रांची: 30 साल पुराने होटल रांची अशोक की हालत आज बेहद खराब हो गई है। एक समय सिटी की धरोहर माने जाने वाले इस होटल की बर्बादी का आलम यह है कि अब यह खंडहर में तब्दील हो रहा है। होटल की दीवारों पर काई की परत जम गई है। पूरे परिसर में झाडि़यां उग आई हैं। अंदर जो सामान रखे थे, वे भी धीरे-धीरे खराब हो रहे हैं। कमरों की भी स्थिति इतनी खराब हो गई है कि इस होटल को फिर से खोला भी जाता है, तो इसका मेकओवर करना होगा। कुल मिलाकर करोड़ों का होटल कौडि़यों का होता जा रहा है। एक समय यह होटल रांची की शान था।

दो साल से बंद है होटल

डोरंडा स्थित होटल रांची अशोक को बंद हुए दो साल से भी ज्यादा समय हो चुके हैं। धीरे-धीरे होटल की बिल्डिंग बर्बाद होती जा रही है। आलम यह है लॉक डाउन के कारण होटल के सामान भी बर्बाद हो रहे हैं। दूसरी ओर, पिछले तीस महीने से कर्मचारियों को वेतन नहीं मिलने के कारण उनके समक्ष भूखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई है। इस बीच केंद्रीय पर्यटन सचिव योगेंद्र त्रिपाठी ने झारखंड के मुख्य सचिव डीके तिवारी को एक पत्र भेजा है, जिसमें होटल के विनिवेश के फैसले को लेकर राज्य सरकार का रुख साफ करने को कहा गया है।

नवंबर में भी हुई थी समीक्षा

होटल रांची अशोक के सारे शेयर आईटीडीसी और बिहार सरकार से खरीदकर झारखंड सरकार द्वारा इसके संचालन का फैसला लिया गया था। इस मसले पर कई बार बैठकें हो चुकी हैं। 26 सितंबर 2019 को केंद्रीय पर्यटन सचिव की अध्यक्षता में एक बैठक हुई थी। इसमें कहा गया था कि विनिवेश की प्रक्रिया को तेजी से धरातल पर उतारा जाए। इसके बाद 19 नवंबर 2019 को हुई बैठक में भी झारखंड के पर्यटन सचिव ने हिस्सा लिया था। तब यह फैसला लिया गया था कि झारखंड सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी की नियुक्ति आईटीडीसी ऑफिस में की जाएगी, ताकि होटल की इक्विटी के वैल्युएशन का मामला सुलझाया जा सके। केंद्रीय पर्यटन सचिव ने राज्य के मुख्य सचिव को बताया है कि आईटीडीसी ने झारखंड सरकार को सभी जरूरी सूचनाएं दे दी हैं। साथ ही आईटीडीसी ने झारखंड सरकार को पत्र लिखकर इस मामले में जल्द से जल्द कोई फैसला लेने को कहा है।

14 करोड़ में खरीदने हैं शेयर

अभी तक इस मामले में कोई फैसला नहीं हुआ है, जिससे होटल को फिर से खोलने की कार्रवाई नहीं हो सकी है। असल में होटल के कुल शेयर, जो राज्य सरकार खरीदना चाह रही है, उसकी कीमत लगभग 14 करोड़ है। झारखंड सरकार 2018 के बाद की देनदारियों का वहन करने के लिए तैयार नहीं थी। इसी को लेकर मामला अटका पड़ा है।

2016 में सरकार ने लिया था फैसला

होटल रांची अशोक के सभी शेयर झारखंड सरकार ने खरीदने का फैसला 22 अक्टूबर 2016 को हुई कैबिनेट की बैठक में लिया था। भारत पर्यटन विकास निगम (आईटीडीसी) और बिहार पर्यटन के पास संयुक्त रूप से 87.75 प्रतिशत शेयर हैं। राज्य सरकार के पास सिर्फ 12.25 प्रतिशत ही शेयर हैं। 100 फीसद शेयर के साथ राज्य सरकार को इस होटल का मालिकाना अधिकार मिलने का रास्ता साफ किया गया था, लेकिन बाद में यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया।

31 कर्मचारियों ने किया था वीआरएस लेने से इंकार

इस होटल के लॉक डाउन के समय अप्रैल 2018 में कुल 32 कर्मचारी थे, जिन्हें वीआरएस लेने का ऑपशन दिया गया था। इनमें से चार कर्मचारियों ने वीआरएस लिया था। शेष 28 अपनी मांगों पर अड़े थे। पिछले साल तंगी के कारण एक कर्मचारी की मौत हो गई। इसके अलावा तीन कर्मचारी बिना किसी लाभ के रिटायर हो गए। अब बचे हुए 24 कर्मचारी इस होटल को जल्द से जल्द खोलने और कर्मचारियों का बकाया वेतन देने की मांग कर रहे हैं।