छ्वन्रूस्॥श्वष्ठक्कक्त्र: महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल में आउटसोर्स कर्मचारियों को हड़ताल पर चले जाने से मरीजों की परेशानी शुरू हो गई है। रविवार की सुबह मेडिकल वार्ड में एक भी नर्स मौजूद नहीं थी। नतीजा हुआ है कि आधे से अधिक मरीज इमरजेंसी विभाग में आ गए और इलाज की मांग करने लगे। इस दौरान दोबारा वार्ड जाने की बात कहीं गई तो वे लोग हंगामा करने लगे।

मरीजों का कहना था कि वार्ड में कोई भी नर्स मौजूद नहीं है। ऐसे में उन्हें दवा व इंजेक्शन कौन देगा। इसकी सूचना अधीक्षक डॉ। एसएन झा को मिली तो उन्होंने तत्काल अस्पताल के प्रशासनिक पदाधिकारियों को मौके पर पहुंचकर मामले को देखने को कहा। इसके कुछ ही देर के बाद अधीक्षक भी अस्पताल पहुंचे और सभी नर्स व कर्मचारियों की छुट्टी रद कर दी। ताकि मरीजों को किसी तरह की परेशानी नहीं हो। इधर, आउटसोर्स कर्मचारी भी अपनी मांगों को लेकर धरना पर बैठे रहे। इस दौरान ठेकेदार प्रतिनिधि ने कर्मचारियों से बातचीत कर मामला खत्म करने की कोशिश की तो वे लोग सिरे से इन्कार कर दिए। असंगठित मजदूर संघ के सचिव भागवान जी दुबे ने बताया कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जाती तबतक वे लोग हड़ताल पर रहेंगे। सोमवार तक अगर उनकी बातें नहीं सुनी गई तो वे लोग सारा कामकाज ठप कर देंगे। फिलहाल आउटसोर्स कर्मचारी इमरजेंसी विभाग, महिला एवं प्रसूति विभाग के ऑपरेशन थियेटर, लेबल रूम, एनआईसीयू-पीआईसीयू में सेवा दे रहें है। लेकिन मंगलवार से यहां भी कामकाज बाधित कर दिया जाएगा।

भूखे-प्यासे पहुंची नर्से

मेडिसीन वार्ड के मरीज जब इमरजेंसी विभाग में हंगामा कर रहे थे तो तत्काल कुछ सीनियर नर्सो को बुला लिया गया। इस दौरान सुबह-सुबह वह भूखे-प्यासे ही अस्पताल पहुंच गई। तब जाकर मामला शांत हुआ और मरीज वापस मेडिसीन वार्ड में गए। इसके बाद से ढ़ाई बजे तक नर्से अस्पताल में मौजूद रही। इस दौरान उन्हें जोर से भूख लग गई थी। इसकी सुचना जब झारखंड राज्य चिकित्सा एवं कर्मचारी संघ के जिला मंत्री उदय झा को हुई तो उन्होंने बाहर से केला मंगाकर उन नर्सो को दिया। सामान्य दिनों में मेडिसीन वार्ड में एक शिफ्ट में कुल नौ नर्से तैनात रहती है जबकि उनके हड़ताल में जाने से सिर्फ दो ही नर्स तैनात थी। रात के वक्त मरीजों को काफी परेशानी हुई। कई वार्डो में एक भी नर्से नहीं थी।

रविवार को भी पहुंचे अधीक्षक

कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने से अधीक्षक भी परेशान दिखें। वह मरीजों को लेकर काफी चिंतित थे। इसे देखते हुए उन्होंने सभी कर्मचारियों की छुट्टी रद कर दी और उसे ड्यूटी पर बुला लिया गया। अधीक्षक देर शाम तक अपने कार्यालय में बैठे रहे और पल-पल की जानकारी लेते रहे। उन्होंने कहा कि रात के वक्त वार्ड के मरीजों को अगर ज्यादा परेशानी हुई तो उन्हें इमरजेंसी विभाग में सेवा दी जाएगी।

हर माह दिया वेतन

आउटसोर्स कंपनी के संचालक राजीव कुमार ने कहा कि 11 माह से उन्हें आवंटन नहीं मिला है, इसके बावजूद भी सभी कर्मचारियों को हर माह वेतन दिया। वहीं एक साल का बोनस भी दिया। श्रम विभाग, अधीक्षक व कर्मचारियों के साथ एक करार भी हुआ है जिसमें तय हुआ था कि अगर तीन माह का आवंटन आता है तो एक साल का बकाया बोनस दिया जाएगा और छह माह का आता है तो दो साल का दिया जाएगा। राजीव कुमार ने बताया कि तीन माह का आवंटन मिलते ही सभी कर्मचारियों को बोनस दिया। इसके बावजूद भी वे लोग हड़ताल पर चले गए है। दूसरी तरफ टेंडर के अनुसार यह भी तय हुआ था कि आउटसोर्स कर्मचारी न तो संगठन बनाएंगे और न ही हड़ताल पर जाएंगे। इसके लिए सभी ने शपथ पत्र भी भरा है।

स्वास्थ्य कर्मचारियों की ये हैं मांग

आउटसोर्स कर्मचारियों की मांग में वेतन अलग-अलग होना। जबकि काम व पद एक समान है। वेतन विसंगति दूर करने, फरवरी 2017 में योगदान दिये कर्मियों को बोनस दिलाने, कर्मचारियों का ड्रेस, पीएफ, ईएसआइ से संबंधित विसंगतियां दूर करना शामिल है। अस्पताल में सिर्फ 47 स्थायी नर्स ही तैनात है। जबकि 274 की जरूरत है। इनकी कमी को भरपायी करने के लिए आउटसोर्स पर नर्सो की बहाली की गई है। इनकी संख्या करीब 180 है। अस्पताल में कुल मिलाकर करीब 350 आउटसोर्स कर्मचारी है। इसमें नर्स, ड्रेसर, टेक्नीशियन, वार्ड ब्यॉय सहित अन्य शामिल है। ये सब हड़ताल पर है।