KANPUR: त्योहार हमारी सभ्यता, संस्कृति और परम्पराओं का प्रतीक होते हैं। हर साल त्योहार मनाकर हम परम्पराओं को आगे बढ़ाते हैं। इसके साथ ही त्योहार लोगों को एक-दूसरे के करीब भी लाते हैं। दोस्तों, रिश्तेदारों और पड़ोसियों को मिलने का मौका देते हैं। होली भी एक ऐसा ही त्योहार है। होलिका दहन पर पूरे मोहल्ले के लोग एक जगह पर एकत्र होकर फेस्टिवल को सेलिब्रेट करते हैं। लेकिन कुछ सालों से होलिकाओं की संख्या बढ़ती जा रही है। हर गली नुक्कड़ पर लोग होलिका रखने लगे हैं। बल्कि एक ही गली और रोड पर थोड़ी-थोड़ी दूर पर लोग कई होलिकाएं लगा देते हैं। इनकी वजह से लोगों का सामाजिक जुड़ाव तो कम हो ही रहा है साथ ही ट्रैफिक प्रॉब्लम, पॉल्यूशन, रोड खराब होने जैसी मुश्किलें भी पैदा होती हैं।

 

शहर में लगती हैं चार हजार होलिका

हर साल होलिकाओं की संख्या बढ़ती जा रही है। पिछले साल तक छोटी-बड़ी होलिकाओं की संख्या ब् हजार के करीब पहुंच चुकी है। नीरा त्रिपाठी, योगेश के मुताबिक पहले होलिका चौराहों या फिर अधिक जगह वाले स्थान पर सजाई जाती थी। जिसमें केवल मोहल्ले के ही नहीं आसपास के लोग भी फैमिली के साथ शामिल होते थे। इस दौरान लोग एक दूसरे के फैमिली मेंबर से मिलते, हाल-चाल और सुख-दु:ख की जानकारी लेते। इससे मेलजोल और आपसी प्रेम बढ़ता था। गले मिलकर लोग पुराने गले-शिकवे भी भुला देते हैं। लेकिन इधर कुछ वर्षो से तेजी से ट्रेंड बदला है, गली-गली होलिकाएं लगाने की होड़ लग गई है।

 

हर गली, हर नुक्कड़

आर्य नगर चौराहे के आसपास ही फ् जगह, एक्सप्रेस रोड, मालरोड, हरबंश मोहाल, सिटी साइड सेंट्रल स्टेशन के आसपास ही क्0 जगह से ज्यादा होलिकाएं सज जाती हैं। इसी तरह किदवई नगर, दर्शनपुरवा, गुमटी नंबर भ्, कौशलपुरी, बम्बारोड, नसीमाबाद, नौबस्ता, श्याम नगर, बाबूपुरवा कालोनी आदि मोहल्लों में मेन रोड के अलावा उनसे कनेक्ट गलियों में भी दो-दो, तीन-तीन-तीन होलिकाएं सजाई जाती हैं।

 

क्या है नई होलिका की वजह?

होलिकाओं की बढ़ती संख्या की भी कई वजह है। एक तो होलिका सजाने के नाम पर लोग अपनी जेबें भरने का जुगाड़ नजर आने लगा। वे होलिका की लकडि़या, पूजन सामाग्री आदि के नाम पर चन्दा वसूली करते हैं। दूसरे छुटभैये नेता होलिका दहन के नाम पर नेतागिरि चमकाने के लिए अपने घर के पास नई होलिकाएं सजवाने लगते हैं। वहीं कुछ लोगों मोहल्ले में अपनी धमक दिखाने के लिए भी नई होलिकाएं सजाने लगे। इन्हीं कुछ वजहों से होलिकाओं की संख्या भी बढ़ती जा रही है।

 

बिना परमीशन के लगा रहे

एडीएम सिटी अविनाश सिंह ने बताया कि नई होलिका लगाने के लिए प्रशासन से परमीशन लेना जरूरी है। प्रशासन संबंधित एरिया के थाने से रिपोर्ट मिलने के बाद ही परमीशन जारी करता है। लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं होता है। लोग परमीशन तो दूर जानकारी दिए बगैर ही नई होलिकाएं सजा लेते हैं। पुलिस भी धार्मिक कार्यक्रम होने की वजह से नहीं रोकती हैं। बस वह ये ध्यान देती है कि कहीं ऐसी जगह नई होलिका न लगे, जिससे माहौल साम्प्रदायिक न हो रहा हो।

 

मुश्किलें बढ़ती जाती हैं।

होलिकाओं की बढ़ती संख्या और बेतरतीबी लकडि़यां व झाडि़यां डाल देने से लोगों की मुश्किलें बढ़ जाती हैं। बिजी ट्रैफिक वाले आर्य नगर, चाट चौराहा, जूही हमीरपुर रोड मिलेट्र्ी कैम्प चौराहा, हरबंश मोहाल थाना के पास, एक्सप्रेस रोड आदि जैसी बिजी ट्रैफिक वाली रोड पर होलिका के लिए लकडि़यां और पेड़ काटकर इकट्ठा करते हैं। बेतरतीबी से डाली गई लकडि़यों और झाडि़यों की वजह से ट्रैफिक प्रॉब्लम ही नहीं बल्कि रोड एक्सीडेंट की वजह भी साबित होते हैं। अपने फायदे के लिए नई होलिका लगाने वाले लोग ये भी ख्याल नहीं रखते कि ट्रांसफॉर्मर के पास व बिजली के तारों के नीचे भी होलिकाएं लगाने से हादसा भी हो सकता है।

 

हरे पेड़ भी काट देते

होलिका के लिए लकडि़यां इकट्ठी करने के लिए लोग आसपास के हरे पेड़ काट कर डाल देते हैं। जबकि वैसे ही सिटी में फॉरेस्ट एरिया केवल क्.भ्म् परसेंट ही है। वन विभाग के ऑफिसर आंखें बंद किए रहते हैं। डीएफओ रामकुमार के मुताबिक फारेस्ट कवर कम से कम फ्0 परसेंट होना चाहिए। इसीलिए वन विभाग ही नहीं अन्य विभागों को हर साल ट्री प्लान्टेशन का टारगेट दिया जाता है। होलिकाओं के लिए इकट्ठी की गई लकडि़यां के बीच पॉलीथिन आदि डाल देते हैं। जिसके जलने पर एयर पाल्यूशन भी बढ़ जाता है।

 

आई कनेक्ट

'मिलजुलकर सामूहिक रूप से त्योहार मनाने का मजा ही अलग है। इसलिए होलिका दहन जगह-जगह नहीं किया जाना चाहिए.'

-नीरा त्रिपाठी

 

'मोहल्ले में जगह-जगह होलिका दहन नहीं होना चाहिए। एक जगह होने से मोहल्ले के सभी लोग आपस में मिल-जुल सकेंगे.'

- रमन अवस्थी

 

' मोहल्ले में एक जगह बेटर है क्योकि इससे ट्रैफिक में प्रॉब्लम नहीं होगी। क्योंकि सारी होलिका रोड या चौराहे पर ही होती हैं.'

-सुरेन्द्र ओझा

 

'फेस्टिवल मिलजुल कर मोहल्ले में एक जगह मनाना चाहिए। इससे एकता बढ़ती है। '

-सुशील यादव

 

'होलिका मोहल्ले में एक ऐसी जगह सजानी चाहिए। जिससे किसी को प्रॉब्लम न हो और सभी लोग वहां आकर सेलीब्रेट कर सके.'

-योगेश शंखधर