- बदहाल व्यवस्था के मारे डीडीयूजीयू के चारों ब्वॉयज हॉस्टल्स के स्टूडेंट्स

- डेढ़ करोड़ के बजट से होनी थी टॉयलेट और बाथरूम की मरम्मत

- हालात खोल रहे सुस्त गति से चल रहे काम की पोल

GORAKHPUR: डीडीयूजीयू में एडमिशन प्रोसेस लगभग खत्म होने वाली है। वहीं यहां के चार ब्वॉयज हॉस्टल्स में रिन्युअल व न्यू रजिस्ट्रेशन प्रोसेस भी 20 जुलाई तक पूरे कर लिए जाने हैं। लेकिन जिम्मेदारों की अनदेखी और कार्यदायी संस्था रूसा की सुस्ती हॉस्टलर्स के लिए भारी परेशानी का सबब बनने वाली है। रूसा की तरफ से डेढ़ करोड़ की लागत से इन हॉस्टल्स में चल रहा टॉयलेट और बाथरूम के मरम्मत का काम अब तक पूरा नहीं हो सका है। यही वजह है कि अब भी हॉस्टल्स के ज्यादातर टॉयलेट व बाथरूम गंदगी और बदहाली का शिकार हैं। जबकि इस काम को एडमिशन प्रोसेस पूरा होने से पहले ही पूरा कर लिया जाना था। ये हालात सामने आए जब दैनिक जागरण आई नेक्स्ट रिपोर्टर डीडीयूजीयू के चारों ब्वॉयज हॉस्टल का जायजा लेने पहुंचा। इस दौरान चारों हॉस्टल्स में टॉयलेट व बाथरूम खस्ताहाल मिले। वहीं, जिस मेस को चालू करने की बात यूनिवर्सिटी प्रशासन कर रहा है, वह काम भी पूरी तरह चालू होता नजर नहीं आया।

संतकबीर पीजी हॉस्टल

टाइम - दोपहर 2.15 बजे

जब रिपोर्टर संतकबीर पीजी हॉस्टल पहुंचा तो गेट पर एंट्री करते ही बायीं तरफ सुप्रीटेंडेंट ऑफिस में कर्मचारी मोबाइल फोन में व्यस्त नजर आए। कुछ हॉस्टलर्स से जब समस्या को लेकर बात करने की कोशिश की गई तो वे बाहरी निकले। फिर रिपोर्टर जब बाथरूम और टॉयलेट के हालात देखने के लिए आगे बढ़ा तो वहां की गंदगी जिम्मेदारों की पोल खोलती नजर आई। वहीं जिम्मेदारों के मेस में निर्माण के भी दावे खोखले ही नजर आए। किसी भी प्रकार का कोई काम नहीं हो रहा था।

गौतम बुद्ध रिसर्च हॉस्टल

टाइम - दोपहर 2.24 बजे

इसके बाद रिपोर्टर गौतम बुद्ध रिसर्च हॉस्टल पहुंचा तो रिसर्च स्कॉलर्स के अलावा बाहरी तत्व भी नजर आए। पूछे जाने पर वह खुद को हॉस्टलर्स के रिश्तेदार बताने लगे। हालात देखने जब रिपोर्टर आगे बढ़ा तो वहां मेस की दीवारों पर रंगाई-पोताई का काम चल रहा था। लेकिन टॉयलेट-बाथरूम में भरी पड़ी गंदगी जिम्मेदारों की पोल खोलती नजर आई। किसी प्रकार की कोई मरम्मत नहीं हो रही थी।

विवेकानंद लॉ हास्टल

टाइम - दोपहर 2.47 बजे

रिपोर्टर जब विवेकानंद हॉस्टल पहुंचा तो वहां शांति थी। कुछ हॉस्टलर्स से पूछे जाने पर वे जर्जर छज्जे, टॉयलेट व बाथरूम के पास ले गए जहां की गंदगी और हालात इस बात को बयां कर रहे थे कि जो बजट आया है उसका एक प्रतिशत भी काम में इस्तेमाल नहीं हुआ। मेस की व्यवस्था शुरू होने जैसे भी कोई कार्य नजर नहीं आए।

नाथ चंद्रावत हॉस्टल

टाइम - दोपहर 3.05 बजे

नाथ चंद्रावत हॉस्टल में पहुंचने पर हॉस्टलर शशांक व सुधीर मिले जिन्होंने छत से गिरता पानी दिखाया। टॉयलेट व बाथरूम की बदहाली दिखाई। सुधीर ने बताया कि टॉयलेट व बाथरूम में लगे वॉश बेसिन पूरी तरह खराब हैं लेकिन कोई झांकने तक नहीं आता। बजट भी आया है तो मरम्मत क्यों नहीं हो रही इसका किसी को पता नहीं है।

वार्डेन कोट्स

हॉस्टल में टॉयलेट बनाया गया है। जो पुराने हैं उनकी मरम्मत नहीं हई है। इसके लिए भी यूनिवर्सिटी को पत्र लिखा गया है। वहीं मेस में मरम्मत कार्य चल रहा है। अवैध छात्रों को किसी भी दशा में नहीं रहने दिया जाएगा।

- प्रो। संजय बैजल, वार्डेन, संतकबीर हॉस्टल

हॉस्टल में पुराने टॉयलेट व बाथरूम की साफ-सफाई पर जोर दिया जाता है। जो खराब हैं उनकी मरम्मत के लिए लिए पत्र लिखा गया है। कुछ नए टॉयलेट व बाथरूम बनाए जा रहे हैं।

प्रो। अजय कुमार शुक्ला, वार्डेन, एनसी हॉस्टल

जो पहले से चला आ रहा है वह खराब है। 95 रिसर्च स्कॉलर के लिए रूसा के बजट से एक नया पूरा सेट बन रहा है। थर्ड पार्टी का इंस्पेक्शन होना बाकी है। उसके बाद ही यूनिवर्सिटी को हैंड ओवर होगा।

प्रो। रवि शंकर सिंह, वार्डेन, गौतम बुद्ध हॉस्टल

टॉयलेट व बाथरूम गंदा न हो इसके लिए साफ-सफाई पर जोर दिया जाता है। न्यू टॉयलेट व बाथरूम का निर्माण चल रहा है। उसका फाइनल इंस्पेक्शन नहीं हुआ है। निर्माण में खराबी होगी तो इसकी शिकायत की जाएगी।

प्रो। चंद्रशेखर, वार्डेन, विवेकानंद हॉस्टल

स्टूडेंट कोट्स

हॉस्टल में बहुत गड़बडि़यां हैं। टॉयलेट-बाथरूम तो खराब हैं ही लेकिन मरम्मत के नाम पर सिर्फ छलावा है। मेस का काम चल रहा है लेकिन वह भी धीमी गति से ही हो रहा है। एकमुश्त तीस हजार रुपए मेस का कहां से कोई दे पाएगा।

- अजय कुमार, हॉस्टलर

विवेकानंद हॉस्टल के कई छज्जे जर्जर हैं। टॉयलेट व बाथरूम का भी बुरा हाल है। बजट है तो फिर मरम्मत क्यों नहीं कराई जा रही। बजट का रोना रोया जाता है, लेकिन जब रूसा से बजट आया है तो उससे मरम्मत भी कराई जानी चाहिए।

- मनीष त्रिपाठी, हॉस्टलर

मेस की व्यवस्था का विरोध नहीं है लेकिन जो शुल्क 30 हजार रुपए रखा गया है वह ज्यादा है। ऊपर से न्यू रजिस्ट्रेशन और रिन्युअल का चार्ज भी इस बार बढ़ा दिया गया है। यह तो हॉस्टलर्स के साथ गलत किया जा रहा है।

दिग्विजय सिंह, हॉस्टलर

एनसी हॉस्टल का बुरा हाल है। टॉयलेट और बाथरूम से पानी टपकता रहता है। सफाई होती नहीं है। एक नया बन भी रहा है तो पिछले कई महीने से बन ही रहा है। पता नहीं कब कंप्लीट होगा। मेस शुल्क का विरोध तब तक रहेगा जब तक कम नहीं हो जाता।

सुधीर पांडेय, हॉस्टलर

वर्जन

डेढ़ करोड़ के बजट से हॉस्टल में टॉयलेट व बाथरूम का निर्माण चल रहा है। अभी यूनिवर्सिटी को हैंडओवर नहीं किया गया है। थर्ड पार्टी के इंस्पेक्शन के बाद ही उसे कॉन्टिन्यू किया जाएगा।

प्रो। राजवंत राव, को-ऑर्डिनेटर, रूसा, डीडीयूजीयू