VRINDAVAN (22 March): ढोल-मजीरे की थाप पर वृंदावन और बनारस की विधवा व वृद्ध महिलाओं ने दूसरे दिन भी होली का आनंद लिया। होली के गीतों पर थिरक कर एक-दूसरे पर अबीर-गुलाल की बारिश कीं। गायकों ने भी एक के बाद एक होली गीतों का गायन कर समां बांध दिया।

फूलों की होली भी हुई

मंगलवार को परिक्रमा मार्ग में स्थित मां शारदा आश्रम में तकरीबन डेढ़ सौ महिलाओं ने रंग, अबीर-गुलाल और फूलों की होली खेलीं। दूसरे दिन भी होली का धमाल कुछ कम नहीं था। रसिया, 'होरी में मचाय रहौ धमाल नंद कौ छोरा' जैसे एक के बाद एक गीतों पर अबीर-गुलाल की बरसात दो घंटे से अधिक समय होती रही। एनजीओ सुलभ इंटरनेशनल द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में मंगलवार को मां शारदा आश्रम, राधा टीला और बनारस से आयीं महिलाएं शामिल हुई। होली व भक्तिगीतों पर विधवा-वृद्धाएं खुद को थिरकने से नहीं रोक पा रही थीं। पहले फूलों की फिर अबीर-गुलाल की होली हुई। गुलाल और फूलों की बौछार के बीच जैसे विधवाओं की ¨जदगी में नया रंग नजर आ रहा था। आयोजन के दौरान सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक डॉ। विंदेश्वरी पाठक ने कहा कि उनकी कोशिश विधवाओं को लेकर समाज में सदियों से जारी कुरीतियों को खत्म करना है। ब्रज की होली वृंदावन और वाराणसी की विधवाओं के जीवन में नया रंग भरने में कामयाब होगी। इस अवसर पर राजवीर सिंह, कृष्णा सिंह, बबलू, अन्नपूर्णा शर्मा, सीता, मीना, इंद्रजीत कौर, उमा, सोमवती और देववंती कुंअर आदि लोग मौजूद रहे। कान्हा की नगरी में रंगोत्सव का उल्लास अपने चरम पर है। वातावरण में रंग, अबीर, गुलाल घुला हुआ है। होली के रसियाओं की धुन पर मदमस्त हो थिरकते श्रद्धालु मंदिर देवालयो में ठाकुरजी का कृपा रस पाने को लालायित है। मंदिर देवालयों में परम्परागत होली के पदों का गायन वातावरण को आध्यात्मिकता प्रदान कर रहा है। कुंज गलियां रंगों से पटी पड़ी हैं। पग-पग पर होली के रसियाओं की धुन पर थिरकते भक्तों की मदमस्त टोली अपने जीवन के हर क्षण को जीने का प्रयास कर रही है। ठाकुर श्रीबांके बिहारी मंदिर में सेवायत गोस्वामियों द्वारा स्वर्ण रजत निर्मित पिचकारियों से टेसू के रंगों की बौछार की जा रही है। प्रसिद्ध ठाकुर राधाबल्लभ मंदिर, राधारमण मंदिर सहित अनेक मंदिरों में सुबह से शाम तक होली का धमाल मचा हुआ है।

सेवायत गोस्वामी ठाकुरजी को होली के पारम्परिक पदों का रसास्वादन करा रहे हैं। इसी क्रम में ठाकुरलीला नंद पागल बाबा मंदिर से भव्य होली का डोला निकाला गया। जोकि नगर के प्रमुख मार्गो से होता हुआ ज्ञानगुदडी स्थित प्राचीन पागल आश्रम पहुंचा। जहां जहां से होकर होली का डोला निकला, सड़कें अबीर, गुलाल से पट गयी। ढोल नंगाडों की धुन पर थिरकते श्रद्धालु जमकर होली का लुत्फ उठा रहे थे।