कानपुर (इंटरनेट डेस्‍क)। How to Identify Deepfake: जागरण न्यू मीडिया की फेमस फैक्‍ट चेक वेबसाइट विश्‍वास न्‍यूज के फैक्ट चेकर्स ने मथुरा के वरिष्ठ नागरिकों के लिए आयोजित खास वेबिनार में पार्टिसिपेंट्स को डीपफेक को पहचानने के तरीकों के साथ ही उससे बचाव के बारे में विस्‍तार से जानकारी दी। इस मीडिया साक्षरता अभियान की शुरुआत करते हुए सीनियर एडिटर एवं फैक्ट चेकर उर्वशी कपूर ने रोचक उदाहरण के जरिए सूचनाओं को सच, झूठ और राय के बीच रखने का प्रशिक्षण दिया। उन्होंने कहा कि किसी भी संदिग्ध पोस्ट को फॉरवर्ड करने से पहले उसकी जांच करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि मिसइन्फॉर्मेशन के प्रसार को रोकने के लिए जरूरी है कि हम केवल उन्हीं जानकारियों को आगे बढ़ाएं, जिनकी विश्‍वसनीयता पर हमें पूरा भरोसा है। इसके साथ उन्होंने बुनियादी फैक्ट चेकिंग टूल्स के बारे में जानकारी शेयर की।

दी गई डीपफेक को पहचानने की ट्रेनिंग
डिप्टी एडिटर एवं फैक्ट चेकर देविका मेहता ने लोगों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के फायदे और इसके बेहतर इस्तेमाल के तरीकों के साथ इसकी मदद से बनाए जाने वाले डीपफेक के दुष्प्रभावों के बारे में जानकारी दी। कार्यक्रम में शामिल पार्टिसिपेंट्स को डीपफेक को पहचानने के लिए जरूरी बुनियादी प्रशिक्षण देते हुए उन्होंने बताया कि कैसे सावधानीपूर्वक देखने के जरिए ऐसी तस्वीरों और वीडियो की पहचान की जा सकती है, जिन्हें एआई की मदद से लोगों को गुमराह करने के लिए बनाया जाता है। कार्यक्रम के दौरान दोनों फैक्ट चेकर्स ने लोगों को डिजिटल सेफ्टी के बारे में बताते हुए उन तरीकों और सुझावों के बारे में बताया, जिनकी मदद से वे अपने आप को डिजिटली सुरक्षित रख सकते हैं।

How to Identify Deepfake content - Special webinar

15 दिसम्‍बर को कानपुर और 18 को लखनऊ में सेमिनार
इससे पहले मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और तेलंगाना में सेमिनार और वेबिनार के माध्यम से वरिष्ठ नागरिकों को फैक्ट चेकिंग की जानकारी दी गई थी। इसके बाद अब कानपुर में 15 दिसंबर और लखनऊ में 18 दिसंबर को सेमिनार होगा। 18 दिसंबर को ही मेरठ और गाजियाबाद के लोगों के लिए वेबिनार का आयोजन होगा। गूगल न्यूज इनिशिएटिव (जीएनआई) के सौजन्य से संचालित कार्यक्रम का एकैडमिक पार्टनर माइका (मुद्रा इंस्टीट्यूट ऑफ कम्युनिकेशंस, अहमदाबाद) है।

क्‍या हैं इस अभियान की खासियतें
भारत में तेजी से बढ़ रही झूठी और भ्रामक सूचनाओं के मुद्दे को उठाने वाला मीडिया साक्षरता अभियान है 'सच के साथी सीनियर्स'। इसका उद्देश्य 15 राज्यों के 50 शहरों में सेमिनार और वेबिनार की सीरीज के माध्यम से सोर्सेस का विश्लेषण करने, विश्वसनीय और अविश्वसनीय जानकारी के बीच अंतर करते हुए वरिष्ठ नागरिकों को लॉजिकल डिसीजन लेने में मदद करना है।

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