सुबह के करीब 9.30 बजे अशोक मार्ग पर ट्रैफिक धीरे-धीरे अपनी रफ्तार पकड़ रहा था। इसी बीच जवाहर भवन के सामने बीच सड़क पर अचानक काले रंग का एक घोड़ा आ खड़ा हुआ। बढ़ते ट्रैफिक के चलते वह विचलित हो उठा और वह उछलकूद करने लगा। यह देख वहां से गुजर रहा ट्रैफिक अचानक थम गया।

एक-दो लोगों ने उसके बगल से गुजरने की कोशिश भी की लेकिन बिदक चुके उस घोड़े ने उन्हें दौड़ा लिया। वहां मौजूद लोगों ने बताया कि मानो शहर की सबसे बिजी रोड किसी रेसकोर्स में बदल गई हो। करीब 15 मिनट तक इस घोड़े के आतंक से अशोक मार्ग पर लंबा ट्रैफिक जाम लग गया।

नहीं मिली रस्सी

इसी बीच हजरतगंज कोतवाली में तैनात बीट कान्सटेबल मोहित जाम की वजह जानने अशोक मार्ग पर निकला। ट्रैफिक से बचते-बचाते जब वह जवाहर भवन पर पहुंचा तो जाम की वजह उसके सामने थी। कान्सटेबल मोहित ने फौरन अपनी बाइक किनारे पार्क की और घोड़े को काबू में करने की कोशिश की। पर, बिदका घोड़ा उसके काबू में नहीं आ रहा था।

मोहित ने घोड़े को रस्सी से बांधना चाहा लेकिन उसे आसपास कोई भी रस्सी का टुकड़ा नहीं मिला। आखिरकार रोड साइड पड़े एक पर्दे और धोती के टुकड़े को उसने किसी तरह रस्सी की तरह बटा और आसपास के लोगों की मदद से उसके गले में बांधने में सफल रहा।

नहीं मिली कोई जानकारी

घोड़े को काबू में कर लेने के बाद मोहित ने घोड़े के मालिक के बारे में आसपास पूछताछ की लेकिन वहां मौजूद किसी भी शख्स ने इसकी जानकारी से इनकार किया। जिसके बाद कान्सटेबल मोहित घोड़े को लेकर पैदल ही कोतवाली के लिये चल पड़ा। कोतवाली पहुंचने पर पुलिसकर्मी घोड़े की करतूत सुनकर अवाक रह गये।

समस्या यह खड़ी हो गई कि इस घोड़े का किया क्या जाये। काफी देर तक चली मंत्रणा के बाद तय हुआ कि उसे जब्त वाहनों के  बगल में स्थित पेड़ में बांध दिया जाये और उसके मालिक का इंतजार किया जाये। पुलिसकर्मी इस बात से भी चिंतित रहे कि कस्टडी में लिये गये या अरेस्ट किये गये लोगों के खाने का तो इंतजाम होता है, लेकिन घोड़े के चारे का इंतजाम कैसे किया जाये। देरशाम तक घोड़े का कोई वारिस थाने नहीं पहुंचा।