-डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में होम्योपैथिक दवा लेने के लिए पर्चा दो रुपए का खाली शीशी पांच रुपए की

-दवा लेने के लिए मरीजों को बाहर से खरीदकर लानी पड़ती है शीशी

BAREILLY :

इलाज के लिए पर्चा 2 रुपए का और दवा के लिए खाली शीशी पांच रुपए की। जी हां यह हाल डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के होम्योपैथिक विभाग का है। होम्योपैथिक विभाग में आने वाले मरीजों को दवा लेने के लिए शीशी मेडिकल से खरीदकर लानी पड़ रही हैं। दवा काउंटर पर शीशी न लाने वाले मरीजों को कागज की पुडि़या में दवा दी जा रही थी। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने जब इसकी हकीकत जानने के लिए मरीजों से पूछा तो उन्होंने बताया कि होम्योपैथिक की दवा लेने को शीशी साथ लानी जरूरी है और जो लोग शीशी नहीं लाते हैं उन्हें कागज की पुडि़या में दवा थमा दी जाती है।

डेढ़ सौ से अधिक आते हैं मरीज

डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के होम्योपैथिक विभाग में डेली करीब डेढ़ सौ मरीज आते हैं, लेकिन इनमें से अधिकतर मरीजों के पास दवा लेने के लिए शीशी नहीं होती है। ऐसे में उन्हें कागज में दवा दे दी जाती है, लेकिन कागज में दवा लेते ही कागज भी दवा से भीग जाता है। मरीजों ने बताया कि दवा लेने के लिए पर्चा बनवाने का दो रुपए शुल्क है लेकिन दवा के लिए एक खाली शीशी की कीमत 3-5 रुपए है। एक मरीज को कम से कम दो या तीन शीशी तो लानी ही पड़ती हैं। इसीलिए हॉस्पिटल में दवा से महंगी खाली शीशी पड़ रही है।

तो इसीलिए दवा नहीं करती फायदा

दवा लेने आए कई मरीजों ने दवा काउंटर पर शिकायत कर कहा कि दवा फायदा नहीं कर रही है। इस पर दवा वितरण करने वाली महिला ने भी माना कि दवा शीशी में दी जाती है, लेकिन जब मरीज शीशी नहीं लाते हैं तो कागज में दवा देनी पड़ती है तो दवा फायदा कहां से करेगी। क्योंकि दवा में जो लिक्विड मिलाया जाता है वह तो कागज में ही रह जाता है। इसीलिए दवा फायदा नहीं करती है।

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-एक वर्ष से होम्योपैथिक की दवा लेने के लिए हॉस्पिटल आता हूं। पहले तो दवा शीशी में मिलती थी, लेकिन अब शीशी मिलना बंद हो गई। अब शीशी खुद अपने साथ लानी होती है। पांच शीशी दवा के लिए लाता हूं।

अजय मेहरोत्रा

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-हॉस्पिटल में पर्चा दो रुपए का बनाया, लेकिन पन्द्रह रुपए की शीशी खरीदनी पड़ी। बदायूं रोड से किराया खर्च कर आना और जाना इतने में तो प्राइवेट से दवा मिल जाएगी।

रीना

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दवा लेने के लिए दूसरी बार आया हूं, शीशी लाना भूल गया तो कागज की पुडि़या में दवा दे दी। जबकि डॉक्टर ने दवा हाथ में लेने से भी मना किया, लेकिन कागज में दवा दे दी।

रामकिशोर