बिना मंजूरी के बने तीन हॉस्टल्स को लेकर है विवाद

प्रशासन ने हस्तक्षेप करने से इनकार

देहरादून: प्रेमनगर क्षेत्र के केहरी गांव में बिना स्वीकृति बनाए गए तीन हॉस्टलों की सीलिंग के बाद उपजे विवाद पर प्रशासन ने सीधा हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है। हालांकि, लोगों की मांग को देखते हुए कैंट बोर्ड से अपने स्तर पर उचित निर्णय लेने का आग्रह किया है। इस बाबत डीएम सी रविशंकर कैंट बोर्ड को पत्र भी लिख रहे हैं। वहीं, मिठ्ठी बेहड़ी में कैंट बोर्ड की ओर से सील किए गए शराब के ठेके के मामले में सर्वे ऑफ इंडिया से सर्वे कराने का निर्णय लिया गया है।

सीमा को लेकर है विवाद

हॉस्टल की सीलिंग के बाद से ही हॉस्टल संचालक इसकी मांग उठाने लगे हैं कि यह क्षेत्र कैंट बोर्ड का नहीं, बल्कि नगर निगम का हिस्सा है। सीमा की स्थिति स्पष्ट करने के लिए हॉस्टल संचालक कई दफा प्रशासन के समक्ष मांग उठा चुके हैं। हालांकि, कैंट बोर्ड अपनी तरफ से यह स्पष्ट कर चुका है कि वर्ष 2016 में राष्ट्रपति शासन के दौरान जब केहरी गांव में अवैध निर्माण का मामला संज्ञान में आया था, तब सर्वे ऑफ ऑफ इंडिया, रक्षा संपदा मेरठ, राजस्व विभाग, एमडीडीए व कैंट बोर्ड की टीम ने संयुक्त सर्वे किया था। तब सर्वे ऑफ इंडिया ने सीमा की स्थिति स्पष्ट कर पिलर भी लगाए थे। जीपीएस पिलर भी इसका हिस्सा हैं और उसी के अनुरूप कैंट बोर्ड ने अपनी सीमा को दुरुस्त कर लिया था। उसी सर्वे के अनुरूप कैंट बोर्ड क्षेत्र में आने वाले हॉस्टल को सील किया गया है। तमाम दस्तावेजों पर गौर करने के बाद ही डीएम ने इस पर फिलहाल किसी भी तरह के हस्तक्षेप से इन्कार करने की बात कही है। साथ ही उन्होंने कहा कि मिट्ठी बेहड़ी क्षेत्र में सर्वे ऑफ इंडिया ने सर्वे नहीं किया है। अपनी तरफ से प्रशासन की टीम को भी वहां भेजा गया था, लेकिन उन्हें पिलर की स्थिति न पता चल पाने के चलते बात आगे नहीं बढ़ पाई। अब सर्वे ऑफ इंडिया को पत्र भेजकर यहां सीमा की स्थिति साफ करने का आग्रह किया जा रहा है।

सीमांकन पर याचिका निरस्त

सीलिंग से पहले हॉस्टल संचालक ने सिविल जज सीनियर डिविजन की कोर्ट में भी याचिका दायर की थी, मगर कैंट बोर्ड की ओर से ताजा सीमांकन के रिकॉर्ड प्रस्तुत करने के बाद कोर्ट ने याचिका को निरस्त कर दिया था।

कैंट बोर्ड नहीं ले सकता निर्णय

किसी निर्माण को सील करने के बाद कैंट बोर्ड उसके ध्वस्तीकरण का प्रस्ताव तो ला सकता है, मगर उस पर अपने स्तर पर किसी तरह का निर्णय नहीं ले सकता। कैंट बोर्ड एक्ट की धारा 340 में कहा गया है कि मध्य कमान लखनऊ के जीओसी के पास अपील करने पर ही ऐसे प्रकरणों का निस्तारण किया जा सकता है।