लखनऊ(आईएनएस)। बुलडोजर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इलेक्शन कैम्पेन का एक आधार रहा है। जो एक तरह से यूपी की कानून व्यवस्था को भी दिखाता है। लोग अब हर चीज को मशीन से जोड़ना चाहते हैं जिसके चलते बुलडोजर का पीला, केसरिया और काला रंग बाजार में आ चुका है। महामारी की दो सालों की मंदी के बाद लोग फिर से बड़े तरीके से होली मनाने का मन बना चुके हैं। यहियागंज बाजार के एक होल सेलर अशरफ अली, ने कहा कि इस बार गुलाल की खरीद 40% बढ़ी है।

केमिकल कलर छोड़ते हैं असर
बुलडोजर के रंग मुख्य रूप से केमिकल से बने रंग होते हैं, जो दो या तीन दिन तक अपना असर छोड़ते हैं। इन्हें गुलाल और पानी मिलाकर भी इस्तेमाल किया जाता है। हर्बल कलर ज्यादातर म्यूट कलर में आते हैं। केमिकल वाले कलर हार्ड होते जिसकी वजह से यह ज्यादा दिन तक चलते हैं। रंग विक्रेता ने आगे कहा, 'लोग इस साल हार्ड केमिकल वाले कलर चुन रहें हैं और उसके साइड इफेक्ट की भी चिंता नहीं कर रहे। हर्बल रंगों में गुलाल ईको-फ्रेंडली है। पीला, गुलाबी, चंदन, हरा की ज्यादा मांग है जिसमें रोज़, चंदन और हरे में जेस्मिन की महक है।

रंगों की मांग में आई तेजी
चौक बाजार के व्यापारी ने दावा किया कि महामारी के कम होने से रंगों की मांग में तो तेजी आई है, लेकिन प्रोडक्शन में गिरावट के कारण रिटेल सप्लाई में रुकावट हो रही है। आस पास के जिलों से भी बहुत मांग बढ़ रही है क्योंकि नए विधायक अपने मतदाताओं के साथ जश्न मना रहे हैं। थोक विक्रेता का कहना है कि पहले से की गई बुकिंग को देखते हुए लग रहा है पिछले साल से भी ज्यादा इस बार बिक्री में बढ़ोतरी होगी। लोगों की भावना इस त्यौहार के सीजन में बहुत बढ़ गई है।

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