खोलनी पड़ेगी लाखों फाइलें

सोर्सेज की मानें तो अगर सीबीआई हर ग्राम पंचायतों की एक-एक फाइल भी खोलती है, तो भी लाखों फाइलें सीबीआई को खोलना पड़ेगाकोर्ट ने जो आदेश दिया है, उसके अनुसार 2008 से 2010 के बीच मनरेगा की जांच करायी जाएगीएक-एक ग्राम सभा में कम से कम 50 से 75 काम मनरेगा के अंतर्गत हर वर्ष कराये गये हैंऐसे में एक एक काम की फाइल बनी तो फाइलों की संख्या करोड़ों में पहुंच जाएगीना सिर्फ सीबीआई के लिए जांच मुश्किल होगी बल्कि अगर फाइल को एक जगह रखना पड़ा तो सिर्फ फाइलें रखने के लिए पूरी बिल्डिंग की जरुरत पड़ेगी

मैन पॉवर की है कमी

सीबीआई को शुरुआती जांच में सात जिलों की 4800 ग्राम सभाओं के लिए मैन पॉवर की कमी भी पड़ेगीसीबीआई के पास मौजूदा समय में जांच करने के लिए कुल पंद्रह इंस्पेक्टर, चार सब इंस्पेक्टर और चार डिप्टी एसपी शामिल हैंइन अधिकारियों पर पहले से ही औसतन दो-दो केसेस हैंइसमें फूड स्कैम, एनआरएचएम स्कैम और कानपुर के कई बैंकों में हुए स्कैम शामिल हैं

एक हफ्ते में दर्ज हो सकती है एफआईआर

सूत्रों की मानें तो सीबीआई मनरेगा की जांच शुरू करने में अभी एक सप्ताह का समय और लगा सकती हैइसके पीछे की वजह जांच का दायरा हैअगर सीबीआई सभी 75 जिलों की जांच एक साथ शुरू करती है तो सीबीआई को 75 केस भी रजिस्टर कराने होंगेऐसे में जांच कितने दिन तक चलेगी? यह कहना अभी से मुश्किल होगा