कपंनी बनाकर सॉफ्टवेयर की बिक्री के लिए रेस्त्रां व होटल्स पर जाकर करती थी मार्केटिंग

आज कंपनी के इंडिया के साथ-साथ दुबई, बहरीन, कनाड़ा और न्यूजीलैंड जैसे देशों में भी हैं क्लाइंट्स

Meerut। कौन कहता है कि आसमान में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालों यारोंयकीनन कड़ी मेहनत और कुछ करने का जज्बा हो तो साधनों के अभाव में भी मंजिल हासिल की जा सकती है। सुभाष नगर निवासी मानसी सक्सेना पर ये कहावत बिल्कुल सटीक बैठती है। 26 साल की उम्र में मानसी आज अपनी सॉफ्टवेयर कंपनी चला रही हैं। मामूली इंवेस्टमेंट से शुरू हुई कंपनी को मानसी ने अपनी मेहनत से अलग पहचान दी है। यही वजह है कि वह देश के साथ ही विदेश में भी अपने प्रॉडक्ट्स की डील कर रही हैं। बकौल मानसी इस सफर को तय करना बिल्कुल भी आसान नहीं था।

डोर टू डोर की मार्केटिंग

मानसी जब दो साल की थी तब उनके पिता एमजी सक्सेना की डेथ हो गई थी। मां रीता सक्सेना के लिए तीन बहनों को पालना चुनौती भरा काम था। मानसी ने बचपन से ही मां का संघर्ष देखा और बडे़े होकर कुछ करने की ठान ली। आंखों में पलते सपने को साकार करने के लिए मानसी ने एमबीए किया। मां दिल की मरीज हैं इसलिए मानसी बाहर नहीं जाना चाहती थी। छोटे से शहर में बड़ा सपना साकार करना अब भी चुनौती बना हुआ था। मानसी बताती हैं कि उनका चाचा का बेटा सुशांत बाहर से पढ़ाई करके आया था। एक दिन बातों-बातों में उसके साथ मिलकर अपनी सॉफ्टवेयर कपंनी बनाने की सोची। इसके बाद 2016 में उन्होंने स्क्रिपटैग सॉल्यूशन प्रा। लि। नाम से कंपनी बनाई। एडवांस फीचर से लैस बिलिंग सॉफ्टवेयर को बेचने का जिम्मा भी उनका ही था। मानसी बताती हैं कि उन्होंने डोर-टू-डोर मार्केटिंग करनी शुरु की। रेस्टोरेंट्स और होटल्स पर जाकर वह खुद डेमो देती थी। प्रॉडक्ट अच्छा था इसलिए लोग हाथों-हाथ लेते थे लेकिन पेपर-पेन से बाहर नहीं निकलना चाहते थे, मगर मानसी ने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने दोगुनी मेहनत से काम किया और अलग स्ट्रैटजी तैयार कर लोगों को डेमो दिया। काम चल निकला और आज मानसी शहर के कई बड़े रेस्टोरेंट्स के अलावा दुबई, बहरीन जैसे देशों के अलावा कनाड़ा, न्यूजीलैंड आदि देशों में भी डील कर रही हैं।

छोटे से शहर में बनाई मंजिल

मानसी कहती हैं कि बड़े शहरों में जहां काम के मौके ज्यादा होते हैं वहां खुद को एक्सप्लोर करना आसान होता है। छोटे शहर में काम करना और मौके तलाशना बहुत मुश्किल है। गूगल मैप इंडीग्रेशन, फ्री इमेल, इंवेंट्री कंट्रोल, ग्राफिकल रिपोर्ट जैसे तमाम एडवांस फीचर सॉफ्टवेयर में होने के बावजूद शुरू में लोगों का रेस्पांस नहीं मिलता था। मानसी बताती हैं कि लोग अक्सर बातें सुना देते थे मगर मैंने कभी हार नहीं मानी। मेरा मोटो साफ है कि जो सुविधाएं दूसरे देशों में हैं वह इंडिया में भी लोगों को आसानी से मिलनी चाहिए।