वे पहली महिला लेखिका हैं जिन्हें उपन्यास लेखन के लिए दूसरी बार बुकर पुरस्कार मिला है। हिलेरी की ये किताब हेनरी अष्टम के मुख्यमंत्री थॉमस क्रोमवेल पर उनकी दूसरी रचना है।

हिलेरी ने इससे पहले वर्ष 2009 में इसी श्रृंखला के पहले उपन्यास, 'वॉल्फ हॉल' के लिए पहली बार बुकर पुरस्कार जीता था।

लंदन में बुकर पुरस्कार ग्रहण करते हुए हिलेरी ने विनोद में कहा, ''आप पहले बुकर पुरस्कार के लिए 20 साल इंतज़ार करते हैं और फिर जल्दी-जल्दी दो बुकर मिल जाएं मैं जानती हूं कि मैं कितनी भाग्यशाली हूं.''

भारतीय लेखक दौड़ में

'ब्रिंग अप द बॉडीज़' के बारे में निर्णायक मंडल के अध्यक्ष सर पीटर स्टोथार्ड ने कहा, ''ये अंग्रेजी साहित्य की एक बहुत उल्लेखनीय रचना है.'' डर्बीशायर में वर्ष 1952 में जन्मीं हिलेरी ने लंदन स्कूल ऑफ इनोनॉमिक्स से कानून की पढ़ाई की है। अस्सी के दशक में ब्रिटेन लौटने से पहले वो पांच वर्ष तक बोत्सवाना और चार वर्ष तक सऊदी अरब में रहीं।

उनकी अन्य रचनाएं हैं- फ्लूड (1989), ए प्लेस ऑफ ग्रेटर सेफ्टी (1992), बियोंड ब्लेक (2005)। वर्ष 2012 के बुकर पुरस्कार के लिए छह लेखकों की रचनाओं को चयनित किया गया था। इनमें भारतीय मूल के लेखक जीत थायिल भी शामिल थे जिनका मुंबई में ओपियम के धंधे पर आधारित उपन्यास, 'नार्कोपोलिस' बुकर की दौड़ में था।

अब तक भारतीय मूल के चार लेखकों को बुकर पुरस्कार मिला है। अरविंद अडिगा को वर्ष 2008 में 'व्हाइट टाइगर' के लिए, किरण देसाई को वर्ष 2006 'द इनहेरिटेंस ऑफ लॉस' के लिए, अरूंधति रॉय को वर्ष 1997 'द गॉड ऑफ स्माल थिंग्स' के लिए और सलमान रुश्दी को वर्ष 1981 में 'मिडनाइट्स चिल्ड्रन' के लिए बुकर पुरस्कार मिल चुका है।

International News inextlive from World News Desk