- एसी-कूलर और पंखे बंद, पानी की परेशानी अलग

- बिजली की मार के साथ ही बदल रही है लोगों की लाइफ

- बढ़ते पारे के साथ लाइट जाने से भी हो रहे हैं साइड इफेक्ट्स

Meerut : सिटी के लोग जून के इस माह में हर दिन परेशानी झेल रहे हैं। जहां एक ओर पारा सारे रिकॉर्ड तोड़ रहा है, वहीं भीषण गर्मी के बीच जारी घंटों बिजली की कटौती ने आमजन का जीना मुहाल कर दिया है। बढ़ते पारे के साथ ही बिजली भी भाव खाने लगी है। बिजली न होने से लोगों को न सिर्फ गर्मी की मार झेलनी पड़ती है, बल्कि लोगों की लाइफ पर चौतरफा असर पड़ रहा है। पावर कट के होने वाले साइड इफेक्ट्स ने लाइफ को मुश्किल बना दिया है।

पानी है बड़ी समस्या

बिजली के बिना जबर्दस्त पानी का संकट भी खड़ा हो जाता है। सप्लाई पर भारी असर पड़ रहा है। पानी की टंकियां नहीं भर रही हैं। बिजली न होने से मोटर से भी पानी की टंकी नहीं भर पाते। पीने के पानी से लेकर नहाने-धोने, खाना पकाने और बाकी जरूरी काम के लिए जरुरत भर भी पानी मिलना मुश्किल है। जल बोर्ड के टैंकर और गली मोहल्ले के हैंडपम्प पर लाइन लगाना भी लोगों की मजबूरी बन गया है। शास्त्रीनगर निवासी अर्चना सारस्वत बताती हैं कि एक तो पानी ऊपर ही नहीं चढ़ता है, और लाइट जाने के कारण मोटर से भी पानी नहीं चढ़ा पाते है।

पंखे और फ्रिज बंद

पारे के बीच लोग घरों में उमस भरी गर्मी के बीच रहने को मजबूर हो रहे हैं। राहत के लिए खरीदे गए एसी, वाटर कूलर और यहां तक की पंखे भी बंद हो जाते हैं। क्योंकि ज्यादा पावर कट से इनवर्टर की बैट्री चार्ज नहीं हो पाती। ऐसे में गर्मी में उबलते कमरों के बीच तिलमिलाते लोग तो किस्मत को ही कोसते रह जाते हैं। या फिर हाथ में मैग्जीन अखबार झेलते लोग बिजली कंपनियों, सरकार और प्रशासन को कोसने सिवा तो कुछ और कर भी नही सकते हैं।

पढ़ाई पर गहरा असर

बत्ती गुल रहने से पढ़ाई-लिखाई पर भी गहरा असर पढ़ रहा है। स्कूल कॉलेज के स्टूडेंट्स से लेकर कॉम्पटीटिव एग्जाम की तैयारी में लगे कैंडीडेट्स तक खासे परेशान हैं। न पंखे चले और न लाइट ही, तो पढ़ाई का नुकसान होना तो तय ही है। स्टूडेंट आरती सीए की पढ़ाई कर रही है। वह बताती है कि दिनभर तेज गर्मी में कमरे उबल जाते हैं और रात में भी लाइट गायब रहती है।

एंटरटेनमेंट भी बंद

तपती दोपहर में घरों के अंदर दुबक कर टीवी पर सास-बहू टाइप के सीरियल देखते हुए वक्त बिताने का ऑप्शन मेरठ वालों खासकर घरेलू महिलाओं को खासा पसंद आता है, लेकिन पावर कट ने उनका यह ऑप्शन भी छीन लिया है, जिन बच्चों ने समर वैकेशन में अपने-अपने फेवरेट कार्टून शो देखकर जमकर एंजॉय करने का मन बनाया था। उन्हें भी खासा निराशा मिली है। नन्हें हरप्रीत बताते हैं कि लाइट जाने के कारण वह अपना फेवरेट कार्टून मिस कर देता है।

नींद न आए, चैन न आए

कई एरिया में रात-रात भर लोगों को जागकर काटना पड़ रहा है। जाहिर है, नींद पूरी न होने की वजह से आदमी पूरे दिन थका-थका महसूस करता है। इसका असर रोज के कामकाज पर पड़ने लगा है। खासकर ऑफिस जाने वालों का हाल और बुरा रहता है। काम के बीच में बार-बार झपकियां लेने वाले कर्मचारी को कब बॉस की डांट पड़ जाए भरोसा नहीं है। इन दिनों ऑफिस का एसी किसी जन्नत से कम नहीं लगता है।

महिलाओं की एक्स्ट्रा आवर

बिजली हाउस वाइफ को बड़ी टेंशन दे रही है। घर के फ्रिज बंद रहे तो कुकिंग में ज्यादा टाइम लगना तय है। फ्रिज बंद होने की वजह से लोगों को ज्यादा खाना पकाकर फ्रिज में नहीं रख सकते हैं तो काम का बोझ भी बढ़ गया है। सदर निवासी रीना बताती है गर्मी ने सबसे ज्यादा तो किचन पर असर डाला है। एक तो फ्रिज खराब है बचे हुए खाने के साथ ही दूध के खराब होने की भी चिंता सताती है। वहीं मोहनपुरी की रुचि बताती हैं कि पूरा दिन दूध उबालना पड़ता है, यही चिंता रहती है कि कहीं दूध खराब न हो जाए।

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तो इस साल कितना चढ़ा है पारा

पिछले साल की तुलना में अगर एक जून से दस जून तक के चढ़ते पारे की बात करें तो कहीं ज्यादा है। पिछले साल जहां दस जून को ब्ख् डिग्री तक पारा पहुंचा था, वहीं इस साल यह पारा रिकॉर्ड तोड़कर ब्म् डिग्री तक पहुंचा है।

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यह आकंड़े एक्यू वेदर डॉट कॉम के अनुसार है।

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रात रात को उठकर काटना और सुबह ऑफिस भागना। तेज गर्मी में दिनभर की भागदौड़ के बीच आखिर चेन मिले भी तो कैसे। एक तरफ लाइट तो दूसरी तरफ ये तेज गर्मी हालत खस्ता है।

-प्रतिभा, वर्किंग वूमेन

लाइट जाने की वजह से इंवर्टर भी डाउन, बच्चे तो बच्चे परेशान ऊपर से सुबह लाइट गायब तो पानी भी नहीं आता है ऐसे में तो बुरा हाल हो जाता है।

-अनुज, बिजनेसमैन

रात को नींद नहीं आ पाती है, ऊपर से सुबह भी जल्दी उठना होता है, एक तरफ नींद पूरी नहीं होती, ऊपर से ऑफिस जल्दी जाना होता है। ऐसे में तो कभी कभी सिर भारी हो जाता है।

-सौरभ गुप्ता, सदर निवासी

अब लाइट और गर्मी दोनों ने ही खून पी रखा है, पहले रात को नींद नहीं आती है। फिर सुबह जल्दी उठकर दिल्ली की ट्रेन पकड़नी होती है। ऐसे में हालत खराब हो जाते है।

-प्रियांक, स्टूडेंट