RANCHI : सीसीएल रजरप्पा के पानी टंकी में झाड़ू की नौकरी करने वाली यह एक मां के संघर्ष, स्वाभिमान और सम्मान की अदभुत कहानी है। सीसीएल रजरप्पा के पानी टंकी में झाड़ू लगाने का काम करने वाली सुमित्रा ने अपने तीनों बेटों में एक को इंजीनियर, दूसरे को डॉक्टर और तीसरे को आईएएस बनाया। तीनों बेटों को अफसर बनाने के बावजूद उन्होंने अपने काम को बड़ा माना और 60 साल की उम्र तक नौकरी के बाद सोमवार को सम्मान के साथ रिटायर हुईं। रियाटरमेंट समारोह में मां के संघर्ष व स्वाभिमान को नमन करने के लिए तीनों बेटे खास तौर पर मौजूद थे।

बेहतर कार्यो की सराहना

इस मौके पर सीसीएल रजरप्पा के स्टाफ ऑफिसर (ई एंड एम) धीरेंद्र बिहारी मुख्य अतिथि के रुप में मौजूद थे। उन्होंने पुष्पगुच्छ एवं शॉल भेंट कर उन्हें विदाई दी। साथ ही नौकरी के कार्यकाल में सुमित्रा देवी द्वारा किए गए बेहतर कार्यों की सराहना की। उन्होंने कहा कि सेवानिवृत्ति जीवन का अहम हिस्सा है। यह पल सभी के जीवनकाल में एक बार जरूर आता है। विदाई के पल भावुक होते हैं। आपने जिस तरह ईमानदारीपूर्वक कंपनी को योगदान दिया, वह कंपनी एवं समाज के लिए प्रेरणा है।

भावुक हुईं सुमित्रा देवी

रिटायरमेंट समारोह में सुमित्रा देवी भी भावुक हो गईं, लेकिन उन्होंने अपने आप को संभाले रखा। उन्होंने कहा कि इतने सालों तक सीसीएल में सेवा करने के दौैरान उन्हें कर्मियों से जो सहयोग मिला, वह ताउम्र याद रहेगी। उन्होंने कहा कि उन्हें यह कभी नहीं लगा कि तीन बेटे अफसर हो गए हैं तो अपना काम छोड़ दूं। अपनी नौकरी की बदौलत ही अपने बेटों को अफसर बनाने में कामयाब हुई हूं, तो भला उसे कैसे छोड़ सकती थी। मौके पर टाउनशिप इंचार्ज आनंद कुमार, सब इंजीनियर एबी मुखर्जी सहित चितरंजन दास चौधरी, वशीर अंसारी, विनोद कुमार आदि मौजूद थे।

मां से मिला कामयाबी का मंत्र

सुमित्रा देवी के सबसे छोटा पुत्र महेंद्र कुमार सिवान जिला के जिलाधिकारी (डीएम) हैं, जबकि बड़े पुत्र विरेंद्र कुमार रेलवे के इंजीनियर एवं दूसरे पुत्र धीरेंद्र कुमार डॉक्टर हैं। तीनों पुत्रों ने बारी-बारी से अपनी कामयाबी की बातों को टाउनशिप के कर्मियों के समक्ष रखा। उन्होंने बताया कि उनकी माता काफी संघर्ष कर उन्हें उच्च शिक्षा दिलाई। उन्हीं की बदौलत आज तीनों अपनी-अपनी जगह पर खड़े हैं। सिवान डीएम महेंद्र कुमार ने कहा कि कोई भी काम जीवन में कठिन नहीं होता है। मेहनत करने से हर कार्य संभव हो जाता है। काम ईमानदारी से करना चाहिए।