सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तहत निर्णय लें मुख्य सचिव : हाईकोर्ट

ALLAHABAD: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जाट समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल रखने की अधिसूचना पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तहत दो माह में निर्णय लेने का प्रदेश के मुख्य सचिव को निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि यदि मुख्य सचिव दीपक सिंहल कोर्ट के 1 दिसंबर 15 को पारित आदेश का पालन नहीं करते तो याची दोबारा उनके खिलाफ अवमानना याचिका दायर कर सकता है।

सुप्रीम कोर्ट कर चुका है इंकार

यह आदेश जस्टिस एमके गुप्ता ने राजवीर व अन्य की अवमानना याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता अरविंद कुमार मिश्र ने बहस की। याची का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने जाट जाति को अन्य पिछड़े वर्ग में आरक्षण देने से इंकार कर दिया है। राम सिंह बनाम भारत संघ केस के फैसले का उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव से अनुपालन कर जाट आरक्षण अधिसूचना निरस्त करने की मांग की गयी। सुनवाई न होने पर हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गयी। कोर्ट ने एक दिसंबर 15 के आदेश से मुख्य सचिव को आठ सप्ताह में जाट को पिछड़ा वर्ग में शामिल करने के मामले में निर्णय लेने का निर्देश दिया था। आदेश की जानकारी होने के बावजूद पालन नहीं किया गया तो यह अवमानना याचिका दाखिल की गयी। कोर्ट ने कहा कि मुख्य सचिव को आदेश के पालन का एक अवसर दिया जाना चाहिए। याची नये सिरे से इस आदेश की प्रति के साथ मुख्य सचिव को प्रत्यावेदन दे और वह दो सप्ताह में उस पर निर्णय लें।