छ्वन्रूस्॥श्वष्ठक्कक्त्र: केरला पब्लिक स्कूल, कदमा में गुरुवार की सुबह 10 बजे से लेकर दोपहर के 12.30 बजे तक सैकड़ों पैरेंट्स ने जमकर हंगामा मचाया। यह हंगामा स्कूल मैनेजमेंट द्वारा बच्चों को फेल कर दिए जाने के कारण हुआ। पैरेंट्स के अनुसार स्कूल मैनेजमेंट द्वारा क्लास 9 व क्लास 11 के 100 से अधिक बच्चों को फेल कर दिया गया है। सभी बच्चे 2 से 5 सब्जेक्ट में फेल हैं। पैरेंट्स का कहना था कि स्कूल द्वारा एक साथ इतने बच्चों को फेल कर दिया जाना यह दर्शाता है कि स्कूल में कतई भी पढ़ाई नहीं हो रही है। पैरेंट्स कमलेश उपाध्याय, भवानी प्रसाद साव, रमेश कुमार, विश्वजीत, गुंजन, रुक्मिणि प्रसाद साह, निशांत कुमार, कोमल कुमारी का कहना था कि बच्चों का रिपोर्ट कार्ड 9 मार्च को मिला था। तब से लेकर अब तक पैरेंट्स स्कूल के प्रिंसिपल व डायरेक्टर से मिलकर बच्चों को प्रमोट कराने को लेकर बात करते रहे, लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकला।

फ्यूचर का सवाल

पैरेंट्स ने कहा कि बच्चों के भविष्य को देखते हुए उन्हें मजबूरी में यह हंगामा खड़ा करना पड़ा। इतने बच्चों का एक साथ फेल होना स्कूल की कार्यशैली पर सवाल खड़ा करता है। इस मामले को लेकर काफी हो हंगामा होने के बाद स्कूल के डायरेक्टर शरद चंद्रन पैरेंट्स के बीच आए तथा पैरेंट्स को समझाया। जिसके बाद यह फैसला हुआ कि सोमवार को फेल हुए स्टूडेंट्स पर स्कूल मैनेजमेंट द्वारा कोई फैसला ले लिया जाएगा। इसके लिए सभी पैरेंट्स को सोमवार की सुबह 10 बजे स्कूल में बुलाया गया है।

मानकों पर खरे नहीं उतरे : चंद्रन

केरला पब्लिक स्कूल कैंपस में हंगामा के बाद गुरुवार को पैरेंट्स के साथ स्कूल मैनेजमेंट की बैठक हुई। इस बैठक में भी पैरेंट्स ने स्कूल मैनेजमेंट पर कई आरोप मढ़े। स्कूल के डायरेक्टर डॉ। शरद चंद्रन ने कहा कि क्लास 8 तक बच्चों को पास करने के सिस्टम ने सारी शैक्षणिक व्यवस्था में जहर घोल दिया है। जो बच्चे फेल हुए हैं वे आइसीएसई के नियमों के मानकों पर थोड़ा भी खरे नहीं उतरते। इस कारण वे फेल हो गए। पास होने के लिए कम से कम एक सब्जेक्ट में 40 मा‌र्क्स का होना जरूरी है, लेकिन वे ऐसा नहीं कर पाए।

पैरेंट्स का है कहना

-बच्चा इतना भी कमजोर नहीं कि वह 2-3 सब्जेक्ट में फेल हो जाए। स्कूल में पढ़ाई नहीं होने की शिकायत कई बाद प्रिंसिपल से की गई, लेकिन इसका कोई परिणाम नहीं निकला। बच्चों के भविष्य का सवाल है, हम बहुत मुश्किल से बच्चों को पढ़ा रहे हैं।

सन्नो मुखी

मेरे बेटे को चार सब्जेक्ट में फेल कर दिया गया है। टीचर्स से बार-बार अनुरोध के बावजूद टीचर बच्चे की पढ़ाई की ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। सिर्फ स्कूल का मकसद धन उगाही करना। बस यही कार्य स्कूल कर रहा है।

अंजली देवी

बच्चों की खातिर हमें आना पड़ा। बच्चों को प्रमोट करने का कोई निर्णय लें मैनेजमेंट। अन्यथा हमें दूसरा कोई रास्ता अपनाना पड़ेगा। बच्चों को बीच मंझधार में हम नहीं छोड़ सकते। इतने बच्चे स्कूल में एक साथ कैसे फैल हो सकते हैं।

माला देवी।

इतने बच्चों का एक साथ फेल होना स्कूल के पठन-पाठन के माहौल को दर्शाता है। कमजोर बच्चों पर यहां कोई फोकस हीं नहीं किया जाता। यहां तो सिलेबस भी पूरा नहीं होता और बच्चों से परीक्षा ली जाती है।

काशीनाथ पटनायक।

हर साल सैकड़ों बच्चों को प्राइवेट स्कूल इसी तरह फेल करते हैं। पैरेंट्स हंगामा करने के बाद कुछ स्कूल सुनते हैं, कुछ नहीं। बच्चे जब इतनी भारी मात्रा में फेल हो रहे हैं।

-डॉ उमेश कुमार, प्रेसिडेंट, जमशेदपुर अभिभावक संघ