दैनिक जागरण फिल्म फेस्टिवल के में मेरठ पहुंची अभिनेत्री शैफाली शाह

सिनेप्रेमियों से साझा किया अपने अनुभव, दिए सवालों के जवाब

Meerut। दैनिक जागरण फिल्म फेस्टिवल के तीसरे व आखिरी दिन अभिनेत्री शैफाली शाह ने मेरठ के सिनेप्रमियों से अपने अनुभवों को साझा किया। मौके पर उनसे बातचीत के दौरान उनके अभिनय, उनकी सोच व उनके सक्सेस से जुड़े कुछ पलों पर चर्चा हुई तो वहीं उनके थिएटर से वेब सीरिज तक के सफर पर भी बात हुई। इस क्षेत्र में मुकाम तलाश करने वाले युवाओं को भरपूर जानकारी भी दी, जिससे जुड़े कुछ अंश पेश है

आपने टीवी सीरियल, फिल्मों, शार्ट फिल्मों और वेब सीरिज में काम किया है। इन सबमें इंपोर्टेट क्या लगा?

मैंने थिएटर से सफर शुरू किया था। मेरे लिए मीडियम उतना अहमियत नहीं रखता, जितना क्वालिटी रोल व स्टोरी रखती है। मुझे याद है जब मैं टेलीविजन कर रही थी तो सीरियल की प्रॉपर कहानी होती थी। मगर अब ये तय होता है कि एक महीने में कितने एपिसोड करने हैं, टीआरपी मैच की जाती है।

क्या आपको लगता है कि बॉलीवुड की कहानियां बदली हैं?

हां, बदली है लेकिन 60 के दौर में महिलाओं को लेकर मूवीज में इंर्पोटेंट रोल लिखे जाते थे। फिर बीच में फिल्में, कंटेंट, गानों आदि की आंधी सी आई, जो क्वालिटी वाइज बेहतर नहीं थे। पिछले दो तीन सालों में फिर से बदलाव की शुरुआत हो गई है, अब कहानियों की क्वालिटी बदलने लगी है।

पहले फिल्म चलती कम थी, लेकिन अब फिल्में बॉक्स ऑफिस पर अच्छा बिजनेस कर रही हैं। रिएलिस्टिक सिनेमा ज्यादा पसंद किया जा रहा है?

ऐसा नहीं है। हमारी जनता पहले भी मैच्योर थी। पहले हम वो कंटेंट नहीं दे पाते थे। इसलिए फिल्म चलने या न चलने में जनता को ब्लैम नहीं दिया जा सकता है। अब फिल्म मेकर पहले से ज्यादा मैच्योर हो गए है और रिस्क भी लेने लगे हैं। अब बॉलीवुड में ये डर भी कम हुआ है कि मूवी चलेगी या नहीं।

सत्या फिल्म में आपके रोल के बारे में काफी चर्चा रही। स्त्री विमर्श बोल्ड रोल था। इस पर क्या कहेंगी?

सत्या फिल्म में कैमरा, म्युजिक, साउंड और डिजाइन सबकी अलग ही बात थी। फिल्म में मुझे जो केरेक्टर दिया गया था, जो बोल्ड था। फिल्म में मुख्य किरदार भिखू मात्रे मेरे करेक्टर के पति वाले रोल में था। जब वो जेल से घर आता है तो मैं उसे थप्पड़ मारती हूं। एक्टर के तौर पर रामू गोपाल वर्मा ने फ्रीडम दी थी, इसलिए मैं बेहतर किरदार प्ले कर पाई।

वेब सीरिज मीनिंग को आम लोगों के लिए कैसे क्लीयर करेंगे?

एक ऐसा प्लेटफार्म, जहां पर शो होते हैं। यहां पर एक सीजन एक साथ ड्रॉप होता है। ये कहीं भी कभी भी देखे जा सकते हैं। बस उस प्लेटफार्म से जुड़ने के लिए इंटरनेट व मेंबरशिप लेने की जररूत है।

वेब सीरीज पर आजकल डायरेक्टर सेक्सशुएलिटी, गाली-गलौज को जमकर प्रमोट कर रहे हैं। क्या ये सब टीआरपी के लिए है?

मैनें ऐसे शो देखे नहीं। इंटरनेशनल में होता है, शायद यहां भी हो। वो तो डायरेक्टर की सोच पर डिपेंड करता है। मुझे नहीं पता वो क्या सोचते हैं। हां, पर इससे लोगों को कंटेंट में इंट्रस्ट तो आता है लेकिन ऐसे शो लंबे समय तक नहीं टिक पाते।

वेब सीरिज दिल्ली क्राइम जो निर्भया पर आधारित थी। उसके लिए आपने क्या सोचकर यस कहा?

मैनें पहले पांच मिनट में ही हां कर दी थी, बिना सोचे समझे। ऋषि ने बताया कि वो इसे बना रहे हैं। दरअसल, 2012 में इस केस से हर आदमी खुद को जोड़कर देख रहा था। मगर जब ऋषि से मैंने इसकी हकीकत सुनी तो हां करने के अलावा माइंड में कोई ऑप्शन नहीं आया।

निर्भया के बहाने क्या आपने पुलिस डिपार्टमेंट में काम करने के प्रेशर फील किया?

पूरी स्टोरी का हर पार्ट इंर्पोटेंट है, रिसर्च से भरा हुआ। पुलिस की पूरी इंवेस्टिगेशन की डीप डिटेल्स की एक-एक कड़ी स्क्रिप्ट में संजोई गई थी। केस पर काम रही डीसीपी पांच दिन घर नहीं गई थी, उसे पर्दे पर हूबहू उतारना रिचर्स के पार्ट से पॉसिबल हो पाया। इसके लिए जो जरूरी था डायरेक्टर ने वो सब किया। हर ऑफिसर से पर्सनल मिलना, सभी को टै्रक करना, सुबह से लेकर रात तक का उनका शेड्यूल जानना इसमें सब शामिल था।

क्या आपको लगता है शो में टीआरपी का दबाव रहता है?

मुझे रोल से कनेक्ट करने में बहुत मजा आता है। मगर कभी ये समझ नहीं आता कि प्रोजेक्ट कैसे पूरा होगा। मैं इस बारे में नहीं सोचती कि प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद वो मार्केट में चल पाएगा या नहीं।

आप हमेशा चुनौती भरे रोल करती रही हैं, ग्लैमर्स रोल नहीं किए। क्या आपको लगता था कि लोगों के बीच आपका इमेज परसेपशन टूट जाएगा?

मैंने इस बारे में कभी सोचा नहीं। बस जो रोल मिला करती रही। मेरा मानना है कि अगर किसी मूवी में कंटेंट ही नहीं है तो उसे करने से क्या हासिल होने वाला है। अच्छा ही दिखना है तो तैयार होकर आप किसी फैमिली फंक्शन में जा सकते है या फिर घर पर बैठ सकते हैं।

बॉलीवुड में मुकाम पाने के लिए गॉड फादर होना जरुरी है। ये मिथ है या हकीकत?

मैं इसे नहीं मानती। मेरा बॉलीवुड में कोई फैमिली कनेक्शन नहीं था।