- महिला ने हेल्थ डिपार्टमेंट की कार्यशैली पर उठाए सवाल

- सात दिनों तक एक रिपोर्ट के लिए लगवाए प्रेग्नेंट महिला को चक्कर

- सीएमएस से शिकायत, प्रधान सहायक के ऑफिस में किया हंगामा

बरेली : प्रदेश में अपनी सुविधाओं के लिए पहचान बनाने वाला डिस्ट्रिक्ट फीमेल हॉस्पिटल किस प्रकार मरीजों को सुविधाएं देने में सजग है इसका खुलासा मंडे को हो गया। यहां इलाज के लिए आई एक वेल एजूकेटेड महिला को इलाज के लिए सात दिनों तक चक्कर लगवाए गए, परेशान होकर महिला ने प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगाते हुए हंगामा किया।

क्या है पूरा मामला

शहर के डेलापीर निवासी शिखा तीन माह की गर्भवती हैं। वह 22 जनवरी को डिस्ट्रिक्ट फीमेल हॉस्पिटल अपने टेस्ट कराने के लिए पहुंची थी, जिसमें एचवी, एसआईवी समेत अन्य टेस्ट के लिए उनका ब्लड सैंपल लेने के बाद दो दिन बाद आने के लिए कहा, जब वह 24 जनवरी को पहुंची तो पैथोलॉजी स्टाफ ने रिपोर्ट तैयार न होने की बात कहकर 27 को आने कहा, मंडे दोपहर करीब 12 बजे जब शिखा पैथोलॉजी पहुंची तो आधे-अधूरे टेस्ट की रिपोर्ट उन्हें थमा दी गई। इसकी शिकायत करने के लिए वह सीएमएस ऑफिस पहुंची, लेकिन सीएमएस अवकाश पर थी, तो उन्होने प्रधान सहायक कुलदीप कुमार से मामले की शिकायत की।

अशिक्षित महिलाओं को तो इलाज नहीं मिलता होगा

शिखा ने सिस्टम पर सवाल उठाते हुए कहा कि मैं दिल्ली की बॉयो मेडिकल कंपनी में कार्यरत हूं, वेल एजूकेटेड हूं, सारी चीजें समझती हूं। सामान्य से टेस्ट के लिए मुझे एक सप्ताह तक टहलाया जा रहा है तो कम पढ़ी-लिखी महिलाओं को तो यहां इलाज तक नहीं मिलता होगा।

दोबारा सैंपल दे दो

आधे-अधूरे टेस्ट की रिपोर्ट मिलने पर जब शिखा ने पैथोलॉजिस्ट से आपत्ति जताई तो तर्क दिया कि दोबारा सैंपल दे दो टेस्ट कर देंगे।

मामले में सीएमएस को अवगत करा दिया गया है। उनके निर्देश पर ही कोई कार्रवाई की जाएगी

कुलदीप कुमार, प्रधान सहायक