इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्रावास से अवैध कब्जे हटाने का निर्देश

डीएम, एसएसपी को हाई कोर्ट का निर्देश, कार्यवाही रिपोर्ट तलब, सुनवाई 17 को

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि कोई भी विश्वविद्यालय तब तक सही ढंग से नहीं चल सकता जब तक कि उसके छात्रावासों में वैध छात्रों को सुविधाएं मुहैया न कराई जाएं। हॉस्टलों में अवैध कब्जे विश्वविद्यालय में अराजकता ही फैलाते हैं। इलाहाबाद विश्वविद्यालय केंद्रीय विश्वविद्यालय घोषित कर दिया गया हो तो छात्रावासों में अवैध कब्जे नहीं होने चाहिए। कोर्ट ने कहा है कि विश्वविद्यालय के कुलसचिव, कुलपति के परामर्श से समयबद्ध योजना लागू करें जिससे छात्रावासों में केवल वैध छात्र ही निवास करे तथा अवैध कब्जे को पुलिस बल के जरिए हटाया जाए।

फोर्स नहीं दे सकते तो कारण बताएं

न्यायमूर्ति अरुण टण्डन तथा न्यायमूर्ति रेखा दीक्षित की खण्डपीठ ने जिलाधिकारी एवं एसएसपी इलाहाबाद को निर्देश दिया है कि वे विश्वविद्यालय को पुलिस बल मुहैया कराए। यदि नहीं करा सकते तो कारण सहित हलफनामा दाखिल करे। कोर्ट ने कहा है कि छात्रावास नियमानुसार 30 अप्रैल तक सभी छात्रावास खाली कर लिए जाएं बशर्ते छात्र की परीक्षा न चल रही हो ताकि हॉस्टल की सफाई व सफेदी के बाद 30 जून तक नए सिरे से आवंटन के लिए तैयार रहे। कोर्ट ने कुलसचिव को नियम का कड़ाई से पालन कर अगली तिथि पर अनुपालन रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है।

कमरा नहीं मिला तो पहुंचा कोर्ट

कोर्ट ने याचिका की सुनवाई की अगली तिथि 17 अप्रैल नियत करते हुए कुलसचिव, जिलाधिकारी एवं एसएसपी से भी हलफनामा मांगा है। डिफेन्स स्टडीज एमए कोर्स के छात्र धर्मवीर सिंह ने याचिका दाखिल कर शिकायत की कि उसे ताराचंद हॉस्टल में कमरा आवंटित किया गया है किंतु उस पर अवैध कब्जा होने के कारण उसे कमरे का कब्जा नहीं दिया जा रहा है। कोर्ट ने 5 सितम्बर 16 को अभिनन्दन पांडेय केस में डीएम, एसएसपी को अवैध कब्जे हटाने के लिए पुलिस फोर्ट देने का निर्देश दिया था। विश्वविद्यालय के अधिवक्ता नीरज त्रिपाठी का कहना था कि पुलिस फोर्स न मिल पाने के कारण कार्यवाही नहीं की जा सकी। इस पर कोर्ट ने सख्त रवैया अपनाया है।