कानपुर। Holika Dahan 2020: हर साल फाल्गुन पूर्णिमा के दिन सूर्यआस्त के बाद एक निश्चित मुहूर्त या समय पर होलिका दहन किया जाता है। होलिका दहन में लोगों का एक समूह लकड़ी के लठ्ठे, कंडे व अन्य वस्तुओं को एक जगह पर एकत्र कर माता होलिक का रूप मान लेते हैं। फिर फाल्गुन पूर्णिमा पर उसे जलाते हैं। इस साल 2020 में फाल्गुन पूर्णिमा 9 मार्च को है। इस दिन दोपहर में ही भद्रा काल समाप्त हो जाएगा। इसलिए सूर्यास्त के बाद किसी भी समय होलिका दहन कर सकते हैं।

होली का महत्व

इस पर्व को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। पुराणों में होलिका दहन की अग्नि को पवित्र माना गया है। इस दिन होलिका की आग में प्रत्येक व्यक्ति संकल्प ले कि अपने अंदर की नकारात्मकता, बुराई व अहंकार को वो जला देगा। ऐसा करने से जीवन में सुख- शांति बनी रहेगी। माता होलिका ने अपने भाई के पुत्र प्रहलाद को होलिका की पवित्र अग्नि में जलाने की कोशिश की थी क्योंकि वो परम विष्णु भक्त था और अपने पिता को भगवान का रूप नहीं मान रहा था।

होलिका दहन की विधि

होलिका दहन फाल्गुन मास की पूर्णिमा को किया जाता है। इसके लिए पूजन सामग्री में रोली, हल्दी की गांठें, खड़ी मूंग,बताशे, कच्चा सूत, पुष्प, नारियल, बड़बुले और मिष्ठान होना अति आवश्क है। होलिका दहन के वक्त अपने गोत्र के नाम का उच्चारण करें परंतु सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें। होलिका दहन के वक्त आप मंत्र जाप करें ऊं होलिकायै नम:। इसके बाद ऊं प्रहलादाय नम : उच्चारण करके प्रहलाद का पूजन करें। फिर कच्चा सूत पकड़ कर होलिका के चारों ओर तीन बार परिक्रमा करें।