हाईकोर्ट बेंच के लिए कई वर्षो से की जा रही है मांग

कोर्ट की कमी से फरियादियों को समय से नहीं मिलता इंसाफ

Meerut । देशभर में सोमवार को संविधान दिवस मनाया जाएगा। इसके तहत मेरठ में कई स्थानों पर कार्यक्रमों का आयोजन होगा, लेकिन इसके इतर दूसरी तस्वीर भी है कि मेरठ में ही इंसाफ पाने के लिए फरियादियों को कई सालों का इंतजार करना पड़ता है। हालत यह है कि अभी तक मेरठ की 80 कोर्ट में 2.5 लाख के करीब केस पेंडिंग है। कोर्ट की कमी से लोगों को न्याय मिलने में देरी हो रही है। अंग्रेजी में कहावत है कि जस्टिस डीलेड इज जस्टिस डिनाइड अर्थात् न्याय में देरी स्वयं अन्याय है। यही नहीं पश्चिम उत्तरप्रदेश में फरियादियों को जल्द से जल्द न्याय मिल सके इसलिए यहां पर कई वर्षो से हाईकोर्ट बेंच की मांग भी की जा रही है।

यह है मेरठ की स्थिति

80- कोर्ट

75 जज

54 सरकारी वकील

6 हजार - अधिवक्ता

2.50 लाख - पेंडिग केस

7 हजार- कचहरी में लोगों का आवागमन

7 हजार- मुंशी

40 - कोर्ट की है आवश्यकता

तीन बार हो चुकी है कोर्ट की स्थापना की घोषणा

24 मई 2018

प्रदेश सरकार की तरफ से पिछले डेढ़ साल में तीन बार मेरठ में नई कोर्ट की स्थापना की घोषणा हो चुकी है, लेकिन घोषणा सिर्फ कागजों तक सीमित है। 24 मई को प्रदेश सरकार ने महिला उत्पीड़न के लिए नई कोर्ट बनाने की घोषणा की थी, लेकिन वह अभी तक कागजों में चल रही है।

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मेरठ में कोर्ट की कमी है। इसके कारण फरियादियों को इंसाफ के लिए काफी वर्षो का इंतजार करना पड़ रहा है।

रोहिताश्व अग्रवाल - पूर्व अध्यक्ष मेरठ बार एसोसिएशन

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फैसलों के देरी से आने का मुख्य कारण तो वैसे कोर्ट की कमी है। दिन पर दिन आबादी बढ़ती जा रही है। जिससे केसों की भी संख्या बढ़ती जा रही है। कोर्ट की स्थापना तीस साल पहले आबादी के अनुसार हुई थी।

राजेंद्र जानी अध्यक्ष मेरठ बार एसोसिएशन

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मेरठ में कई ऐसे चर्चित केस है जिनको आज तक इंसाफ नहीं मिला है। अगर कोर्ट की कमी को पूरा कर दिया जाए तो लोगों को इंसाफ मिलने में देर न लगेगी।

देवकी नंदन शर्मा महामंत्री मेरठ बार एसोसिएशन

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मेरठ की कोर्ट में ऐसे मुकदमे लाखों की तादाद में है जिन्हें बीस साल से अधिक हो गया है। उन्हें आज तक इंसाफ नहीं मिला है।

अनिल बख्शी सीनियर अधिवक्ता व पूर्व अध्यक्ष मेरठ बार एसोसिएशन