारह हजार तीन सौ अड़तालीस पदों की संख्या स्वीकृत की गयी है जो 785 ग्रामीण 366 नगरीय तथा 60 स्वतन्त्र प्लाटूनों में वितरित हैं

उत्तर प्रदेश शासन द्वारा निर्धारित भर्ती प्रक्त्रिया के अधीन भर्ती किये जाने के उपरान्त होमगार्ड स्वयंसेवकों को आधारभूत प्रशिक्षण एवं अग्रिम प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है

प्रशिक्षित किये जाने के उपरान्त इन्हें ड्यूटी पर नियोजित किया जाता है

संगठन के प्रबन्धन संचालन एवं सुचारू पर्यवेक्षण हेतु राज्य स्तर पर तीन आईपीएस अधिकारी यथा पुलिस महानिदेशक, पुलिस महानिरीक्षक, वर्तमान में अपर पुलिस महानिदेशक, पुलिस उप महानिरीक्षक, वित्त सेवा के एक वित्त नियंत्रक, चिकित्सा सेवा के दो चिकित्साधिकारी सहित 100 से अधिक विभागीय राजपत्रित अधिकारी नियुक्त हैं

कुल स्वीकृत संख्या 118348 के सापेक्ष वर्तमान में 50335 नि:शस्त्र-सशस्त्र स्वयंसेवक पुलिस के सहायक बल के रूप में शांति व्यवस्था ड्यूटी में नियोजित हैं

इसके अतिरिक्त स्वयंसेवकों को अधिकाधिक ड्यूटियां सुलभ कराने सम्बन्धी शासन की नीतियों के अनुरूप 1800 होमगार्ड स्वयंसेवक कारागार सुरक्षा एवं लगभग 4000 नि:शस्त्र-सशस्त्र स्वयंसेवक दूरसंचार आकाशवाणी व दूरदशर्न सार्वजनिक प्रतिष्ठानों, निगमों उपक्त्रमों एवं बैंक आदि की सुरक्षा में नियोजित हैं

सामरिक महत्व के स्थानों पर भी लगभग 58000 स्वयंसेवकों का नियोजन नियमित रूप से हो रहा है

फैक्ट फाइल

1.17 लाख होमगार्ड तैनात हैं उत्तर प्रदेश में

24 हजार से अधिक मिलता है नए ज्वाइन करने वाले पुलिसकर्मी को

09 हजार रुपए मिलते हैं होमगार्डो को मानदेय के रूप में